रंगदारी और अपहरण के मामले में बाहुबलि धनंजय सिंह को 7 साल की जेल
यूपी में जब से सीएम योगी सत्ता में आए हैं तब से मानों माफियाओं-अपराधियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है...उनके जीवन पर ग्रहण सा लग गया है...कब-कहां उनकी जीवनलीला समाप्त हो जाए किसी को नहीं पता...और इसका जीतता जागता उदाहरण कोई और नहीं बल्कि यूपी का सबसे बड़ा गुंडा, माफिया और बाहुबलि अतीक अहमद ही है...एक समय था तब अतीक अहमद की तूती बोलती थी लेकिन योगी की सरकार आते ही उसकी सारी माफियागिरी धरी की धरी रह गई और आखिर में अंत ऐसा हुआ जो उसने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा होगा...वहीं अब कुछ ऐसा ही हाल है धनंजय सिंह का...जी हां जौनपुर से पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह को अपहरण व रंगदारी मामले में विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए 7 साल जेल की सजा सुनाई है...सपा की सरकार में पलने वाले इस माफिया का भी अंत अब दूर नहीं है...तो चलिए आपको आज धनंजय सिंह के राजनीतिक करियर से लेकर बाहुबलि बनने के पीछे की पूरी कहानी बताते हैं...
बीते तीन दशक से उत्तर प्रदेश की सियासत में बाहुबली धनंजय सिंह को पहली बार किसी केस में सजा सुनाई गई है...नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण और रंगदारी वसूली के मामले में जौनपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने धनंजय सिंह और उसके साथी संतोष विक्रम सिंह को 7 साल की सजा और 50,000 का जुर्माना लगाया है...कभी उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर में मारे जाने की झूठी कहानी से बाहुबली बने धनंजय सिंह पर 43 मुकदमे दर्ज थे, लेकिन आज सिर्फ 10 मुकदमे लंबित हैं...यह पहला मामला है जब धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई गई है...अदालत के इस फैसले के साथ धनंजय सिंह के राजनीतिक सफर पर भी ब्रेक लग गया है...बता दें धनंजय सिंह के खिलाफ ये मामला नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 2020 में दर्ज कराया था...उन्होंने आरोप लगाया था कि संतोष विक्रम ने दो साथियों के साथ उनका अपहरण किया और धनंजय सिंह के बंगले पर ले गए...इसके बाद धनंजय सिंह ने उनसे नमामि गंगे प्रोजेक्ट की क्वालिटी पर सवाल उठाते हुए रंगदारी की मांग की...जिसके बाद जदयू नेता धनंजय सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था...
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