अष्टभुजा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर चिल्ला रोड जवा जिला रीवा के संचालक की घोर लापरवाही
रीवा : अष्टभुजा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर चिल्ला रोड जवा जिला रीवा के संचालक की घोर लापरवाही और बिना डॉक्टरों के द्वारा मरीजों का इलाज करते पाए जाने पर लायसेंस और पंजीयन रद्द कर दिया गया हैं।लाईसेंस और पंजीयन रद्द करने के पीछे जो वजह है उस पूरी घटना का विवरण दिनांक 17 मार्च 2024 को अष्टभुजा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर चिल्ला रोड में रावेंद्र सिंह निवासी ग्राम तुर्कागोंदर की गर्भवती पत्नी एव सतानंद सिंह निवासी ग्राम पथरौड़ा जवा की पुत्री निकिता सिंह की अस्पताल प्रबंधन द्वारा डॉक्टर न होने के बाद भी सीजेरियन प्रसव करवाने के लिए एडमिट करके परिजनों को धोखे में रखकर बाहर उत्तर प्रदेश से झोलाझाप डॉक्टर बुलाया जाकर गलत तरीके से इलाज किया गया और सर्जन एनिस्थिसिया विशेषज्ञ न होने के बावजूद भी ऑपरेशन थिएटर में 3 घंटे से भी ज्यादा समय तक रखकर निकिता सिंह और नवजात शिशु की कोख में नृशंस हत्या करा दी गई थी। इस घटना की शिकायत कई बार सीएमएचओ रीवा से किए जाने पर सीएमएचओ द्वारा अस्पताल संचालक के खिलाफ कोई जांच और कार्यवाही न करके दबा दिया जा रहा था और अस्पताल संचालक को संरक्षण दिया जा रहा था। 7महीने से कोई कार्यवाही न करने और शिकायतों को लगातार फोर्स क्लोज सीएमएचओ रीवा और क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रीवा संभाग रीवा द्वारा किया जा रहा था। क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रीवा संभाग से भी संपर्क करने पर इनके द्वारा कोई जानकारी न देकर फोन कट कर दिया जाता था। इन अधिकारियों के कारनामों से तंग आकर पीड़ित पति रावेंद्र सिंह द्वारा भोपाल में मुख्यमंत्री कार्यालय,प्रमुख सचिव महोदय, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग,स्वास्थ्य आयुक्त स्वास्थ्य विभाग मध्य प्रदेश शासन भोपाल में शिकायत दर्ज कराई गई थी।भोपाल से फटकार पड़ने पर सीएमएचओ रीवा द्वारा जांच टीम का गठन किया गया था।जांच टीम द्वारा दिनांक 28 अक्टूबर को अस्पताल के औचक निरीक्षण किया जाने पर अस्पताल संचालक योगेश सिंह के द्वारा की जा रही गंभीर लापरवाही और बिना डॉक्टर के मरीजों को एडमिट करके इलाज करते एव मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करते पाया गया था। जिस पर जांच टीम द्वारा अस्पताल को सीज कर दिया गया था और अस्पताल संचालक को नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया था। अस्पताल संचालक की घोर लापरवाही और अस्पताल का संचालन बिना डॉक्टर के नियम विरुद्ध करते पाए जाने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला रीवा के द्वारा दिनांक 18/11/2024 को अस्पताल का लाइसेंस एव पंजीयन रद्द करने का आदेश जारी किया गया था।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला रीवा के द्वारा अस्पताल का लाइसेंस और पंजीयन रद्द करने का आदेश साथ में अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का कारण भी लिखा हुआ है।दूसरी तस्वीर में अस्पताल संचालक योगेश सिंह के द्वारा थाना प्रभारी को दिया गया बयान।जिसमे पूरा झूठ बोलने के साथ साथ पीड़ित के आरोप भी लगाया था।
पूरा मामला समझिए आदेश में जो कारण लिखा हुआ है की अस्पताल संचालक योगेश सिंह ने आवेदन प्रस्तुत करके अस्पताल को पूर्णत: बंद करने और अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने का निवेदन किया। इससे ही अस्पताल संचालक द्वारा बोले गए झूठ का पर्दाफाश हो जाता है की अस्पताल संचालक द्वारा नियम विरुद्ध अस्पताल का लाइसेंस और पंजीयन कराया गया था।नियमों को ताक पर रखकर बिना डॉक्टर के अस्पताल का संचालन किया जा रहा था जिन रोगों एवं बीमारियों की इलाज करने की परमिशन नही थी उन बीमारियों का इलाज भी गलत तरीके से कराया जा रहा था।अस्पताल संचालक द्वारा नियम विरूद्ध और नियमों को ताक पर रखकर बाहर उत्तर प्रदेश से झोलाझाप डॉक्टर बुलाए जा रहे थे सीजेरियन प्रसव करवाने के लिए।अस्पताल संचालक के पास मेडिकल डिग्री न होने के बाद भी लाइसेंस और पंजीयन जारी कर दिया जाना तत्कालीन सीएमएचओ रीवा की संलिप्तता उजागर करता है। थाना प्रभारी को दिए गए जवाब में अस्पताल संचालक द्वारा कहा गया था अस्पताल में सभी डिग्रीधारी डॉक्टर उपलब्ध है तो ऐसी क्या जरूरत पड़ गई की अस्पताल सील होने के बाद लाइसेंस कैंसिल करवाने का आवेदन देना पड़ा ??? जब अस्पताल संचालक दोषी नहीं था और अस्पताल का संचालन डिग्रीधारी डॉक्टरों द्वारा नियमों के मुताबिक किया जा रहा था तो फिर जांच टीम को बिना डॉक्टर के मरीजों को भर्ती करके इलाज करते क्यूं पाया गया था।
