एक प्रदर्शनकारी की मौत को इतना तवज्जों क्यों दे रही पंजाब सरकार
किसान आंदोलन में आज तो कुछ नहीं हुआ, पंजाब हरियाणा के बॉर्डर पर कोई हलचल तो नहीं हुई, न ही कोई आंसू गैस के गोले चले और न ही किसानों और पुलिस के बीच कोई टकराव हुआ...लेकिन ये सब सुनकर ये न मान लीजिएगा कि आगे भी कुछ नहीं होगा या किसानों का ये आंदोलन खत्म हो गया है..क्योंकि अब एक नया मामला इससे जुड़ गया है...और ये मामला है पंजाब के एक 22 साल के लड़के की मौत का...जिसके बारे में ये दावा किया जा रहा है कि उसकी मौत किसान आंदोलन में प्रदर्शन के दौरान हुई...इसको लेकर किसान संगठन हरियाणा पुलिस पर कई तरह के आरोप लगा रहे हैं...लेकिन हरियाणा पुलिस का अलग दावा है...वैसे तो शुभकरण सिंह, जिसकी मौत हुई है, उसकी मौत की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है...लेकिन किसानों का दावा है कि हरियाणा पुलिस से टकराव के दौरान शुभकरण सिंह की मौत हुई...खनौरी बॉर्डर पर शुभकरण सिंह के सिर में गोली मारी गई, ऐसा दावा किया जा रहा है...किसान संगठन का कहना है कि पुलिस ने गोली मारकर शिवकरण सिंह की हत्या कर दी..दोषी पुलिसवालों के खिलाफ केस चलना चाहिए...लेकिन दूसरी तरफ हरियाणा पुलिस ने ये दावा किया था कि किसी प्रदर्शनकारी की मौत नहीं हुई थी...हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि शुभकरण सिंह की मौत के पीछे असली वजह क्या है...और इसके लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है...वहीं जिस किसान युवा की मौत ने किसान आंदोलन पर ब्रेक लगा दिया है वो भटिंडा जिले के बागौन गांव का रहने वाला था..और गरीब किसान परिवार से था,परिवार में कमाने वाला भी वो अकेला था, चाचा के साथ खेती करता था...
तो वहीं दूसरी तरफ इस मामले को लेकर राजनीति होने लगी...विपक्ष के नेताओं को चुनावी माहौल में अपने लिए माहौल बनाने का मौका मिल गया...पंजाब की आम आदमी सरकार यानि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान सिंह ने मृतक के परिजनों को 1 करोड़ रुपए मुआवजा देने का एलान किया है...1 करोड़ रुपए को छोटी मोटी रकम नहीं है...वो भी उसे देना जिसकी मौत कैसे हुई इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ...दरअसल, इसके पीछे सवाल ये कि इस आंदोलन में जो व्यक्ति मारा गया क्या वो किसानों के हित में प्रदर्शन कर रहा था, क्योंकि अगर ये किसानों के हित में या देश हित में होता तो इस प्रदर्शन की इन लोगों को जरुरत नहीं पड़ती, यूं दंगाईयों की तरफ हथियारों से लैस होकर दिल्ली कूच करने की कोशिश नहीं करते..आराम से शांति से बैठकर, बातचीत करके इस समस्या का हल निकाला जा सकता है...इसलिए ये सवाल उठ रहा है कि वो शख्स सच में किसान था या प्रदर्शनकारी...और अगर प्रदर्शनकारी है तो पंजाब सरकार इस प्रदर्शनकारी को इतना तवज्जों क्यों दे रही, क्यों 1 करोड़ रुपए का मुआवजा दे रही है...और अगर ऐसा है तो आम आदमी पार्टी अपने निजी फायदे के लिए देश में गलत उदाहरण पेश कर रही है, कि देश में दंगा करने वाले को इतना सम्मान मिलेगा, और देश में दंगा फैलाने के दौरान अगर उसकी मौत हो जाती है तो उसे मुआवजा भी दिया जाएगा...या फिर कहीं इसके पीछे सरकार का अपना हित तो नहीं या फिर सिर्फ किसानों को मोहरा बनाकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही और किसानों को भड़का रही है...क्योंकि जिस तरह से पंजाब सरकार एक प्रदर्शनकारी पर इतना महरबान है उससे तो यही लग रहा है...
और दूसरी तरफ ये सवाल उन किसान संगठनों से भी होना चाहिए जो इन युवाओं को इस आंदोलन में घसीट रहे हैं...शुभकरण के दोस्त का कहना है कि किसान संगठन के फोन करके पर ही शुभकरण इस किसान आंदोलन में शामिल हुआ था...जहां पहले से ही खतरा साफ दिख रहा था...अगर ऐसे युवाओं को आंदोलन में घसीटा जाएगा तो उनका घर कौन चलाएगा..कल तक तो किसान दिल्ली जाने की बात कर रहे थे और आज शुभकरण की मौत के बाद आंदोलन पर ब्रेक लगा दिया...यही काम पहले भी तो हो सकता था...शायद उसकी जान बच जाती, इतना ही नहीं किसान नेता खुद भी जानते थे कि जिस तरह की तैयारी वो करके आए हैं उससे बवाल होना तो तय है...क्योंकि ऐसा नहीं है कि सरकार किसानों की बात को नहीं सुन रही है, सरकार पहले ही किसानों को ऑफर दे चुकी है लेकिन किसानों ने ही सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया...इस बात को किसान संगठन भी जानते हैं कि वो आराम से बैठकर इस बातचीत का हल निकाल सकते हैं लेकिन उसके बावजूद वो आंदोलन पर उतारू हैं...आखिर किसान संगठन की कोई जिम्मेदारी है कि नहीं...कब तक वो आंदोलन की आड़ में देश में दंगा फैलाते रहेंगे और देश के किसानों को बदनाम करते रहेंगे...इन सब को समझने की जरूरत है...
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