यूपी में 'बाबा' का दबदबा, 'बबुआ' की उम्मीदें हुईं चूर
उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में समाजवादी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी, और बीजेपी ने धमाकेदार जीत दर्ज की। जहां एक तरफ अखिलेश यादव 2027 के लिए जीत की उम्मीदों में थे, वहीं उनके सारे प्लान चूर-चूर हो गए। बीजेपी के नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ ने सपा के तमाम नारों को ध्वस्त कर दिया। सपा ने नारे तो दिए – ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’, ‘पीडीए के संग रहेंगे’, लेकिन इनमें से कोई भी बीजेपी के प्रभावी संदेश के आगे असरदार नहीं रहा।
इंडिया गठबंधन भी सपा को कोई खास फायदा नहीं दिला पाया। कांग्रेस ने सपा को सहयोग का वादा किया था, लेकिन कांग्रेस-सपा के बीच की खींचतान ने सब कुछ बिखेर दिया। राहुल गांधी का रायबरेली दौरा भी सपा के लिए बेमानी साबित हुआ, क्योंकि अखिलेश से उनकी कोई मुलाकात नहीं हो पाई।
वहीं , असली जीत सीएम योगी आदित्यनाथ की ही होने थी , क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिली हार से सीख लेते हुए, उन्होंने खुद उपचुनाव की जिम्मेदारी ली और पूरी रणनीति को अपने हाथ में रखा। टिकटों से लेकर प्रचार तक, हर कदम पर योगी की रणनीति कामयाब रही। अब लोग कह रहे हैं कि सपा के ‘बबुआ’पर ‘बाबा का मैनेजमेंट भारी पड़ गया .. वहीं अखिलेश यादव ने भी कम गलतियां नहीं की ,,चलिए बताते हैं कि अखिलेश यादव ने आखिर क्या चूक की ..
INFO -
- समाजवादी पार्टी ने फूलपुर, सीसामऊ, कुंदरकी और मीरापुर में चार मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा
- सीसामऊ को छोड़कर अन्य सीटों पर हिंदू मतदाता ज्यादा हैं, इसलिए ये सीटें बीजेपी की ओर चली गईं
- अखिलेश ने लोकसभा चुनावों में जिस तरह से जाति के हिसाब से टिकट बंटवारा किया था। वैसा उपचुनाव में न करना एसपी के लिए भारी पड़ा
- अखिलेश यादव ने तीन सीटों पर परिवार के लोगों को टिकट दिया था
- कार्यकर्ताओं के बीच परिवारवाद हावी रहा
- एसपी ने सात सीटों पर एकतरफा तौर पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया
- कांग्रेस को सीट मिलती तो वो भी पूरी ताकत से लड़ती औऱ नतीजे कुछ अलग हो सकते थे
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में बीजेपी की शानदार जीत ने सपा की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अखिलेश यादव की रणनीति और नारों का कोई असर नहीं हुआ, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कुशल नेतृत्व और मजबूत रणनीति से बीजेपी को सत्ता में बनाए रखा। 'बबुआ' का हर प्लान 'बाबा' के मैनेजमेंट के सामने नतमस्तक हो गया। सपा को न केवल अपनी पारंपरिक सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, बल्कि गठबंधन और नारों की सारी मेहनत भी नाकाम रही। इस उपचुनाव ने साबित कर दिया कि यूपी में अब भी बीजेपी का दबदबा कायम है और योगी आदित्यनाथ की छवि ने हर सपा की उम्मीद को ध्वस्त कर दिया।
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