अस्पताल का लाइसेंस और पंजीयन रद्द करने के आदेश में खुद सीएमएचओ रीवा भी फंस रहे है।....आखिर इनके द्वारा लगातार सीएम हेल्पलाइन की शिकायत फोर्स क्लोज क्यों कर दी जा रही थी.... भोपाल तक शिकायत करने के बाद सीएमएचओ की नींद क्यों खुली थी।बाहर से झोलाझाप डॉक्टर बुलाकर इलाज कराए जाने की शिकायत सीएमएचओ रीवा को 19 मार्च 2024 को ही की जा चुकी थी। अष्टभुजा हॉस्पिटल के संचालक द्वारा की जा रही घोर लापरवाही और पर्याप्त चिकित्सिक के न होने की जानकारी होने के बाद भी सीएमएचओ रीवा के द्वारा अष्टभुजा अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाए संरक्षण दिया जाना सीएमएचओ रीवा की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है....अस्पताल संचालक की गंभीर लापरवाही पहले से ही उजागर किए जाने के बाद भी सीएमएचओ रीवा , खंड चिकित्सा अधिकारी जवा द्वारा कोई जांच और कार्यवही न करना और पीड़ित के द्वारा सामने जांच कराए जाने की मांग किए जाने के बाद भी बीएमओ जवा ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी के द्वारा फर्जी निराकरण प्रतिवेदन सीएम हेल्पलाइन में दर्ज कर देना और पीड़ित को कोई जानकारी दिए बिना नंबर ब्लाक कर देना बीएमओ जवा द्वारा अष्टभुजा हॉस्पिटल जवा के अस्पताल संचालक को संरक्षण देने में संलिप्त होना उजागर करता है।
दिनांक 19 मार्च 2024 को सीएम हेल्पलाइन में दर्ज कराई गई शिकायत पर खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला रीवा को अष्टभुजा हॉस्पिटल के खिलाफ नर्सिंग एक्ट के तहत कार्यवाही करने के लिए पत्र संख्या 891 दिनांक 27 मई 2024 को भेजा गया था लेकिन सीएमएचओ रीवा मूकदर्शक बनकर बैठे थे।खंड चिकित्सा अधिकारी जवा द्वारा अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पत्र भेजे जाने के बावजूद भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजीव शुक्ला द्वारा कोई कार्यवाही न करना,जांच टीम का गठन न करना और कोई जांच ना कराया जाना इन सब बातों से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला रीवा की घोर लापरवाही उजागर होती है।इसका पूरा अंदेशा है अस्पताल का लाइसेंस और पंजीयन भी अधिकारियों द्वारा खुद का बचाव करने के लिए ही अस्पताल संचालक पर दवाब डालकर निरस्त किया गया है.... ताकि अधिकारियों को अपना बचाव करने का मौका मिल सके। क्योंकि मेरे द्वारा दर्ज कराई जा रही शिकायतों को जबरदस्ती फोर्स क्लोज कर दिया जा रहा था। बिना संपर्क किए लगातार फर्जी निराकरण प्रतिवेदन दर्ज किया जा रहा था।अगर अस्पताल संचालक पर दवाब नही डाला गया अस्पताल का लाइसेंस कैंसल करवाने के लिए तो फिर अस्पताल में डिग्रीधारी डॉक्टरों के होते हुए भी अस्पताल संचालक द्वारा पंजीयन रद्द करने के लिए आवेदन दिया जाना और मर्डर करने का प्रमाण साफ साफ उजागर हो हो रहा है।
अस्पताल संचालक द्वारा नियम विरुद्ध और बिना डॉक्टर के मरीजों का इलाज करते पाया गया था तो अस्पताल संचालक के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करवाया जाना चाहिए था लेकिन सीएमएचओ द्वारा अस्पताल संचालक के खिलाफ कोई अपराधिक प्रकरण दर्ज न करवाया जाना भी सीएमएचओ रीवा के उपर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।मर्डर कराए जाने का प्रमाण इसलिए भी उजागर हो रहा है क्योंकि अस्पताल संचालक और सारे कर्मचारियों द्वारा मिलीभगत करने तत्कालीन थाना प्रभारी को फर्जी गवाही दिया जाकर गुमराह किया गया था और फर्जी आरोप लगाया गया था....अस्पताल संचालक फर्जी आरोप लगाकर फरार क्यों हुआ और जांच करवाने की मांग क्यों नही किया .....अस्पताल संचालक द्वारा फर्जी आरोप लगाकर जांच करवाने से भागना यही साबित करता है मर्डर कराया गया था....अगर अस्पताल संचालक के आरोपों में दम था तो फिर जांच करवाने की बजाय मैदान छोड़कर क्यों भागा और अस्पताल सील होने के बाद लाइसेंस और पंजीयन रद्द करवाने का आवेदन सीएमएचओ को क्यों दिया ये अभी तक अनसुलझा सवाल बना हुआ है।
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