भारत से मालदीव को दो - दो हाथ करना पड़ गया मंहगा , जाएगी राष्ट्रपति की कुर्सी


भारत इस वक्त विश्वगुरू बन कर उभर चुका है . इस वक्त भारत की शान पूरी दुनिया देख रही है . इसकी एक बड़ी वजह खुद पीएम मोदी भी हैं , जिस तरह से उन्होंने पूरे विश्व पर भारत की छाप छोड़ी है , वो वाकई दमदार है .जिसका उदाहरण देखने को मिलता रहता है .  मालदीव का भारत से विवाद को खत्म हो गया , लेकिन मालदीव अपनी खटिया जरूर खड़ी कर ली है .अब आलम ये है कि मालदीव में विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी का संसदीय समूह भारत जैसे सहयोगी देशों के साथ हालिया कूटनीतिक खींचतान के मद्देनजर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने पर सहमत हो गया है. मालदीव की राजनीति में ये नया डेवलपमेंट मालदीव की संसद में चीन समर्थक राष्ट्रपति मुइज्जू के मंत्रिमंडल के चार सदस्यों की मंजूरी पर मतभेदों को लेकर सरकार समर्थक सांसदों और विपक्षी सांसदों के बीच संसद में हुई झड़प के एक दिन बाद आया है.. मुख्य विपक्षी एमडीपी ने कैबिनेट पर मतदान से पहले राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल के चार सदस्यों के लिए संसदीय मंजूरी रोकने का फैसला किया. इसके बाद, सरकार समर्थक सांसदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे संसदीय बैठक की कार्यवाही बाधित हो गई.खबरों के अनुसार, झड़प के दौरान कांदिथीमू से सांसद अब्दुल्ला शहीम अब्दुल हकीम शहीम और केंदीकुलहुधू से सांसद अहमद ईसा के बीच हाथापाई हुई.फिलहाल इस पुरे मामले के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की कुर्सी पर बन ही आई है . यानी कि अब तो राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की कुर्सी हिलनी तय है और ये कुर्सी जा भी सकती है,  और ये सब हुआ है भारत के साथ खिलवाड़ करने की वजह से .  राष्‍ट्रपति मुइज्‍जू पर विपक्षी दलों के नेताओं ने भारत से माफी मांगने का दबाव बनाया था. मुइज्‍जू ने बीती 13 जनवरी को चीन से लौटने के बाद भारत के खिलाफ बोलना शुरू किया था , जिसका खामियाजा अब उनको उठाना पड़ेगा . 

Maldives asks India to withdraw its military presence from island nation  amid diplomatic row - India Today

देखा जाए तो भारत की छवि इस वक्त ऐसी है कि दूसरे देश में भी पार्टियों में मतभेद हो रहे हैं , ऐसा पहले नहीं होता था .मोदी सरकार के आने के बाद ही ऐसा संभव हो पाया है .  मालदीव में ये स्थिति इसीलिए पैदा हो पाई , क्योंकि यहां की कुछ पार्टियां और नेता भारत के सपोर्ट में आए. वरना ऐसी राजनीतिक उठापटक संभव नहीं थी..फिलहाल इन सियासी पेंचो के बाद ये साफ है कि मालदीव को भारत से दो - दो हाथ करना भारी पड़ गया है ..

 

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