झारखंड में फिर से होने जा रहा है खेला , बीजेपी आई टेंशन में
झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की कड़ी हार के बाद, राजनीतिक गलियारों में एक नई और दिलचस्प चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। बीजेपी की हार के बाद जहां पार्टी खुद अपनी कमियों का आकलन कर रही है, वहीं दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और सीता सोरेन की घर वापसी की अटकलें तूल पकड़ रही हैं। चुनाव परिणामों के बाद बीजेपी नेतृत्व की तरफ से हार की समीक्षा की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। 30 नवंबर और 1 दिसंबर को रांची स्थित बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में ताबड़तोड़ समीक्षा बैठकों का दौर चला, जिसमें संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने सभी हारे हुए उम्मीदवारों से वन-टू-वन बातचीत की..मगर खास बात थी कि इस बैठक में सीता सोरेन गायब थी . वहीं , इस सियासी गतिविधि के बीच एक और मसला गरमाता जा रहा है, और वह है झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और सीता सोरेन की वापसी!ऐसे में चलिए बताते हैं कि क्या वाकई चंपई सोरेन और सीता सोरेन फिर हेमंत सोरेन के साथ आने वाले हैं -
झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद सियासी गलियारों में एक नई चर्चा गर्म हो गई है। बीजेपी ने हार की समीक्षा के लिए बैठकों का दौर शुरू किया, लेकिन इसके बीच ही सीता और चंपई सोरेन की JMM में वापसी की अटकलें फिर से जोर पकड़ने लगी हैं।JMM के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने चंपई और सीता सोरेन के बारे में नरम रुख अपनाया। उन्होंने कहा,
"चंपई सोरेन हमारे अभिभावक हैं, और सीता भाभी तो परिवार का हिस्सा हैं।"
इसका मतलब यह है कि JMM में इन दोनों नेताओं के प्रति सम्मान बरकरार है, और पार्टी उनके बारे में सकारात्मक सोच रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले का अंतिम अधिकार हेमंत सोरेन और गुरु जी के पास है।वहीं , बीजेपी की हार के बाद 30 नवंबर और 1 दिसंबर को हुई समीक्षा बैठक में सीता सोरेन की अनुपस्थिति ने सियासी हलचल बढ़ा दी। बीजेपी के सांसद प्रदीप वर्मा ने इसे निजी कारणों से हुई अनुपस्थिति बताया, लेकिन इसने एक सवाल खड़ा कर दिया कि क्या सीता सोरेन का मन बीजेपी में नहीं लग रहा?
वहीं दूसरी तरफ JMM में उन नेताओं को वापस शामिल करने की बात हो रही है जिन्होंने पार्टी छोड़ी थी, और इस सूची में चंपई सोरेन और सीता सोरेन के नाम भी शामिल हैं। हालांकि, JMM के पूर्व नेता लोबिन हेम्ब्रम ने साफ किया कि वह पार्टी में वापस नहीं लौटेंगे। फिर भी, चंपई और सीता सोरेन की वापसी को लेकर अटकलें तेज हैं।
देखा जाए तो JMM में सीता और चंपई सोरेन की संभावित वापसी पर चर्चाओं का दौर जारी है, लेकिन यह सियासी हलचल सिर्फ अफवाहों तक सीमित नहीं है। पार्टी का नरम रुख और नेताओं के बीच चल रही बातचीत यह संकेत देती है कि उनके लिए दरवाजे खुले हो सकते हैं। हालांकि, अंतिम फैसला झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व पर निर्भर करेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सियासी समीकरण कैसे बदलते हैं और क्या चंपई और सीता सोरेन का कमबैक झारखंड की राजनीति में नई ताकत और दिशा लेकर आता है। राजनीति के इस बड़े ट्विस्ट में समय ही बताएगा कि किसे मिलती है जीत और किसकी होती है हार!
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