क्या आपको पता है, बिना संविधान 29 महीने तक कैसे चला था हमारा देश!

भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस माना जाता है...यह दिन हर भारतवासी के लिए बेहद खास होता है...इस साल देश 75वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है...गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल दिल्ली के इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक राजपथ पर भव्य परेड का आयोजन किया जाता है...इस दिन हर देशवासी देशभक्ति में डूबा नजर आता है...ये बात तो हम सब जानते हैं कि हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था और आजादी के 29 महीने बाद यानि 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था...संविधान लागू होने के साथ ही भारत को पूर्ण गणराज्य घोषित किया गया था...लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 1947 से 1950 तक बिना संविधान के हमारा देश आखिर चला कैसे? कैसे 29 महीनों तक बिना संविधान के देश का शासन चला होगा...तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी.... 

जब हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो भारत के पास शासन चलाने के लिए खुद का संविधान नहीं था। इसे एक दिन में बना पाना भी संभव नहीं था। ऐसे में संविधान सभा का गठन किया गया और संविधान बनने तक के लिए इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट-1947 को लागू किया गया। इसके जरिए देश चलाने का फैसला हुआ। इसमें गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 को इस्तेमाल में लाने की व्यवस्था की गई थी, जिसे ब्रिटिश संसद में पारित किया गया था। इसे ब्रिटिश संसद में पारित सबसे बड़े कानूनी दस्तावेजों में से एक भी माना जाता था। फिर इस एक्ट को संविधान की जगह इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया। संविधान सभा ने 9 दिसंबर, 1947 को अपना काम शुरू किया। इसके सदस्यों का चुनाव भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्य करते थे। सभा के प्रमुख सदस्यों में जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और मौलाना अबुल कलाम आजाद शामिल थे।

वहीं अनुसूचित वर्ग के 30 से अधिक सदस्य इसमें शामिल किए गए। संविधान सभा के प्रथम सभापित सच्चिदानंद प्रसाद थे। लेकिन बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सभापति के पद के लिए निर्वाचित किया गया। वहीं बाबा साहेब अंबेडकर को ड्राफ्ट कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। संविधान सभा ने 2 साल 18 महीने और 166 दिन की बैठक के बाद देश का संविधान तैयार किया। इन बैठकों की खास बात ये थी कि इनमें प्रेस और आम जनता को हिस्सा लेने की स्वतंत्रता दी गई थी। वहीं देश के आजाद होने के बाद भी राष्ट्रपति के स्थान पर ब्रिटिश व्यवस्था वाले गवर्नर जनरल के पद को बरकरार रखा गया। हालांकि उसे राष्ट्रपति के बराबर अधिकार नहीं दिए गए। लॉर्ड माउंटबेटन गवर्नर जनरल के पद पर बना रहा। उसने जून 1948 में इस पद को छोड़ा था, जिसके बाद सी.राजगोपालचारी की पद पर नियुक्ति हुई। उन्हें पहला और आखिरी भारतीय गवर्नर जनरल कहा जाता है। फिर 1950 में संविधान लागू हो गया और गवर्नर जनरल का पद समाप्त कर दिया गया। साथ ही सर्वोच्च सत्ता राष्ट्रपति के हाथों में सौंप दी गई।

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.