प्राकृतिक की गोद में निर्मित है बेतला का धरोहर पलामू किला
लातेहार : झारखंड उस अमूल्य धरोहर का नाम है जहां आज भी 21वीं सदी की भाग दौड़ में फंसी मानव शैली को सहज की प्राकृतिक सुषमा का आभास का हो जाता है ।जहां आज भी वैज्ञानिक युग में झरनें , पहाड़ , वन और वन में जीव से वो सच्चाई है जिसकी ममतामय गोद में इस राज्य की आबादी आबाद है । और जहां आज भी आधा से ज्यादा प्राकृतिक संकटों का मोल फूल ,। पत्तियों और वन में जीवों के आपसी तालमेल की आवाज़ों से ही हर लेती हैं। जिसके वर्णन के लिए पर्यटकों के पास भी शब्द नहीं ।परिवार के साथ अगर आप नए साल की छुट्टी मनाना चाहते है तो आप आए . बेतला नेशनल पार्क आपके लिए यादगार छुट्टी हो सकता है. जहां आप परिवार के सभी सदस्यों के साथ घूमने आ सकते है। बेतला राष्ट्रीय उद्यान के भीतर और आसपास का क्षेत्र भी ऐतिहासिक महत्व से समृद्ध है। पार्क की सीमाओं के भीतर कई किले हैं, जो चेरो राजवंश के काल के माने जाते हैं, जो इतिहास प्रेमियों के लिए दिलचस्पी का विषय हो सकते हैं। कुल मिलाकर, बेतला राष्ट्रीय उद्यान एक महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्य और एक महत्वपूर्ण पर्यावरण-पर्यटन स्थल के रूप में कार्य करता है, जो पूर्वी भारत में जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल वन्यजीव संरक्षण का समर्थन करता है बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले पारिस्थितिक अनुभवों के माध्यम से जागरूकता और शिक्षा को भी बढ़ावा देता है।जहां आपको जंगल सफारी के साथ रात्रि विश्राम के लिए उचित प्रबंध है.दिसंबर और नए साल मानने पलामू टाइगर रिजर्व अंतर्गत विभिन्न पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों की भीड़ लगने लगती है.। यहां पर्यटक को कई मनोरंजक और वाइल्ड लाइफ से जुड़े स्थान है. बेतला नेशनल पार्क राष्ट्रीय धरोहर है. पर्यटकों को यहां जंगली जानवर और प्रकृति का अद्भित सौंदर्य देखने को मिलेगा.
यह वन्य क्षेत्र न सिर्फ वाइल्ड लाइफ का रोमांचक अनुभव देता है, बल्कि एक समृद्ध जनजातीय विरासत की गहरी अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है। बेतला उद्यान पूर्व के सबसे शानदार नेशनल पार्क में गिना जाता है झारखंड स्थित पलामू जिले के पहाड़ी इलाको में फैला बेतला राष्ट्रीय उद्यान भारत के पुराने नेशनल पार्क में से एक है, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता के बल पर दूर-दराज के सैलानियों को यहां आने का आमंत्रण देता है। इस उद्यान में आपको जंगली हाथी बिना किसी रोक टोक के घूमते-फिरते दिख जाएंगे।
1973 में एक वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर रिजर्व बनने वाला यह भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था।
बेतला पार्क टाइगर परियोजना के तहत बाघ आरक्षित होने के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय पार्कों में से एक बेतला पार्क है।
शुरू में पलामू बाघ अभयारण्य के 1,026 वर्ग किमी शामिल हैं, एक अतिरिक्त 226 वर्ग कि.मी. 1 9 8 9 में पार्क और महुआडांड़ भेड़िया अभयारण्य के 63 वर्ग किमी में शामिल किया गया था। टाइगर परियोजना के तहत बाघ आरक्षित होने के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय पार्कों में से एक बेतला पार्क है। पार्क वन विभागों के प्रशासन के अधीन है।
पार्क के जंगलों में जड़ी बूटियों की एक विशाल भंडार है
पार्क के जंगलों में वनस्पति की एक विशाल भंडार है 180 प्रजाति के औषधीय पौधे पाए जाते हैं।जिसमें निचले इलाकों में उष्णकटिबंधीय गीला सदाबहार वन हैं, मध्य और समशीतोष्ण अल्पाइन जंगलों में मिश्रित (नम और शुष्क) पर्णपाती जंगलों में ऊपरी हिस्से में सैल और बांस शामिल हैं जिनमें प्रमुख घटक हैं कई औषधीय पौधों के साथ कोयल नदी के बहने वाले क्षेत्र में घास के मैदान हैं ।
