राहुल गांधी का भाषण झूठ, निराशा और तथ्यहीन बातों से भरा- भूपेन्द्र सिंह चौधरी

लखनऊ 02 जुलाई 2024। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने मंगलवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि लगातार तीसरी बार फेल और बार-बार लॉन्च के बावजूद फेल हो चुके राहुल गाँधी का नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला ही भाषण झूठ, निराशा और तथ्यहीन बातों से भरा हुआ था। इतना ही नहीं, उनका अपने भाषण के दौरान आचरण भी संसदीय गरिमा के अनुरूप बिलकुल भी नहीं था। उन्होंने कहा कि लोक सभा में राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर चर्चा हो रही थी लेकिन राहुल गाँधी ने उस बाबत औपचारिकतावश भी एक शब्द नहीं बोला। सदन में राहुल गाँधी ने केवल और केवल झूठ बोला। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी का ज्ञानवर्धन करना चाहिए और समझाना चाहिए कि भारत की संसदीय गरिमा को कम न करें।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि राहुल गाँधी जी ने अपने भाषण में न केवल हिंदुओं का घोर अपमान किया, न केवल हिंदुओं को हिंसक, नफरती और झूठा बताया बल्कि अग्निवीर, किसान, अयोध्या, माइक-सब पर झूठ और केवल झूठ बोला। राहुल गाँधी जी को हिंदुओं का अपमान करने के लिए और सदन में झूठी बयानबाजी करने के लिए देश की जनता से अविलंब माफी मांगनी चाहिए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गाँधी झूठ बोल कर भाग जाने में माहिर हैं। राहुल जी, आप सदन में झूठ नहीं बोल सकते, आपको अपनी बातों को साबित करना होगा। आप ऐसे हिंदुओं का अपमान नहीं कर सकते। चौधरी ने कहा कि संसद में राहुल गांधी ने सम्पूर्ण हिंदू समाज को हिंसक और असत्यवादी बताकर, हिंदू समाज का घोर अपमान किया है। इसकी जितनी भी निंदा की जाय, कम है। ये कांग्रेस की पुरानी आदत है। कांग्रेस ने यह पहली बार नहीं किया है। अब कांग्रेस और उनका गैंग राहुल गाँधी को सही ठहराने के लिए कई बहाने बनायेंगे लेकिन सदन में राहुल गाँधी ने स्पष्ट कहा है कि जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा, नफरत-नफरत-नफरत, असत्य-असत्य-असत्य की बात करते हैं।

उन्होंने कहा कि 99 सीटें जीतने पर ये हिंदुओं को हिंसक, नफरती और झूठा बता रहे हैं, ये बताता है कि इनकी असल मंशा क्या है? सच्चाई सबको पता है कि 1984 में सिखों का नरसंहार किसने किया था। सच्चाई ये है कि आपातकाल में आम लोगों को प्रताड़ित किसने किया था? सच्चाई ये है कि संतों पर गोलियां किसने चलवाई थी? उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी पश्चिम बंगाल में हुई घटनाओं पर कुछ नहीं बोलते, तमिलनाडु में  Hizb-ut-Tahrir की मंशा पर कुछ नहीं बोलते, केरल में अपने सहयोगी की हिंसा भड़काने की तहरीरों पर कुछ नहीं बोलते लेकिन हिंदुओं को हर बार बदनाम करते हैं। 2010 में तत्कालीन गृह मंत्री श्री पी चिदंबरम ने हिंदुओं को आतंकवादी कहा था। 2013 में पूर्व गृहमंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने भी हिंदुओं को आतंकवादी बताया था। 2021 में राहुल गांधी ने हिन्दुत्ववादियों को देश से बाहर निकालने को कहा था और आज सम्पूर्ण हिंदुओं को असत्यवादी और हिंसक कहा। राहुल गाँधी ने पहले भी कहा था कि मंदिर जाने वाले लड़कियों को छेड़ते हैं। राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष के पद की गरिमा को नीचा और कमजोर करने का काम किया है। समूचा देश राहुल गांधी के इस बयान से दुखी है और इस बयान की जितनी निंदा की जाए वह कम है।  हिंदुओं को हिंसक और असत्यवादी बताना, संसद की बहस के दौरान ईश्वर के चित्रों को सामने रखना और राजनीति को इससे जोड़ना एक नेता प्रतिपक्ष को शोभा नहीं देता।

