क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव हार जाएगी आम आदमी पार्टी ?

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए 2025 में चुनाव होंगे। इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने की तैयारी में जुट गई है। वहीं, बीजेपी और कांग्रेस इस बार सत्ता में वापसी की तैयारी में जुटी है। चुनाव आयोग ने अब तक चुनावों की घोषणा नहीं की है. इसके पहले ही दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी ने 31 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. इसके पीछे पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की रणनीति मानी जा रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि इसके जरिए केजरीवाल आने वाले समय में होने वाली बगावत को समय रहते रोक लेंगे.  दिल्ली की सियासत में आम आदमी पार्टी इस बार कुछ अलग ही प्रयोग कर रही है. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से अब तक 31 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. पहली लिस्ट में 11 और दूसरी में 20 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं. इस तरह से आम आदमी पार्टी ने चुनाव की घोषणा से पहले ही करीब 45 फीसद से अधिक प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, लेकिन इसके साथ ही इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि इस जल्दबाजी के पीछे कारण क्या है और अरविंद केजरीवाल के माइंड में चल क्या रहा? 

2020 में हुए  विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें जीती थीं। वहीं बीजेपी को महज 8 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस लगातार दूसरी बार दिल्ली से सफाया हो गया था। पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2020 में हुआ था। चुनाव के बाद, आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाई, जिसमें अरविंद केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। 7वीं दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 15 फरवरी 2025 को समाप्त होने वाला है।  दिल्ली के सभी 70 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए विधान सभा चुनाव फरवरी 2025 को या उससे पहले आयोजित करवाए जायेंगे। अरविंद केजरीवाल ने सितंबर 2024 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, जिसका मुख्य कारण उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोप थे, विशेष रूप से शराब नीति से जुड़े मामले में। इसी आरोप में वह पांच महीने तक जेल में में बंद रहे थे और जिसके बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया गया था। उनका इस्तीफा आगामी चुनावों से पहले अपनी नैतिक छवि को पुनः स्थापित करने और अपनी पार्टी, आम आदमी पार्टी की साख को बचाने के प्रयास के रूप में देखा गया।

अरविंद केजरीवाल ने आज साफ कर दिया कि उनकी पार्टी राज्य में कांग्रेस के साथ चुनाव में कोई गठबंधन नहीं करने वाली है। लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन नतीजा सिफर रहा था। इस बार आप ने दिल्ली चुनाव के लिए अलग रणनीति बना रखी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) तैयारियों में जुट गई है। दिल्ली चुनाव आप के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। इसी दौरान मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी खबरें आई कि आप और कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर सकते हैं। कांग्रेस और आप राज्य में मिलकर सरकार बना चुके हैं, इसलिए ये खबर तेजी से फैली। लेकिन आज सुबह-सुबह आप के संयोजक और राज्य के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट कर साफ किया इस चुनाव में कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी कोई गठबंधन नहीं करने वाली है। माना जा रहा है केजरीवाल के इस ऐलान के पीछे आप की बड़ी रणनीति है। दरअसल, आज सुबह के पोस्ट से पहले की बात भी आप समझ लीजिए। कल रात दिल्ली में शरद पवार के घर इंडिया गठबंधन के कई नेताओं की बैठक हुई थी। इस बैठक का एजेंडा अनौपचारिक रूप से इंडिया गठबंधन के नेता को चुनने को था। इस बैठक में आप के नेता भी शामिल थे। इससे पहले का घटनाक्रम ये रहा है कि शरद पवार, अखिलेश यादव और आप के नेता इंडिया गठबंधन के नेता के तौर पर ममता बनर्जी के नाम का समर्थन कर चुके हैं। इसके ठीक बाद केजरीवाल ने दिल्ली में अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है। यानी पार्टी किसी भी तरह से राहुल गांधी या कांग्रेस से कोई संबंध नहीं दिखाना चाहती है।

 केजरीवाल को ये अच्छे से पता है कि राज्य के चुनाव में अल्पसंख्यक वोट जीतने वाले दल की तरफ ही शिफ्ट होंगे। चूंकि आप सत्तारूढ़ पार्टी है तो जाहिर उसे इसका फायदा मिल सकता है। कांग्रेस पिछले दो चुनाव से राज्य में जीरो पर आउट हो रही है। तो ये वोट उसके तरफ फिलहाल तो आते नहीं दिख रहे। ऐसे में आप अपने इस वोट बैंक का बंटवारा करके अपना नुकसान नहीं करने वाली है। अगर कांग्रेस से आप गठबंधन करेगी तो इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। दूसरी तरफ पार्टी कांग्रेस के वोट को तोड़कर ही सत्ता में आई थी ऐसे में वो दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई जोखिम नहीं ले सकती है। शरद पवार के घर हुई इंडिया गठबंधन की मीटिंग के बाद आप ने कांग्रेस के साथ अब राहुल गांधी से भी दूरी बनाने की कोशिश की है। यानी इंडिया गठबंधन के नेता के तौर पर आप पूरी तरह से ममता बनर्जी के साथ खड़ी दिख रही है। दिल्ली में भले ही छोटा प्रदेश है लेकिन केजरीवाल ने अपने पोस्ट से बड़ा संदेश कांग्रेस को दे दिया है।

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