कम लागत में करनी है मुनाफे वाली खेती तो, यहां देखिए

जीरा एक ऐसी कृषि उपज है, जो किसानों के लिए काफी मुनाफे का सौदा बन सकती है, खासकर यदि वे इसे सही तरीके से उगाएं और विपणन करें। जीरा की डिमांड घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दोनों जगह काफी है, और इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है, जो किसान को अच्छा मुनाफा देने का मौका प्रदान करता है।

इसके अलावा, जीरे की खेती में लागत भी कम आती है और यदि किसानों को सही तकनीकी सहायता मिल जाए, जैसे कि बेहतर बीज, सिंचाई तकनीक, और विपणन के लिए अच्छे प्लेटफॉर्म, तो वे इसका अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
इसकी खेती के लिए सूखा और गर्म मौसम आदर्श होता है, जिससे यह विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात, और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में ज्यादा उगाई जाती है। अगर किसानों को कृषि योजनाओं और बजट से सही तरह की मदद मिलती है, तो वे जीरे की खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

जीरे की खेती के लिए इन बातों का रखें ध्यान

1. भूमि का चयन और तैयारी

जीरे की खेती के लिए हल्की, रेतीली और जल निकासी वाली मिट्टी आदर्श होती है।
मिट्टी का पीएच 7 से 8 के बीच होना चाहिए।
भूमि की अच्छी तैयारी जरूरी है। इसे अच्छे से खुदाई करके समतल और उपजाऊ बनाना चाहिए, ताकि बीज अच्छी तरह से फैल सके।

2. सही समय पर बुवाई

जीरे की बुवाई गर्मी के मौसम में करनी चाहिए, आमतौर पर फरवरी-मार्च के बीच।
बुवाई का समय स्थानीय जलवायु और मौसम के हिसाब से तय करना चाहिए, ताकि बीज को सही विकास मिल सके।

3. बीज और बीज दर

जीरे की अच्छी किस्म का चयन करें। भारत में कई किस्में उपलब्ध हैं, जैसे 'RZ-19', 'GC-4', आदि।
बीज की दर प्रति हेक्टेयर लगभग 4-5 किलो होनी चाहिए।

4. सिंचाई

जीरा सूखा सहनशील है, लेकिन पौधों को बढ़ने के दौरान हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है।
बुवाई के बाद, 2-3 सिंचाई पर्याप्त होती है, खासकर फूल आने और फल बनने के समय।

5. खाद और उर्वरक

बुवाई से पहले, खेत में अच्छे गुणवत्ता की जैविक खाद (जैसे गोबर की खाद) डालें।
रासायनिक उर्वरकों का सही संतुलन बनाए रखें। सामान्य तौर पर, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित मिश्रण उपयुक्त होता है।

इन बातों को ध्यान में रखकर जीरे की खेती को बेहतर बनाया जा सकता है। क्या आपने जीरे की खेती करने का विचार किया है?

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