अंबेडकर कोई सहानुभूति नहीं, बल्कि कांग्रेस के लिए दलित वोट बटोरने का जरिया

संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार हंगामा जारी है...संविधान को अपनाने के 75 साल के मौके पर देश की संसद में चार दिन चली संविधान पर चर्चा एक ऐसे हंगामे पर आकर खत्म हुई है जहां संविधान की बात कम हुई और अंबेडकर का नाम सभी ने लिया...अंबेडकर के अपमान का आरोप लगाया गया...सबकुछ अंबेडकर के नाम पर हुआ...और कांग्रेस को भी अडानी के बाद अंबेडकर के नाम से एक नया मुद्दा मिल गया भाजपा को घेरने का..बता दें लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी, अखिलेश यादव संविधान लेकर वोट मांगने निकले...इसके बाद संसद में भी हाथ में संविधान लेकर ही कई सांसदों ने शपथ ली...फिर शपथ लेने के दौरान जय संविधान का नारा लगाने को लेकर विवाद हुआ...इन सबके बाद संविधान को मुद्दा बनाती कांग्रेस को बीजेपी ने आपातकाल के पचास साल होने पर घेरा...इसके बाद विपक्ष के कई सांसदों ने सेंगोल की जगह संविधान को ही स्थापित करने की मांग की और अब अंबेडकर के अपमान का आरोप वाली राजनीति आई है...जिसे कांग्रेस हथियार बनाकर भाजपा पर वार कर रही है...

लेकिन देखा जाए तो संविधान के नाम पर संसद में हुई बहस में जितनी भी पार्टियां शामिल हुईं, जनता के संवैधानिक अधिकारों, न्याय व्यवस्था और कानून निर्माण की खामियों पर चर्चा के बजाय अंबेडकर स्तुति गान पर ज्यादा केंद्रित रहीं...खासकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच संविधान के नाम पर अंबेडकर के सम्मान और अपमान पर चर्चा शुरू हुई...जिस तरह विपक्षी पार्टियों ने गांधी की जगह अंबेडकर को अहमियत देनी शुरू की है वो केवल दलित वोटों का प्रेशर ही है..आम आदमी पार्टी ने तो कांग्रेस और बीजेपी से एक कदम आगे बढ़ते हुए गांधी की फोटो तक हटा दी और पार्टी कार्यालयों में अंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर लगा दी...तो वहीं राहुल गांधी आज सफेट टीशर्ट की जगह नीली रंग की टीशर्ट पहनकर सदन में आए...

अमित शाह ने राज्यसभा में करीब 2 घंटे की स्पीच में डॉ. भीमराव अंबेडकर का लगातार महिमामंडन किया...इस बीच कांग्रेस को लपेटने में वे ऐसी बातें कह गए, जिसका दुरुपयोग करने का मौका कांग्रेस को मिल गया...फिर कांग्रेस ने वही खेल किया जो बीजेपी हर चुनावों के पहले राहुल गांधी और सैम पित्रोदा के बयानों के साथ करती रही है...यानि कि तू डाल-डाल मैं पात-पात...जाहिर है कि आज की राजनीति में अंबेडकर कितने महत्वपूर्ण हो चुके हैं...लेकिन सोचने वाली बात यह है कि विपक्ष को दलित वोटों की चिंता है या दलितों के कल्याण की भी चिंता है? दलितों की सबसे बड़ी हितैषी बनने वाली कांग्रेस सही मायने में सवर्णों की पार्टी रही है और अब पाला बदल चुकी है...लेकिन जो राहुल गांधी भाजपा पर अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं...उन्हीं राहुल गांधी ने बीते दिनों अंबेडकर का अपमान किया था...जिसका वीडियो भी सामने आया था, इसलिए राहुल गांधी को पहले अपनी गलतियों को देखना चाहिए और ये देखना चाहिए कि किस तरह उन्होंने सबसे पहले अंबेडकर का अपमान किया था, फिर उन्हें भाजपा पर उंगली उठानी चाहिए...

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