पार्क में विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर हैं।
पार्क में विभिन्न प्रकार के ईको-प्रणालियां और बहुत से जंगली जानवर हैं। बड़ी संख्या में हाथियों को मानसून के बाद ज्यादातर बार देखा जाता है जब मार्च में जल का स्त्रोत सूखना शुरू हो जाता है। स्थायी निवासियों में हाथी हिरन वन भैंसा मोर पैंथर, जंगली भालू और भेड़िया शामिल हैं। सियार और हाइना सामान्य स्वैच्छिक हैं गौर और चित्तल के बड़े झुंड सामान्यतः देखा जाता है। लंगर्स के बड़े परिवार एक वर्तमान आकर्षण हैं, जैसे रीसस बंदर। पार्क में पाए जाने वाले अन्य जानवरों में माउस डियर, सांभर, चार सींग वाले प्राचीन गोला, नीलगाई, ककर, छोटे भारतीय सिव्टेस, चींटी खाने पैंगोलिन, साहीमो और मोंगोज हैं।
बेतला पार्क में है कई सुंदर पक्षियों का डेरा 174 प्रजातियों के पक्षी, 39 स्तनधारी, हैं।
पार्क की समृद्ध बर्ड लाइफ़ में हॉर्नबिल, मोहरे, लाल जंगल फ़ॉवल, काली आट्रिज, व्हाइट-गर्दन वाले स्टॉर्क, ब्लैक इबिस, दलदल ग्रे, बटेर, पेड हॉर्नबिल, वेगाटल्स, हियाल, कबूतर, ड्रोंगो, क्रेस्टेड सर्प-ईगल, फ़ॉरेस्ट बटुआ, पेपेहा और अन्य पक्षियों को आमतौर पर शुष्क पेड़ोंदार वनों में पाया जाता है। प्रसिद्ध कमलदाह झील में कई तरह के पानी के पक्षियों को आकर्षित किया जाता है जिनमें आम सीटी और कपास की चटनी, कंघी बतख, सांप और हंस शामिल हैं।
बेतला पार्क के पास ही स्थित है प्राचीन ऐतिहासिक पलामू किला
बेतला नेशनल पार्क से तीन किलोमीटर पूर्व की ओर रबड़ गांव के फुलवरिया टोला औरंगाबाद नदी के तट पर जाना पड़ता है. पार्क के अंदर दो ऐतिहासिक किले तथा झरने और हॉट स्प्रिंग्स हैं। इनमें से एक, 400 फुट (120 मीटर) में बेतला के पास स्थित है,
राजा का पहला किला मैदानी इलाके में है.वहीं दूसरा पहाड़ी पर स्थित है.जहां औरंगा नदी पार कर शैलानी पहुंचते है.
जो 16 वीं शताब्दी में चेरो राजा के द्वारा बनाया गया था। यह अब घने जंगल के स्थित है, यह किला भारत के सबसे प्राचीन किलों। में शामिल है, जिसे 'पुराना किला' और 'नया किला' के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, कई स्थानीय लोग इसे 'चलानी किला' भी कहते हैं। कहा जाता है कि इस किले को राजा मेदिनी राय ने बनवाया था और यह चेरो राजवंश के राजाओं की देन है। इसके अलावा, कहा जाता है कि इस किले का काफी ऐतिहासिक महत्व रहा है, जिसका निर्माण दुश्मनों से रक्षा करने के लिए करवाया गया था। आसपास दो किले हैं कहा जाता है कि मैदानी इलाकों में मूल किला और दूसरे से सटे पहाड़ी पर चेरो वंश के राजाओं का किला है।इसके अलावा, किले का निर्माण चूने और सुरखी मोर्टार से किया गया है। इसके अलावा, इस किले के मुख्य द्वार को नागपुरी शैली में निर्मित किया गया है। इसलिए इस किले में प्रवेश द्वार को नागपुरी गेट के नाम से भी जाना जाता है।
अगर हम बात करें इसकी वास्तुकला की, तो आपको बता दें कि इस किले की वास्तुकला में इस्लामिक शैली में निर्मित की गई है। इस किला को लगभग 3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बनाया गया है। इसमें 7 फीट चौड़ाई के वाले तीन द्वार भी बनाए गए हैं।
यह व्यापक रूप से अपनी प्राचीन खूबसूरत वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस किले की खासियत ये है कि आप इस किले को देखने के साथ-साथ कई ऐतिहासिक चीजों से रूबरू होंगे जैसे- आपको इस किले के आसपास पहाड़ी मैदान मिलेंगे।साथ ही, इस किले के अंदर कई वॉर टॉवर भी मौजूद है। आप यह भी देख सकते हैं।
रात में ठहरने के लिए भी व्यवस्था ट्री हाउस और मड हाउस है।