चौधरी ने कहा कि 20 जनवरी 2013 को यूपीए सरकार में तत्कालीन गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने जयपुर में यह कहा था कि भाजपा और आरएसएस की तरफ से हिंसक गतिविधियां और ट्रेनिंग कैम्प चलाए जा रहे हैं। जब सदन पटल पर उनसे इस विषय पर सवाल पूछा गया, तो 20 फरवरी 2013 को सुशील कुमार शिंदे ने खेद व्यक्त किया था। राहुल गांधी को सुशील कुमार शिंदे से सीख लेते हुए खेद व्यक्त करना चाहिए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि जब आप सत्ता में थे, तो आपके पास सभी चीजें थी, तब भी आपने झूठ बोला और सदन के पटल पर अपनी गलती मानी। आज भी आप झूठ बोल रहे हैं। कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष, जो इस समय पीडब्लूडी मंत्री है, सतीश जारकीहोली भी हिंदू शब्द को गंदा बोल चुके हैं। इनकी भारत जोड़ो यात्रा में जॉर्ज पोन्नैया ने कहा था कि भारत की धरती को इतना अपवित्र मानता हूँ कि मैं जूते पहनता हूँ ताकि इसका स्पर्श न हो जाए। इनके गठबंधन के लोगों ने ही हिंदू धर्म के नाश और उसकी तुलना कोरोना वायरस के साथ की थी। सदन में भगवान् शंकर, गुरु नानक देव के चित्र दिखाना गलत, अभय मुद्रा पर भी गलत बातें की। संसद में राहुल गांधी जी ने अभय मुद्रा की बात करते हुए इस्लाम में भी अभय मुद्रा बता दी जबकि इस्लाम में कोई चित्र नहीं होता है, तो उन्हें अभय मुद्रा कहाँ से दिख गई? राहुल गाँधी को कोई इल्म हुआ है या ऊपर से कोई फजल हुआ है कि उन्हें अभय मुद्रा दिख गई? संसद में जिस तरह से भगवान शंकर के चित्र को दिखाया जा रहा था, वह बेहद ही आपत्तिजनक था। इसपर लोकसभा अध्यक्ष ने भी कहा था कि जिनको हम पूजते हैं, उनके ऐसे चित्र यहाँ प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं। राहुल गांधी जी शिव जी की तस्वीर दिखा रहे थे और कहते हैं कि हम हिंदू धर्म की शक्ति से लड़ेंगे, जबकि शिव और शक्ति एक ही हैं।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने प्रश्न किया कि राहुल गांधी जी ने बहुत सारे ईश्वर का नाम लिया लेकिन राहुल गांधी ने लोकसभा में ईश्वर के नाम की शपथ क्यों नहीं ली? जब राहुल गांधी ईश्वर के नाम की शपथ नहीं ले रहे हैं और ईश्वर में निष्ठा नहीं रख रहे हैं, तो फिर ईश्वर के चित्र क्यों दिखा रहे हैं? उन्होंने कहा कि 2014 में राहुल गांधी ने शपथ ईश्वर के नाम की ली थी, तो फिर 2014 से 2024 में ऐसा क्या बदल गया कि वे ईश्वर के नाम की शपथ से सत्यनिष्ठा पर आ गए हैं और फिर सदन के पटल पर ईश्वर के चित्र दिखाने लगे? इसलिए राहुल गांधी गंभीरता और परिपक्वता के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें और आचरण रखें। उन्होंने कहा कि संसद में राहुल गाँधी जी ने कहा कि अग्निवीर योजना में शहीदों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता, इससे बड़ा झूठ हो नहीं सकता है। माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने तुरंत राहुल गांधी के झूठ को  expose करते हुए कहा कि अग्निवीर योजना में शहीदों को 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि राहुल जी को केस स्टडी कर अपने तथ्यों को दोबारा देखना चाहिए। ऐसा पहली बार नही है जब कांग्रेस ने सेना पर सवाल खड़े किए हो, कांग्रेस पार्टी ने पहले भी सेना पर सवाल उठाए हैं और देश को भ्रमित करने का प्रयास किया है। बाद में उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी है। राहुल गांधी जी स्पीकर महोदय को माइक बंद करने, सांसदों को बर्खास्त करने बात करते हैं जबकि जिसे आसन से बोलने को कहा जाता है, उसका माइक कभी बंद नहीं होता। आसन पर सभी दलों के सांसद समयानुसार बैठते हैं, कभी भी इस तरह से नहीं किया गया कि माइक बंद किया जाता है। वैसे भी आसन के पास माइक को बंद करने या ओपन करने का कोई स्विच नहीं होता।

