बुलडोजर पर कोर्ट का फुल ब्रेक! योगी की सियासत को लगा बड़ा झटका!

बुलडोजर की जब राजनीति में एंट्री हुई थी ...तो ऐसी हुई थी .. जैसे ये बुलडोजर एक ही झटके में ढेड़ो को सीधा कर देगा ... यूपी में योगी बाबा ने जब बुलडोजर माफियाओं और बदमाशों पर चलाया , तो देश में उसकी आवाज सुनाई दी .. धीरे धीरे न्याय का नया नाम बना बुलडोजर देश भर में छा गया .. हर जगह , न्याय का फैसला बुलडोजर से होने लगा ... अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाया जाने लगा ...मगर अब ऐसा मनमाने अंदाज में नहीं किया जा सकेगा ..क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सीधे तौर पर रोक लगा दी है . सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बुलडोजर एक्शन पर कड़ा आदेश देते हुए यह कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी के घर को तोड़ना गलत है..सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 

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सिर्फ इसलिए घर नहीं गिराया जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है

राज्य आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता

बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है, जिसकी संविधान में अनुमति नहीं है.

निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता

अधिकारियों को सत्ता का दुरुपयोग करने पर बख्शा नहीं जा सकता

वही  अब विपक्षियों ने इस फैसले पर ताली भी बजाई है ... मगर खास बात ये है कि  ये फैसला यूपी सरकार के लिए एक बड़ा सियासी झटका साबित हो सकता है. 2017 से लेकर अब तक, बुलडोजर का इस्तेमाल यूपी में अपराधियों के खिलाफ प्रशासनिक सख्ती दिखाने के लिए किया गया, और इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी "कठोर प्रशासनिक छवि" के तौर पर पेश किया था..लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है, जिससे योगी सरकार को कई सियासी और प्रशासनिक नुकसान हो सकते हैं...क्या क्या चलिए आपको बताते हैं  -

योगी आदित्यनाथ ने खुद को एक सख्त और प्रभावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया था, जिसे जनता ने काफी सराहा था। वह अक्सर अपने रैलियों में बुलडोजर का इस्तेमाल अपनी सख्त छवि को दिखाने के लिए करते थे। ‘बुलडोजर बाबा’ की उपाधि भी उन्हीं के नाम जुड़ी हुई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, योगी के लिए अपनी इस सख्त छवि को बनाए रखना मुश्किल  है। 

वहीं , बुलडोजर का इस्तेमाल यूपी में बढ़ते अपराधों पर काबू पाने के लिए किया गया था। जब अपराधी या आरोपी के घर पर बुलडोजर चलता था, तो सरकार को तत्काल राहत मिलती थी, और वह क्राइम कंट्रोल के मामले में फ्रंटफुट पर दिखती थी। मगर अब ये नहीं हो पाएगा 

योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर नीति को सिर्फ यूपी में ही नहीं, बल्कि भाजपा के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी लागू कर रहे थे। यह भाजपा को देशभर में सख्त प्रशासन की छवि के रूप में एक बढ़त दिला रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह रुझान रुक सकता है, क्योंकि देशभर के अन्य मुख्यमंत्री भी अब इस नीति को अपनाने में डरेंगे। 

इतना ही नहीं , उत्तर प्रदेश में अब से दो साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। योगी सरकार के लिए यह फैसले से पहले तक अपनी सख्त छवि को चुनावी मुद्दा बनाने का अच्छा मौका था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, सरकार के पास अपनी प्रशासनिक नीति को सही ठहराने के लिए कानूनी आधार नहीं बचा है। 

कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बुलडोजर के इस्तेमाल को लेकर यूपी सरकार को गंभीर कानूनी और सियासी चुनौतियों से जूझने के लिए मजबूर कर दिया है। योगी आदित्यनाथ को अपनी सख्त छवि को फिर से गढ़ने के लिए नए तरीके अपनाने होंगे। अब उन्हें क्राइम कंट्रोल, विकास और न्याय के बीच संतुलन बनाना होगा। इस फैसले का असर सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भाजपा की सियासत को भी यह एक बड़ा झटका दे सकता है।

 

 

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