डॉ सानिया प्रसिद्ध कॉस्मेटोलॉजिस्ट से खास बातचीत
हेल्थ पॉइंट में राजधानी लखनऊ की प्रसिद्ध कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ सानिया से खास बातचीत
आज हम करेंगे मेलास्मा यानि झाइयों पर विशेष चर्चा
एक समय था कि जब हम अपनी त्वचा के प्रति उतने गंभीर नहीं रहते थे और शायद जरुरत भी नहीं पड़ती थी उसका महत्वपूर्ण कारण उस समय का संतुलित और शुद्ध खानपान था। पर आज के समय में अमूनन त्वचा की समस्याये आम हो चुकी है क्योंकि न वो संतुलित जीवनशैली है न वो शुद्ध खानपान और न ही तनाव मुक्त जीवन।
आज की इस महत्वपूर्ण चर्चा में हमने त्वचा यानि स्किन से जुडी एक समस्या को लेकर बात की। वो समस्या है झाइयां यानि मेलास्मा
डॉ सानिया ने झाइयां यानि मेलास्मा पर बहुत ही अहम जानकारी दी। तो जानते हैं झाइयों पर महत्वपूर्ण जानकारी
झाइयां या मेलास्मा क्या होती हैं?
राजधानी के प्रसिद्ध हॉस्पिटल में शुमार न्यू आभा हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉ सानिया ने बताया कि झाइयां यानि मेलास्मा एक प्रकार का स्किन पिगमेंटेशन होता है। मेलाज्मा में आपके चेहरे पर भूरे या काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। जानकारी के मुताबिक आज के समय 50 प्रतिशत महिलायें झाइयों से परेशान हैं। कुछ को ये समस्या प्रेगनेंसी से पहले होती है तो कुछ को प्रेगनेंसी के बाद।
झाइयों यानि मेलास्मा के कारण क्या क्या हैं?
इसके बारे में बोलते हुए डॉ सानिया ने कहा कि बैसे तो बहुत सारे कारण इस बींमारी के होते हैं पर कुछ ऐसे कारण है जो इस संमस्या को आगे बढ़ाने में मददगार होतें हैं। डॉ सानिया ने कहा कि सूरज की रौशनी, र्भनिरोधक गोलियां, गर्भाधान के समय असंतुलित दिनचर्चा, पीसीओडी की दिक्कत, एनवायरनमेंट चेंज, मोबाइल रेडिएशन, फेस ब्लीच, स्किन लाइटनिंग क्रीम , फेयरनेस क्रीम या अन्य फेस क्रीम के साथ साथ कम नींद लेना और ठीक तरह से चेहरे को न धुलना और तनाव के साथ रहना इस समस्या के मुख्य कारण है जिससे अगर बचाव करना है तो जीवनशैली को संबसे पहले संतुलित करना होगा। फेयरनेस क्रीम के बारे में अहम जानकारी देते हुए डॉ सानिया ने कहा कि फेयरनेस क्रीम में स्टेरॉयड होता है जो हमारी स्किन ही नहीं बल्कि शरीर को भी नुकसान पहुंचाता है।
क्या हैं मेलास्मा के घरेलू उपचार?
जिस पर बोलते हुए डॉ सानिया ने कहा कि दही, बेसन, नींबू, सेब, आलू, एलोवेरा और हल्दी का चिकित्सीय परामर्श के साथ समयानुसार उपयोग करके ,झाइयों का इलाज कर सकते हैं।
इसके अलावा अन्य उपचार के बारे में बोलते हुए डॉ सानिया ने कहा कि केमिकल पील, लेज़र तकनीक,ये वो तकनीक है जिनका उपयोग करके आप मेलास्मा या झांइयों का सफल उपचार कर सकते हैं। इसके अलावा इसके उपचार में पीड़ित लोग विटामिन सी सीरम,ग्लूटाथियोन सीरम और सनस्क्रीन क्रीम का उपयोग करके झाइयों का बेहतर निदान कर सकते है।सनस्क्रीन क्रीम के बारे में जानकारी देते हुए डॉ सानिया ने बताया कि आजकल बाजार में कई तरह की सनस्क्रीन उपलब्ध हैं पर हमको इसमें भी सावधानी देने की जरुरत है कि क्योंकि हमको सनस्क्रीन क्रीम के बारे में बताया कि 20 प्लस सनस्क्रीन नुकसानदेह है। इसके लिए आपको बाजार में उपलब्ध 50 प्लस या 60 प्लस सनस्क्रीन क्रीम ही लगानी चाहिए। इस अलावा लेज़र तकनीक की चर्चा करते हुए डॉ सानिया ने बताया कि पिको लेज़र तकनीक बेहतर लेज़र थेरेपी है जिसके साइड इफ़ेक्ट नहीं हैं।
कितना होता है मेलास्मा के उपचार का खर्च
वहीं इलाज के खर्च के बारे में बोलते हुए राजधानी के प्रसिद्ध हॉस्पिटल में शुमार न्यू आभा हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉ सानिया ने कहा कि अमूनन लोग 10 सिटींग ट्रीटमेंट की बात करते हैं। जिसमे प्रति ट्रीटमेंट तीन हज़ार रुपये आता है यानी 30000 तीस हज़ार खर्च बताया जाता है पर 5 सिटींग ट्रीटमेंट में ही झाइयों का सफल इलाज हो जाता है। मै पांच सिटिंग में ही पूरा इलाज कर देती हूँ जिसमे खर्च आधा ही यानि सिर्फ 15000 ही आता है।
अंत में मेलास्मा पर अपनी बात रखते हुए डॉ सानिया ने कहा कि अगर झाइयों को नहीं आने देना है तो अच्छी नींद लीजिए, संतुलित आहार के साथ तनाव मुक्त जीवन जीने का प्रयास करिये। जिससे आप झाइयों ही नहीं कई बीमारियों से दूर रहेंगे।
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