अर्यमा ने मेहनत व लगन से डाक्टर बनने का सपना किया साकार

गोण्डा : जीवन में मेहनत, हिम्मत और लगन से बड़ी से बड़ी कल्पना साकार होती है। सच्ची लगन तथा सच्चे उद्देश्य से किया हुआ प्रयास कभी निष्फल नहीं होता है। बिना कठिन परिश्रम के सफलता पाना असंभव है।  यह चरितार्थ  कर दिखाया शहर के महराजगंज निवासी अरविंद श्रीवास्तव एवं रोली श्रीवास्तव की पुत्री अर्यमा श्रीवास्तव ने। विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद भारत में विदेशी  विश्वविद्यालय से मेडिकल की डिग्री लेने वाले छात्रों को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (एफएमजीई )पास करना जरूरी होता है। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन की आंकड़ों के मुताबिक औसतन करीब 20 फ़ीसदी छात्र यह परीक्षा पास कर पाते हैं। विदेश से मेडिकल डिग्री हासिल करने वालों को भारत में प्रेक्टिस करने के लिए यह परीक्षा पास करना जरूरी है। यह परीक्षा एनबीई लेती है, अर्यमा ने प्रथम प्रयास में ही मेडिकल काउंसिल के द्वारा आयोजित   एफएमजीई की परीक्षा पास कर ली। इन्होंने प्राथमिक शिक्षा शहर के प्रतिष्ठित फातिमा स्कूल में की है। इनके पिता  समाजसेवी एवं डायग्नोस्टिक सेंटर के संस्थापक हैं एवं मां फातिमा स्कूल में शिक्षिका है।अर्यमा की सफलता पर परिवार के साथ सभी सगे संबंधियों में हर्ष व्याप्त है।

रिपोर्टर : राजेश कुमार जायसवाल 

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