वाराणसी में हिंदुओं की बड़ी जीत , अब Gyanvapi के व्यास तहखाने में मिला पूजा का अधिकार
भारत जैसे में देश में इस वक्त हिदुत्ंव का डंका बज रहा है . एक के बाद एक हिंदुओं को खुशी का जश्न मनाने का मौका मिल रहा है .आज फिर देशभर के हिंदुओं की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है, क्योंकि एक और जंग में हिंदुओं को जीत मिली है. ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने व्यास परिवार को तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया है.कोर्ट ने सात दिनों में पूजा करने के लिए बैरिकेडिंग को हटाने के निर्देश दिए है. साथ ही ये भी कहा कि तहखाने की साफ-सफाई कराई जाए. देखा जाए तो ये फैसला ऐसे वक्त में आया है , जब एक तरफ राम मंदिर का भी बोलबाला है , तो दूसरी ओर वाराणसी में भी मस्जिद के अंदर पूजा पाठ की अनुमति हिंदुओं को मिल गई है . हालांकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से इसको लेकर आपत्ति जता दी गई है . कहा जा रहा है , व्यास तहखाना मस्जिद का पार्ट है.. ऐसे में वहां पूजा-पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती है.चलिए अब आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर ज्ञानवापी का मुद्दा है क्या -
वाराणसी में हिंदु मुस्लिम की जंग बड़े लंबे समय से चल रही है . एक तरफ है भगवान शिव का काशी विश्वनाथ मंदिर , तो उसी से सटी है ज्ञानवापी मस्जिद ..जिसकी बाहरी दीवाल पर शृंगार गौरी के मंदिर होने का दावा किया जाता है . कहा जाता है कि मुगल आक्रांता औरंगजेब ने 1669 में मंदिर को तुड़वाकर इस मस्जिद का निर्माण कराया था.और यही दावा ज्ञानवापी विवाद की जड़ है. अब ज्ञानवापी मस्ज़िद में एक तहखाना है, जिसमें एक देवता के विग्रह की पूजा का काम सोमनाथ व्यास किया करते थे. दिसंबर 1993 में राज्य की मुलायम सिंह यादव सरकार के मौखिक आदेश पर तहखाने में पूजा पाठ पर रोक लगाते हुए तहखाने को सील कर दिया गया. बाद में इसकी बेरिकेटिंग भी कर दी गई. व्यास जी यानी सोमनाथ व्यास ने अपने 2 साथियों रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय के साथ मिलकर ज्ञानवापी परिसर में रकबा संख्या 9130, 1931 और 1932 के अधिकारी संबंधी याचिका डाली थी.इस याचिका में अर्जी नंबर 9130, 31,32 को आदि विशेश्वर की संपत्ति बताई गई थी. 1993 से तहखाना बंद रहा और कस्टोडियन के तौर पर वाराणसी के ज़िलाधिकारी के पास तहखाने की चाभी रखी रही. साल 2016 में सोमनाथ व्यास के नाती शैलेन्द्र पाठक ने वाराणसी कोर्ट में याचिका डालकर अपनी संपत्ति वापस मांगी थी.हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद में भगवान शिव का स्वंयू ज्योर्तिलिंग है. इसे लेकर 1991 में पहला मामला दायर किया गया था. पिछले 32 साल से लगातार मुकदमा चल रहा है. बीते सालों में मस्जिद के वजूखानों में शिवलिंग होने का दावा किया गया .
फिलहाल इस मामले में आज वाराणसी की जिला अदालत के जज ने कहा है कि जो व्यास जी का तहखाना है, अब उसके कस्टोडियन वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट हो गए हैं, इसीलिए विश्वनाथ मंदिर के जो पुजारी हैं वह उस तहखाना के साफ-सफाई करवाएंगे. वहां जो बैरिकेडिंग लगी हुई है, उस बैरिकेडिंग को हटाएंगे और फिर वाराणसी मंदिर के पुजारी ब्यास तहखाने के अंदर नियमित रूप से पूजा करेंगे.
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