क्या होता है सैटेलाइट फोन , यहां जानिए ..

कभी आपने सोचा है, अगर आपका स्मार्टफोन काम करना बंद कर दे तो क्या होगा? नेटवर्क नहीं है, कनेक्टिविटी गायब है, और आप फिर अकेले पड़ जाते हैं! पर क्या हो अगर आपको ऐसी कोई तकनीक मिल जाए, जो आपको कहीं भी, कभी भी कनेक्ट कर सके? जी हां, हम बात कर रहे हैं सैटेलाइट फोन की! अब ये शब्द सुनते ही आपके दिमाग में शायद कुछ विदेशी और रहस्यमयी सा आ जाता हो, जैसे स्पाई फिल्म्स में जो जासूसों के पास होते हैं। तो चलिए, हम इसे थोड़ा और दिलचस्प तरीके से समझते हैं!

हाल ही में इंद‍िरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक विदेशी महिला सैटेलाइट फोन के साथ पकड़ी गई। और फिर उसके बाद, सभी की जुबां पर था – "यह फोन आतंकवादियों और नक्सलियों से क्यों जुड़ा हुआ है?" सैटेलाइट फोन और आतंकवादियों का एक अजीब सा रिश्ता क्यों बना हुआ है, यह सवाल सभी के मन में गूंज रहा था। तो क्या है ये सैटेलाइट फोन और क्यों इतने ध्यान में रहते हैं?

स्मार्टफोन और सैटेलाइट फोन के बीच का फर्क समझना जितना आसान है, उतना मजेदार भी! आपका स्मार्टफोन एकदम आम है, है ना? आप अपने मोबाइल टावर, 4G, 5G या Wi-Fi के सहारे इंटरनेट पर घूमते हैं, कॉल करते हैं, मैसेज करते हैं। लेकिन जरा सोचिए, अगर वो नेटवर्क गायब हो जाए? आपका स्मार्टफोन एक खूबसूरत पेपरवेट के जैसा बन जाएगा। 

अब आते हैं सैटेलाइट फोन पर! ये फोन सीधे आसमान में उड़ते सैटेलाइट्स से जुड़ते हैं, जैसे सुपरहीरो की ताकत हो। मतलब, इनको किसी मोबाइल टावर की जरूरत नहीं होती, ये सीधे ब्रह्मांड से जुड़ते हैं! जंगल हो, रेगिस्तान हो, समुद्र की गहराई हो या पहाड़ों की ऊंचाई – ये फोन हर जगह काम करता है! 

सैटेलाइट फोन कैसे काम करता है? बस थोड़ी जादुई सी बात है! इसमें एक एंटीना लगा होता है, जो सीधे सैटेलाइट से बात करता है। जब आप कॉल करते हैं या मैसेज भेजते हैं, तो वो सिग्नल एकदम सैटेलाइट तक पहुंचता है। फिर वह सिग्नल दूसरे सैटेलाइट या ग्राउंड स्टेशन के जरिए रिसीवर तक पहुंचता है। यानि, आप पूरी पृथ्वी के चक्कर काटने से पहले सिग्नल पहुंचता है!

तो अगली बार जब सैटेलाइट फोन का नाम सुने, तो याद रखिए, यह वह जादुई डिवाइस है, जो हमें कहीं भी, कभी भी कनेक्ट कर सकता है – बिना किसी नेटवर्क टावर के! 

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