रात्रि विश्राम के लिए यहां ट्री हाउस और मड हाउस है. जिसकी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से बुकिंग होती है. पर्यटक डायरेक्टर ऑफिस डाल्टनगंज में आकर बुकिंग करा सकते है. साथ हीं रेंज ऑफिस में भी बुक करा सकते है. रात्रि विश्राम के लिए रूम का किराया 2000 रुपए है. कैंटीन की भी सुविधा है जहां एक प्लेट 150 रुपए है. इसमें वेज नॉन वेज दोनों तरह के भोजन पर्यटकों को मिलते है. ऑर्डर के हिसाब से पर्यटकों को मिल जाते है बेतला में तीन सितारा होटल, कैंटीन के साथ पर्यटक लॉज, पूरी तरह से सजाए गए है |
बेतला पार्क घूमने के लिए देनी होगी इंट्री फीस
बेतला नेशनल पार्क में निजी वाहन से आप पार्क का आनंद उठा सकते है. छोटे वाहनों को 5 अंदर जाना प्रतिबंध है. पार्क घूमने के लिए 300 रुपए एंट्री फीस लगती है. इसके साथ 100 रुपए मेंटेनेंस और 150 रुपए गाइड लेते है. अगर पर्यटकों के पास निजी वाहन नहीं है तो इसके लिए पार्क में कई वाहन लगे रहते है. जिसके लिए 650 से बुक कर वाइल्ड लाइफ का मजा उठा सकते है. वाहन से पर्यटकों को पार्क के अंदर 18 से 20 किलोमीटर घुमाया जाता है. पार्क में जाने के बाद 5 रोड एंट्री है किसी रास्ते से पर्यटक अंदर जा सकते है. पार्क के अंदर वॉच टावर भी है, जहां पहले पर्यटक उतरते थे मगर अब गाड़ी से नीचे उतरने पर प्रतिबंध है.बेतला पार्क भ्रमण के लिए जंगल के अंदर प्रवेश करें | वहा एक पेड़ के उपर घर बना हुआ हैं। पेड़ के घर से कुछ गज की दूरी पर एक पानी का सोता है जहां जानवर प्यास बुझाने के लिए ग्रीष्मकाल में इकट्ठा होते हैं।
यहां प्रकृति की गोद में आनंद लेने का मजा आएगा
यहां प्रकृति की गोद में आनंद लेने का मजा आएगा. बेतला नेशनल पार्क हसीन वादियों और भागौलिक परिस्थितियों को करीब से देखने का मौका मिलेगा. पलामू टाइगर रिजर्व झारखंड का पहला टाइगर रिजर्व है. जो ओपन पार्क है इसकी सीमा छत्तीसगढ़ और ओडिशा और बिहार से जुड़ी है. वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में एक अलग आनद आपको देखने को मिलेगा.
कैसे पहुंचेंगे आप बेतला नेशनल पार्क
हवाई मार्ग से ऐसे पहुंचे:
निकटतम हवाई अड्डा(बिरसा मुंडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा), रांची है जो सभी प्रमुख भारतीय शहरों से दैनिक उड़ानों से सीधा जुड़ा हुआ है तथा पटना हवाई अड्डा , सड़क मार्ग द्वारा बेतला से लगभग 250 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है| अधिकांश रिसॉर्ट्स में पिक-अप सुविधाएं हैं | झारखंड पर्यटन के द्वारा अग्रिम बुकिंग पर पिक-अप की व्यवस्था भी करता है।
रेल मार्ग से ऐसे पहुंचे :
बेतला का निकटतम रेलवे स्टेशन बरवाडीह जंक्शन है|यह स्टेशन टैक्सी या बस से 15 किमी दुरी पर स्थित है साथ ही यह डाल्टनगंज, लातेहार, रांची, सासाराम, गया, पटना, वाराणसी, इलाहाबाद, कोलकाता, भोपाल, दिल्ली और अमृतसर से जुड़ा हुआ हैं।
सड़क मार्ग से ऐसे आए
बेतला नेशनल पार्क. यहां आने के लिए बस, टेंपू या फिर निजी वाहन से भी आप आ सकते हैं.
पलामू जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर और रांची से 170 किलोमीटर दूरी पर स्थित है
बेतला सड़क मार्ग से एनएच 39 (दुबियाखाड़) से 15 किमी दूर बेतला स्थित है।
कभी थे 46 बाघ अब है 6 बाघ
वन्यजीव गणना के मुताबिक इस परियोजना के तहत वर्ष 2003 में जहां 36 से 38 बाघ थे, वहीं 2002 में 38 से 40 बाघ होने का दावा किया गया था। इसी तरह वर्ष 2000 और 1999 में 37 से 46 बाघों के होने का वादा 4किया गया था। वहीं 2024 में 6 बाघों की होने की है। पुष्टि।
यहां दो नदियों का संगम है
उत्तरी कोयल और औरंगा नदी के तट पर बसा यह प्राकृतिक स्थान बेहद खूबसूरत है. यहां नदी किनारे बैठकर आप कैंडल लाइट डिनर का लुत्फ उठा सकते हैं।
रिपोर्टर : बब्लू खान
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