रामलला की भक्ति में डूबा देश , राहुल गाँधी की सियासत रही जारी
पूरे देश ने कल राम मंदिर का जश्न मनाया , ऐसा लगा कि जैसे मानों राम राज्य वापस स्थापित हो गया हो , ये समय जैसे त्रेता युग में पहुंच गया हो... प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों की आंखो से टपकतें आंसू जैसे श्री राम के पैर पखार रहे हों ..जैसे एक राजा एक बार फिर अपनी प्रजा की सेवा में हाजिर हुआ हो और जैसे एक परेशान मन को सहारा मिला हो ... देखा जाए तो कल का दिन आम दिनो से एकदम अलग था , कल का दिन राजनीति से भी बहुत उपर था , मगर अफसोस के कल भी देश में राजनीति परवान चढ़ रही थी .. देश की सबसे पुरानी पार्टी , जिसके पूर्वजों का राम मंदिर से भी सीधा नाता था , वो राम मंदिर के जश्न में ना पहुंचकर सड़कों पर अपनी राजनीति भुना रहे थे.. राहुल गांधी , जो देश के प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने हैं , वो जनता की सबसे बड़ी खुशी में कल शामिल नहीं थे... कांग्रेस पार्टी पूर्वोत्तर के राज्यों में भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रही है.... लोगों को न्याय दिलाने की बात कर रही है , देश को जोड़ने की बात कर रही है , मगर अफसोस सबसे बड़े एकता के जश्न में खुद कांग्रेस शामिल नहीं हुई ...चलिए वो भी ठीक है धर्म के मामले में हर एक इंसान की अपनी व्यक्तिगत सोच हो सकती है , हो सकता है कांग्रेस पार्टी की राम भक्ति में ज्यादा आस्था हो ही ना ...मगर कम से कम कल के दिन राम को याद तो वो भी कर सकती थी...मगर कांग्रेस से तो वो भी कष्ट नहीं हुआ .. राहुल गांधी सड़को पर न्याय की दरकार लगाते लोगों को खोजते नजर आए , पूरे दिन कल राहुल गाँधी के चेहरे पर एक अशांति नजर आई , ऐसा लगा कि कहीं ना कहीं राम मंदिर ना जाकर उनके चेहरे पर अफसोस साफ जाहिए हो रहा था , मगर अफसोस कि अफसोस उनके राजनीति से बड़ा नहीं था.. इसीलिए , राम मंदिर के जश्न के दिन कांग्रेस ने ये खबरें फैलाई कि उनकी यात्रा पर कई जगह हमले हुए , यहां तक की राहुल गांधी को असम के एक मंदिर में भी घुसने तक नहीं दिया गया ..मंदिर में नहीं जाने से नाराज राहुल गांधी धरने पर बैठ गए.... इसके साथ ही राहुल गांधी ने सरकार पर भी कई सारे सवालिया निशान खड़े किए...कहा कि भगवान केवल भाजपा के नहीं है , सभी के है , फिर उनके साथ आखिर ऐसा क्यों किया गया . राहुल गांधी ने कहा कि -
“यह अजीब है कि राहुल गांधी वहां नहीं जा सकते जबकि बाकी सभी लोग श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान पर जा सकते हैं। क्या अब पीएम मोदी तय करेंगे कि कौन मंदिर जाएगा और कब जाएगा?’
राहुल गाँधी का इतना कहना भर था कि सपा मुखिया अखिलेश यादव भी इस मुद्दे में कूद आएं , और एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि .......किसी को भी भगवान के दर्शन करने से रोकने से बड़ा अधर्म और क्या हो सकता है...
ये तो हुई सियासत करने वाले लोगों की बात , लेकिन हम बताएंगे कि आखिर कल क्या हुआ था कि राहुल गाँधी को मंदिर नहीं जाने दिया गया .....राहुल गाँधी को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पहले की चेताया था...कि वो इलाका बेहद संवेदशील हैं,, वहां राम और श्रीमंत शंकरदेव को लेकर सियासत करना भारी पड़ेगा , ऐसे में वहां राम मंदिर के आय़ोजन वाले दिन जाने से बात बिगड़ सकती है , यही बात प्रशासन ने भी राहुल गाँधी को बताई , और कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से उनका जाना ठीक नहीं है , मंदिर में बहुत से लोग हो सकते हैं , जो कांग्रेस को ना पंसद करते हों , मगर वो नहीं माने , जिद पर अड़े रहे और धरने पर बैठ गए ... बाद में वहां से गए भी ...मगर सियासत इसी मुद्दे पर होती रही ....
सच कंहू तो बड़ा अजीब लगा ये देखकर कि राम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन समारोह से दूर रहने वाली कांग्रेस
देखा जाए तो तीन महीने से भी कम समय में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए राजनीति धर्म से बड़ी है ... वैसे तो कांग्रेस खुद को धर्म निरपेक्ष पार्टी कहती है, लेकिन धर्म का सहारा लेकर वक्टिम कार्ड खेलना खूब जानती है ...फिलहाल अब रामलला अपने मंदिर में विराजमान हो चुके हैं , अब कांग्रेस को कोई और मुद्दा खोजना होगा सियासत में बने रहने के लिए , क्योंकि अब ये मुद्दा कांग्रेस काम नहीं आ पाएगा ..
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