श्री सीमेन्ट के आंदोलनरत श्रमिकों में वार्ता पर नहीं बुलाने से आक्रोश
ब्यावर - चार दिन से काम ठप्प श्रमिकों ने कहा-हठधर्मिता, प्रबंधकों ने बताई अवैध हड़ताल तालाबंदी की नौबत आई तो श्रमिकों का रोजगार छिनेगा प्रतिदिन 8 करोड़ की सीमेन्ट व क्लींकर उत्पादन बंद अंधेरी देवरी स्थित श्री सीमेन्ट लि. की मातृ इकाई में पिछले चार दिन से श्रमिकों ने काम ठप्प कर रखा है। श्रम संघ के नेताओं व ग्रामीणों ने श्री सीमेन्ट कारखाना बचाओं संघर्ष समिति का गठन करके फैक्ट्री के मैनगेट के बाहर धरना दे रखा है। हड़ताली कर्मचारियों को प्रबंधकों की ओर से वार्ता हेतु नहीं बुलाये जाने से श्रमिकों में रोष बढ़ने लगा है। कारखाना बचाओ संघर्ष समिति द्वारा उनकी मांगे पूरी नहीं किये जाने से श्रमिकों का गुस्सा व नाराजगी भी बढ़ती जा रही है। श्रम संघ इंटक अध्यक्ष व संघर्ष समिति के नेता दिनेश शर्मा ने पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहाकि 40 वर्षों के इतिहास में यह पहला अवसर है जब मजदूरों को विरोध तथा हड़ताल पर उतरना पड़ा है। यह श्री सीमेन्ट व ब्यावर शहर केलिये अच्छी बात नहीं है। शर्मा ने कहाकि इससे पहले भी कई प्रकार की समस्याएं और विवाद हुए हैं लेकिन समय-समय पर वार्ता के साथ इनका निपटारा भी हुआ है। मगर जब से नये प्रबंधन ने काम संभाला है, तब से समस्याएं व असंतोष बढ़ गया है और हर कर्मचारी व अधिकारी भारी तनाव में जी रहा है।
श्रमिकों की एक ही मांग-तबादले निरस्त किये जाएं
कारखाना बचाओ संघर्ष समिति ने सोमवार 23 दिसम्बर को धरना स्थल पर एक प्रेस वार्ता बुलाई जिसमें उन्होंने केवल एक ही मांग रखी कि जिन 43 मजदूरों का तबादला किया गया है वह निरस्त हों तथा उनके गेट पास पुनः चालू किये जावें। मजदूरों का सारा आक्रोश श्री सीमेन्ट के नये प्रबंधन से है। जब से नया मैनेजमेन्ट आया है, उसके द्वारा श्रम कानूनों की अवहेलना कर कारखानों को अपने तरीके से चलाने का प्रयास किया जा रहा है। श्रमिकों के तबादले दूरस्थ स्थानों पर करना अल्प वेतनभोगियों व अधिक आयु वालों पर अत्याचार है। नौकरी के अंतिम पड़ाव पर कर्जदार व अनेक जिम्मेदारी के बोझ तले जी रहे श्रमिकों से त्यागपत्र लेना और उन्हें सेवा से मुक्त करना भी मानसिक वेदना के साथ अमानवीय कदम है।
रिपोर्टर - शैलेश शर्मा
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