देहदान, महादान मेडिकल कॉलेज दतिया में चरितार्थ हुई ये उक्ति
दतिया : जीवित रहते हुए संसार के काम आने के बाद यदि मृत देह भी चिकित्सा एवं अनुसंधान के काम आए, तो इससे बड़ा पुण्य क्या ही होगा? देहदान, महादान इस उक्ति को चरितार्थ करते हुए गुरुवार को मेडिकल कॉलेज दतिया में दो बौद्ध भिक्षुओ के द्वारा मरणोपरांत अपनी पार्थिव देह चिकित्सा छात्रों के अध्ययन एवं अनुसंधान हेतु दान का संकल्प लिया गया! देहदान को सर्वोच्च दान बताते हुए मेडिकल कॉलेज दतिया के डीन डा. दीपक सिंह ने दोनों महापुरुषों को धन्यवाद देते हुए बताया कि ये अत्यंत पुनीत कार्य है और समाज में देहदान के प्रति जन जाग्रति लाने वाला है! फार्माकोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र बौद्ध ने देहदान का महत्व समझाते हुए बताया कि मृत शरीर के साथ सम्पूर्ण सम्मान रखते हुए, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में उसका उपयोग अनुसंधान एवं अध्यापन के लिए किया जाता है! एनाटॉमी के विभागाध्यक्ष डॉ. समीर साठे के द्वारा बताया गया कि देहदान जैसे पुनीत कार्य के लिए इच्छुक व्यक्ति एनाटॉमी विभाग में उनसे सम्पर्क कर सकता है, सामान्य पेपर वर्क की प्रक्रिया पूर्ण करने के पश्चात् देहदान की अनुमति मिल जाती है!
देहदान से संबंधित कुछ शंका एवं समाधान:
समाज को कुशल चिकित्सक देने हेतु उसको मानव शरीर रचना का पूरा ज्ञान होना आवश्यक है। जो मृत शरीर पर परीक्षण द्वारा ही संभव है। इस हेतु देहदान (मृत्यु उपरान्त संपूर्ण शरीर का दान) अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
Q. देहदान कौन-कौन कर सकता है?
A. देहदान प्राकृतिक मृत्यु के उपरांत किसी भी धर्म या जाति के वयस्क सदस्य द्वारा किया जा सकता है।
Q. देहदान का संकल्प कब किया जा सकता है?
A. देहदान का संकल्प 18 वर्ष के उपरांत कभी भी किया जा सकता है।
Q. देहदान हेतु संकल्प पत्र भरने की आवश्यक अर्हताएं?
A. देहदान हेतु संकल्प पत्र भरने के लिए निम्नलिखित अर्हताएं आवश्यक हैं।
स्वयं का संकल्प।
संकल्पकर्ता की 2 फोटो।
स्वयं की फोटो-पहचान पत्र की छायाप्रति।
स्थायी निवास से संबंधित प्रमाण-पत्र की छायाप्रति।
दो गवाहों की सहमति, जो संकल्पकर्ता के निकटतम परिजन हों।
गवाहों के फोटो, फोटो पहचान-पत्र एवं स्थायी निवास संबंधित प्रमाण-पत्र की छायाप्रति।
रिपोर्टर : सुमन दांतरे
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