बड़े काम की ज्वार की रोटी
बड़े काम की ज्वार की रोटी
हमारे देश में लगातार मोटे अन्न को बढ़ावा दिया जा रहा है और ये कोई नयी बात नहीं हमारे पूर्वज गेंहूं की रोटी से मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का, कुटकी और जौ की रोटियों को रोजाना के भोजन में शामिल करते थे।उसके बाद धीरे धीरे समय बढ़ा और हम मोटे अनाज की जगह गेंहू पर निर्भर हो गए क्योंकि हमारे पास न संयुक्त परिवार रहा और न ही इतना समय जो इन मोटे अनाज की रोटियों को बनाने में लगा सके। जबकि ये मोटे अनाज हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं। और तो और आज बाजार में मल्टीग्रेन आटा जो साधारण आटा यानि गेंहू के आटे से महंगा भी है तो यानि कंपनियों को भी इस आटे की उपयोगिता पता है और अब वो आटा अलग व्यवस्था स प्रचारित करते हुए महंगी कीमत पर बेचा जा रहा है। और स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने वाले लोग उसको खरीद भी रहे हैं। तो अवहेने दूसरी तरफ देश की केंद्र सरकार भी श्री अन्न नामक योजना के माध्यम से ,मोटे अनाज को बढ़ावा दे रही है जिससे भारत यानि अपने देश की जनता स्वस्थ रह सके।
खैर ये तो रही बात मोटे अनाज की अब बात बढ़ाते हैं उसी मोटे अनाज मे से ज्वार की तो आपको बता दें कि बाजरा जहां गर्मियों का मोटा अनाज हैं वहीं ज्वार सर्दियों यानि शीत ऋतु में खाने योग्य मोटा अनाज है भले ही हरियाणा पंजाब पश्चिम उत्तर प्रदेश आदि उत्तर भारत में ज्वार की रोटी प्रचलित ना हो लेकिन महाराष्ट्र तेलंगाना आंध्र प्रदेश गुजरात मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से में ज्वार की रोटी घर से लेकर होटल ढाबा आदि पर मिलती है। ज्वार एक सुपरफूड है दुनिया के 30 से अधिक देशों के चार अरब से अधिक लोग इसका सेवन करते हैं।
उत्तर भारत में जहां ज्वार को पशुओं को खिलायी जाती है ,पशुओं को उच्च गुणवत्ता का पोषण मिलता है पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ती है तो वहीं महाराष्ट्र आदि पश्चिम दक्षिण भारत में ज्वार मनुष्यों के खाने के प्रयोग में लाई जाती है मुख्य खाद्यान्न है नतीजा वहां भी स्वास्थ्य का उत्तम लाभ मिलता है।
मोटे अनाजों में सर्वाधिक स्वादिष्ट ज्वार की रोटी मानी गई है ।इसका लो ग्लिसमिक इंडेक्स, त्रिदोष नाशक होना ,उच्च विटामिन व मिनरल फाइबर से युक्त होना इसे गुणकारी बनाता है। मोटापा, डायबिटीज ,उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल ,जीर्ण कब्ज, चर्म रोग में बेहद लाभकारी है ज्वार।यहां तक की अनेक स्टडी में विविध प्रकार के कैंसर रोधी गुण भी इसमें पाए गए हैं । ज्वार स्वास्थ्य व बलवर्धक अनाज है।
ज्वार पुरी तरह हानिकारक ग्लूटेन प्रोटीन से मुक्त अनाज है यह आंतों को स्वस्थ रखता है। जिनको गेहूं जो या चावल आदि से एलर्जी है उनके लिए भी है निरापद अन्न है ज्वार।
लोककिंवदंती है वीर महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाई थी । उल्लेखनीय होगा गेहूं से लेकर सभी खाए जाने योग्य अनाज वनस्पतियों के घास वर्ग में ही आते हैं तो महाराणा प्रताप ने किसी जंगली अन्न का ही सेवन किया था जो ज्वार के समान ही गुणकारी रहा होगा वैसे ऐतिहासिक तौर पर पुष्ट तथ्य है वीर शिवाजी ज्वार की ही रोटी ही खाते थे।
आयुर्वेद की मान्यता है ऋतु अनुसार बदल-बदल कर अन्न खाना चाहिए आहार में विविधता होनी चाहिए एक ही जैसे अनाज का प्रयोग लंबे समय तक नहीं करना चाहिए यह भी रोगों का कारण बन जाता है।
बैसे ज्वार आप खाएंगे तो आपको अलग ही स्वाद मालूम होगा। तो खाते रहिये ज्वार की रोटी और रहिये निरोगी।
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