राष्ट्रभक्ति के साथ स्वयंसेवकों ने निकाला पथ संचलन पुष्प वर्षा कर कई स्थानों से किया गया स्वागत

नालछा : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रतिवर्ष विजयदशमी के अवसर पर निकलने वाला पथ संचलन नालछा नगर में नरसिंह मंदिर परिसर से प्रारंभ कर नालछा नगर के प्रमुख मार्गो से भ्रमण करते हुए  पथ संचलन का समापन किया गया। इस दौरान स्वयंसेवकों राष्ट्र भक्ति का प्रदर्शन देते हुए कदम से कदम  मिलाकर अनुशासित तरीके से पथ संचलन किया। पथ संचलन को देखने के लिए नगर के प्रमुख मार्गों  पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी महेश महंत द्वारा की गई।  पथ संचलन के आयोजन में गीत एवं अमृत वचन के बाद आए हुए वक्ता धर्म जागरण जिला संयोजक डॉक्टर घनश्याम जी जाट ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह वर्ष भगवान बिरसा मुंडा जयंती का 150 वा जयंती वर्ष है किस प्रकार भगवान बिरसा मुंडा ने समाज को आदर्श प्रस्तुत करते हुए खुद को धर्म पर निछावर किया!  सौभाग्य से महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती का दिन भी है तो महर्षि वाल्मीकि जी ने किस प्रकार भगवान् लव और कुश को शस्त्र और शास्त्रों का अध्ययन एक साथ करा कर उन्हें शक्तिशाली बनाया और विश्व विजेता भगवान श्री रामचंद्र जी के अश्वमेध घोड़े को चुनौती दी ! वक्ता ने आगे बताया कि किस प्रकार हिंदू समाज को शत्रु बोध और मित्रबोध होना अति आवश्यक है ! शस्त्र और शास्त्रों का सम्यक अध्ययन ना होने के कारण आज हिंदू समाज दुर्गति को प्राप्त हुआ है ! केवल संगठन करने मात्र से काम नहीं चलेगा परंतु संगठन भी एक निश्चित दिशा में उच्च विचारों को साथ में लेकर महापुरुषों के आदर्श को पूजते हुए हमें समाज को आगे बड़ाना होगा ! दशानन रावण आज अपना रूप बदलकर पर्यावरण की समस्याएं, सामाजिक समरसता की समस्याएं, कुटुंब का टूटने से संबंधित छोटे होते परिवार से संबंधित समस्याओं को लेकर अलग रूप में हम लोगों के सामने खड़ा है ! काल्पनिक अहिंसा की रक्षा भी शास्त्र सम्मत हिंसा के द्वारा ही की जाती है ! भगवत गीता जी का उदाहरण देकर बताया कि धर्म रक्षा के लिए युद्ध भी करना पड़े तो करें।

 

रिपोटर अशोक

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