यूपी की 11 सीटों का चुनावी मैदान अभी भी खाली, कौन करेगा मेजबानी?
देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है...उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें हैं...कहते हैं भी है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है, ऐसे में पार्टियों के लिए यूपी में जीत हासिल करना बेहद अहम हो जाता है...और हो भी यही रहा है...जहां एक तरफ बीजेपी यूपी में दोबारा सत्ता पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी भी एक जुट होकर बीजेपी का किला ढहाने की पुरजोर कोशिश में लगा है...यही कारण है कि पक्ष और विपक्ष दोनों एक से बढ़कर दिग्गज को इस बार चुनावी मैदान में उतार रहे हैं...यूपी की 63 सीटों पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं तो वहीं विपक्ष ने भी कई सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी हैं लेकिन पेंच फंसा है तो अवध की 11 सीटों पर, जी हां दोनों दलों ने यूपी की 11 सीटों पर अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है...जिनमें खासकर कैंसरगंज और वीआईपी सीट रायबरेली और अमेठी सीट शामिल है...तो आइए ऐसे में जानते हैं आखिर क्या वजह है या क्या रणनीति है जो दलों ने अभी तक अपने प्रत्याशियों को रोके रखा है...
देश में 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी...इस बार 7 चरणों में लोकसभा के चुनाव होने हैं..वहीं सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अभी से तैयारियां शुरू हो चुकी हैं...यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं ऐसे में सभी सीटों पर जीत हासिल करना हर किसी दल का सपना है, और कोशिश भी...जहां पहले से सत्ता पर काबिज बीजेपी अपने कुनबे को और बढ़ाने में लगी है और बची हुई सीटों पर जीत पाने की रणनीति बना रही है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल सपा भी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर भाजपा को हराने के लिए पूरी तरह से तैयार है...लेकिन कुछ सीटों पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है...यूपी की 11 सीटों पर अभी भी दोनों दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नही की हैं...सबसे पहले अगर बात करें कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रायबरेली लोकसभा सीट की तो सोनिया गांधी लगातार कई सालों से यहां से सांसद रही हैं...हालांकि इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है...ऐसे में इस बार कांग्रेस किस उम्मीदवार को रायबरेली सीट से उतारेगी इसका सभी को इंतजार है...पहले चर्चाएं थी कि इस बार सोनिया गांधी की जगह उनकी बेटी प्रियंका गांधी चुनाव मैदान में उतरेंगी लेकिन इस पर भी सस्पेंस अभी बरकरार है...तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का गढ़ होने की वजह से बीजेपी भी कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती...बीजेपी रायबरेली में कांग्रेस के किले को ढहाते हुए इस बार किसी भी कीमत पर कमल खिलाना चाहती है...इसलिए चर्चाएं है कि चुनाव में बीजेपी इस बार किसी मजबूत दिग्गज नेता को टिकट दे सकती है जो मैदान में कांग्रेस का मजबूती से सामना कर सके...इसको लेकर पुराने नेताओं को भी परखा जा रहा है जो राजनीति में माहिर रहे हो...2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव पर अगर एक नजर डाले तो इन दोनों चुनावों में बीजेपी के वोट तेजी से बढ़े हैं...पिछले चुनाव में कांग्रेस को रायबरेली में जीतने के लिए दूसरे दल के सहयोग की जरूरत पड़ी थी...लेकिन तब उनकी सबसे ज्यादा मदद करने वाले ऊंचाहार विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. मनोज पांडे पर भाजपा में शामिल हो चुके हैं...ऐसे में रायबरेली सीट पर असमंजस की स्थिति बरकरार है...
वहीं अब बात करें चर्चित कैंसरगंज लोकसभा सीट की तो कैसरगंज के लिए पांचवें चरण में यानी 20 मई को चुनाव होना है..लेकिन
अभी तक भाजपा और विपक्ष ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं...कैंसरगंज सीट पर प्रत्याशी को लेकर सस्पेंस बरकरार है...चर्चाएं हैं कि इस बार बीजेपी बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट सकती है, क्योंकि विगत कुछ महीनों पहले पहलवानों ने बीजेपी सांसद पर गंभीर आरोप लगाए थे...तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर पूर्वांचल में अपना नुकसान नहीं करेगी...पूर्वाचल को साधते हुए एक बार फिर से बृजभूषण शरण सिंह को ही पार्टी अपना प्रत्याशी बनाएगी...इन चर्चाओं का बाजार इसलिए गर्म है क्योंकि बृजभूषण शरण सिंह की देवीपाटन मंडल सहित पूर्वांचल के कई जिलों में अच्छी पकड़ है और जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा बृजभूषण शरण सिंह का टिकट नहीं कटेगा...तो वहीं कुछ का कहना है कि बीजेपी इस बार बृजभूषण की पत्नी या बेटे को टिकट दे सकती है...वहीं सपा और बसपा भी भाजपा के प्रत्याशी घोषित होने का इंतजार कर रही है...ताकि वो भी अपने प्रत्याशी को मैदान में उतार सके...
उधर अमेठी में बीजेपी एक बार फिर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को चुनावी मैदान में उतार चुकी है..2019 के लोकसभा चुनाव में सालों से कांग्रेस का गढ़ रहे अमेठी में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करारी हार दी थी...यहीं कारण है कि कांग्रेस ने अभी तक अमेठी सीट से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है...अब ये डर है या फिर कोई नई रणनीति नहीं पता लेकिन चर्चाएं है कि इस बार राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे...वहीं बसपा की भी दिन पर दिन हालत पतली होती जा रही है...
इसके अलावा बात करें अगर बची हुई 8 लोकसभा सीटों की तो बहराइच सीट से भाजपा ने डॉ. आनंद गोंड और सपा ने रमेश गौतम को टिकट दिया है तो वहीं बसपा ने अभी तक अपने प्रत्याशी का एलान नहीं किया है...अब तक हुए चुनावों में बसपा अपना खाता खोलने में कहीं न कहीं नाकाम रही है...वहीं सुल्तानपुर सीट से बीजेपी ने एक बार फिर मेनका गांधी को टिकट दिया है...तो वहीं सपा ने भीम निषाद को चुनावी मैदान में उतारा हैं तो बसपा अभी तक अपने प्रत्याशी को घोषित नहीं कर पाई है...हरदोई लोकसभा सीट से भाजपा ने सांसद जयप्रकाश रावत तो सपा ने भी पूर्व सांसद ऊषा वर्मा को फिर से प्रत्याशी बनाया है...बसपा ने अभी तक अपने उम्मीदवार का एलान नहीं किया है...वहीं मिश्रिख लोकसभा सीट से भाजपा ने सांसद अशोक रावत को फिर से प्रत्याशी बनाया है...वहीं बसपा अभी तक अपने प्रत्याशी को घोषित नहीं कर पाई है...बात करे गोंडा व श्रावस्ती सीट की तो यहां भी बसपा अपने प्रत्याशी को नहीं उतार सकी है...भाजपा ने गोंडा से वर्तमान सांसद कीर्तिवर्धन सिंह और श्रावस्ती सीट से साकेत मिश्र को टिकट दिया है...वहीं श्रावस्ती सीट से सपा-कांग्रेस गठबंधन ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है...आखिर में बात करे खीरी और धौरहरा लोकसभा सीट की तो 13 मई को यहां मतदान होना है...भाजपा औऱ सपा दोनों की दलों ने यहां अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है लेकिन बसपा ने अभी तक अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है...
No Previous Comments found.