पशु चिकित्सा के क्षेत्र में अद्दभुत्त है आदित्य की दीवानगी, हज़ारों पशुओं को अबतक दिया है जीवनदान
चंदवा : लोग जीविकोपार्जन के लिए कई तरह के कार्य कृति हैं लेकिन कुछ लोग थोड़े जुड़ा होते हैं, इनकी दीवानगी और समर्पण जीविका से ऊपर आती है और ऐसा ही है आदित्य के साथ। जिस उम्र में अमूमन युवा अपने शौक़ पूरे करते हैं उस उम्र में आदित्य ने अपना जीवन पशुओ को समर्पित कर दिया है। आदित्य आज चंदवा प्रखंड और लातेहार के विभिन्न क्षेत्रों में घूम-घूम कर पशुओं की सेवा करते हैं। लोग ज़रूरत के अनुसार उन्हें कॉल करते हैं, अपने पशुओं की परेशानी बताते हैं और आदित्य निकल पड़ते हैं उनकी सेवा के लिए अपनी दोपहिया वाहन से। काँपकपाती ठंड हो या चिलचिलाती धूप, चाहे तेज़ बारिश हो रही हो, पशु जीवन को उतना ही महत्वपूर्ण मानते हैं आदित्य जितना इंसानी जान। लोग कभी पैसे देते हैं न हो तो कोई बात नहीं, आदित्य का पहुँचना ही इस बात की गारंटी है कि वह पशु अब सुरक्षित रहेगा। अपनी इस यात्रा के बारे में आदित्य बताते हैं कि उन्हें पशु चिकित्सा की प्रेरणा अपने चाचा भानु शर्मा से मिली जो इस क्षेत्र के प्रख्यात पशु चिकित्सक रहे हैं। उनसे पशु चिकित्सा के गुर सीखे और फिर अब लगे हुए हैं इनकी ज़िंदगी बचाने में। आदित्य कहते है कि वो सामाजिक सहयोग से चंदवा में निःशुल्क एक ऐसा पशु चिकित्सालय बनाना चाहते हैं जहां वो असहाय पशुओं की मुफ़्त चिकित्सा कर सकें। चंदवा में एक पशु चिकित्सालय है जहां अक्सर मूलभूत संसाधनों का अभाव रहता है। यहाँ यह बताना महत्वपूर्ण है कि चंदवा क्षेत्र में पशु चिकित्सा हासीय पर है और एक पशु चिकित्सालय है जहां अक्सर मूलभूत संसाधनों का अभाव रहता है। बताते चलें कि कुछ दिन पूर्व ही लातेहार में पशु एम्बुलेंस की लापरवाही का समाचार सुर्ख़ियों में रहा था, ऐसे में आदित्य की यह सेवा स्थानीय पशु पालकों के लिए एक नयी ऊर्जा के समान है। पशु चिकित्सा की ट्रेनिंग भी ली है । आदित्य ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड से पशु चिकित्सा की ट्रेनिंग भी ली है और उन्हें डॉग ब्रीडिंग, काउ ब्रीडिंग, डॉग ट्रेनिंग, एनिमल रेस्क्यू आदि क्षेत्रों में महारत हासिल है। आदित्य अपनी लगन और पशुओं के प्रति समर्पण के कारण पशु प्रेमियों में ख़ासे लोकप्रिय हैं।आदित्य को आज गांव में बच्चा-बच्चा जानता है, ना जाने कितने पशु आज आदित्य को देखते ही लाड दिखाते हैं और पशु पालक आदित्य के प्रति कृतज्ञता के भाव रखते हैं। आदित्य के इस पशु प्रेम की वजह से आज क्षेत्र में पशु चिकित्सा को न सिर्फ़ एक नयी ऊर्जा मिली है बल्कि पशुधन के संवर्धन को भी बल मिला है जो वाक़ई क़ाबिले तारीफ़ है।
रिपोर्टर : बब्लू खान
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