प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि राहुल गांधी ने अयोध्या में मुआवजे पर भी भ्रामक बातें की। राहुल गाँधी ने कहा कि अयोध्या में लोगों की जमीनें ली गई लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया जबकि सच्चाई कुछ और है। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन ने अयोध्या में लोगों को दिए गए मुआवजे के आंकड़े जारी किये हैं। करीब 4,215 दुकानदारों को 1,253 करोड़ रुपए प्रदान किया गए हैं। इसके अलावा दुकानों का स्थानांतरण में भी प्रशासन ने जनभागीदारी के साथ कार्य किया है।प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गाँधी जी ने कहा कि सरकार ने किसानों को आतंकवादी बताया। राहुल गाँधी के इस झूठ का भी तुरंत खुलासा हो गया और इसका  proof देने की मांग की गई। आप सदन के पटल पर झूठी बातें नहीं कर सकते, आपको इसे uthenticate करना होता है। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी ने कहा कि सरकार किसानों को एमएसपी नहीं देती। राहुल गाँधी के इस झूठ की पोल स्वयं कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने खोला कि ये गलत बयानी कर रहे हैं। एमएसपी पर खरीद जारी है। उनकी सरकार थी तब बताएं कि एमएसपी पर कितनी खरीद होती थी। ये सत्यापित करें कि एमएसपी पर खरीद नहीं हो रही। इस पर राहुल गाँधी ने बात पलट दी। चौधरी ने कहा कि राहुल गांधी ने संवैधानिक पद लोकसभा अध्यक्ष के पद पर भी गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की, जो बहुत ही दुखद है। यह भी पहली बार नहीं हुआ। राहुल गांधी ने प्रेस क्लब में स्वयं अपनी पार्टी की गठबंधन सरकार के पारित ऑर्डिनेन्स की प्रति को फाड़ दिया था। यूपीए सरकार के समय देश की संवैधानिक व्यवस्था को कांग्रेस की गैर-संवैधानिक व्यवस्था नेशनल अड्वाइज़री कमेटी (एनएसई) के अध्यक्षा के रूप में सोनिया गांधी चलाती थी। कांग्रेस का चरित्र देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का रहा है। इंदिरा गांधी ने भी संसद, न्याय प्रणाली और नौकरशाही जैसी देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का कार्य किया।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गांधी भारतीय संस्कृति के अनुरूप किए गए व्यवहार को नहीं समझ सकते हैं, क्योंकि उन्हें संस्कृति के बारे में जानकारी ही नहीं है। 2004 से जब राहुल गांधी कोई पद पर नहीं थे, तो उनके व्यवहार में नाटकीय और मजाक झलकता था लेकिन आज राहुल गांधी लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं और एक संवैधानिक पद पर हैं, तो हम लोग उम्मीद कर रहे हैं कि वे परिपक्वता के साथ अपने व्यवहार और आचरण में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। आज राहुल गांधी के भाषण के दौरान जो हमने देखा है, बार-बार पीठासीन अधिकारी की कुर्सी से उन्हें बोला गया कि आप बात करते समय तर्क और पीठ स्पीकर की तरफ न करें, क्योंकि नियमानुसार जब कोई सांसद सदन में बोलता है तो उसकी पीठ, पीठासीन अधिकारी की तरफ नहीं होनी चाहिए। बहस का लेवल इस तरह गिर गया है कि आज से पहले किसी ने इसके बारे में सोचा भी नहीं होगा। अटल बिहारी वाजपेयी जी, लाल कृष्ण आडवाणी जी, जॉर्ज फर्नांडीस जी और प्रणब मुखर्जी जी से नए सांसद बहुत कुछ सीखते थे लेकिन राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष होते हुए नए सांसदों के पास सीखने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। चौधरी ने कहा कि नए सांसद अपने पहले सत्र में वरिष्ठ सांसदों से सीखते हैं लेकिन 282 नए सांसदों को अपने पहले सत्र में उचित माहौल देखने को नहीं मिला। राहुल गांधी जी ने संसदीय लोकतंत्र के स्तर को पूरी तरह गिरा दिया। संसद किसी नेता या परिवार से नहीं अपितु नियम और व्यवहार से चलता है।

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