परोपकार परम धर्म : 10 वर्षों से रक्तदान कर रहे युवा पत्रकार की प्रेरणादायक कहानी

भदोही : आज के समय में जब लोग जन्मदिन पर भव्य पार्टियों और फिजूलखर्ची में डूबे रहते हैं, तो वहीं भदोही जिले के औराई विकासखंड के डेरवां गांव निवासी युवा पत्रकार अनंत देव पांडेय ने एक अनूठी और भावनात्मक मिसाल कायम की है। पिछले 10 वर्षों से अनंत देव पांडेय अपने जन्मदिन को एक नई दिशा देकर समाज सेवा के माध्यम से मनाते आ रहे हैं। अनंत की यह यात्रा उस समय शुरू हुई जब उनके एक करीबी मित्र एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए. इलाज के दौरान जब दोस्त को खून  की जरूरत पड़ी तो अनंत ने अपने दोस्त की जान बचाने के लिए उन्होंने पहली बार रक्तदान किया। उस पल की भावनात्मक गहराई ने उनके दिल में एक स्थायी छाप छोड़ी और उन्होंने निर्णय लिया कि हर साल अपने जन्मदिन पर रक्तदान करेंगे। अनंत कहते हैं, "जब मैंने पहली बार रक्तदान किया, तो मुझे एहसास हुआ कि यह सबसे बड़ा उपहार है जो हम किसी को दे सकते हैं। जन्मदिन की खुशी केवल हमारे लिए नहीं होनी चाहिए, बल्कि किसी और की जिंदगी बचाने का जरिया भी बनना चाहिए।" इस शुक्रवार को भी, अपने जन्मदिन पर अनंत देव पांडेय ने एक यूनिट रक्तदान किया और साथ ही पौधरोपण भी किया। उन्होंने बताया, "इस कार्य से मुझे जो संतुष्टि मिलती है, वह किसी भी भव्य आयोजन से कहीं अधिक है। जब मुझे पता चलता है कि मेरे रक्तदान से किसी की जान बच सकी, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहता।"25 वर्ष की आयु में, अनंत देव पांडेय ने 26वीं बार रक्तदान किया। इस बार उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में जाकर अपने एक मित्र के परिवार को खून की जरूरत के समय यह पुण्य कार्य किया। उनके इस कदम ने न केवल उनके मित्र के परिवार को राहत पहुंचाई, बल्कि समाज में एक प्रेरणादायक संदेश भी दिया।अनंत का मानना है कि "किसी की मदद करना, उनके जीवन में खुशियां लाना और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना ही असली खुशी है।" अनंत देव पांडेय की इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि सच्ची खुशी और संतुष्टि हमें केवल दूसरों की मदद करके ही मिल सकती है। उनके इस प्रयास से समाज को एक नई दिशा मिल रही है और वह निसंदेह समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं। उनके इस कदम ने दिखा दिया कि हमारे छोटे-छोटे प्रयास भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

रिपोर्टर :  डी के मिश्रा

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