कांग्रेस को किसानों से कोई सरोकार नहीं, सिर्फ 'वोटों की फसल' पर है नजर
किसानों की हितैषी होने का दावा करने वाली कांग्रेस जितना ही मुंह खोल रही है उसका दोहरा मापदंड उतना ही उजागर हो रहा है...कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के पास तो कांग्रेस के किसानों को लेकर किए गए करतूतों का जवाब नहीं है... जिसमें चुनाव से पहले किसानों के लिए किए गए लोकलुभावन वादे और फिर सरकार बनते ही किसानों को भूल जाना मानों कांग्रेस की फितरत हो.. किसानों को अब कांग्रेस केंद्र में अपनी सरकार बनने के बाद एमएसपी कानून देने का वादा कर रही है...ऐसे में साफ बता सकते हैं कि कांग्रेस की सोच केवल चुनाव जीतने की रही है उनका किसानों के उन्नति से कोई लेना-देना नहीं है... इसके कई उदाहरण भी हैं...तो चलिए आपको बताते हैं कि कांग्रेस का ये दावा कितना सही और कांग्रेस ने कब किसानों का कर्ज माफ किया था और स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू करने पर क्या कहा था...
नरेंद्र मोदी सरकार से एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने की मांग कर रहे किसान सड़क पर उतरे तो विपक्षी दलों को भी मौका मिल गया कि वह सरकार को किसानों का शोषण करने वाला बताए। हालांकि सरकार की तरफ से एक-एक कर इसके बारे में बताया भी गया कि कैसे किसानों को बेहतर बनाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे और किसान हितैषी होने का दावा कर रही कांग्रेस का किसानों को लेकर सोच और उनका चाल-चरित्र क्या रहा है यह जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। किसान कांग्रेस के वादे से कैसा ठगा महसूस करते रहे हैं यह जानकर आपको भी ताज्जुब होगा। राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान लगातार किसानों के समर्थन में आकर वादा कर रहे हैं उनकी सरकार केंद्र में आई तो वह स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करेगी। लेकिन, यूपीए सरकार के दौरान जब एमएसपी को लेकर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करने का प्रस्ताव सरकार के सामने आया था तो उनके द्वारा जो जवाब दिया गया था वह जानकर भी आपको हैरानी होगी। इस कमीशन की रिपोर्ट को लागू करने से यूपीए सरकार ने साफ मना कर दिया था। बता दें स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश की गई थी, जिससे छोटे किसानों को फसल का उचित मूल्य मिल सके। स्वामीनाथन आयोग की इस रिपोर्ट में एमएसपी फॉर्मूले को तब की कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2007 में यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे बाजार खराब हो जाएगा। वही कांग्रेस अब वादा कर रही है कि अगर वह सत्ता में वापस आई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ देगी।
ऐसे कई उदाहरण और हैं जिसमें किसानों के साथ किस तरह का भेदभाव कांग्रेस की सरकार करती रही है और कैसे चुनाव से पहले किसानों से किए वादे को सरकार के आते ही भूलती है उसके बारे में पता चल जाएगा...आज वही कांग्रेस भाजपा को किसान विरोधी बताकर इस बात का झांसा देने की कोशिश कर रही है कि वह सत्ता में आई तो किसानों को एमएसपी का पूरा लाभ देगी...और वह एमएसपी पर कानून बनाएगी...ऐसे में कहा जा रहा है कि इसी वजह से कांग्रेस बार-बार बयान देकर किसानों की कर्ज माफी का सपोर्ट कर रही है...औऱ सत्ता में आने पर MSP की गारंटी दे रही है....लेकिन देखा जाए तो ये महज एक चुनावी स्टंट है, चुनाव जीतने का...सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अपने वादों पर कितनी खरी उतरी है इससे हर कोई वाकिफ है...खैर...
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