यहाँ लगती है सांपों की अदालत

यहाँ लगती है सांपों की अदालत 

सांप भी खाते हैं कसम अब नहीं किसी को काटेंगे 

 

अभी तक आपने सेशन कोर्ट हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का ही नाम सुना होगा पर आज आप जाने लीजिये स्नेक कोर्ट यानि साँपों की अदालत .आपको  सुनकर अजीब लग रहा होगा पर ये बात सच है  जमाना भले ही चांद और मंगल ग्रह की बात करें पर सीहोर के ग्राम लसूडिय़ा परिहार में दीपावली के दूसरे दिन आज भी सर्पदंश से पीडि़त लोग स्वस्थ होने के लिए मंदिर में आते है। अब आप इनके इस विश्वास को आस्था कहे या अन्धविश्वास इससे इनको कोई फर्क नही पड़ता है पर ये आस्था या अंधविश्वास की प्रथा 200 वर्षो से चली आ रही है। सीहोर के ग्राम लसूडिय़ा परिहार में सालों से नागों की अदालत लगती है, जहां पेशी पर नाग स्वयं मानव शरीर में आकर डसने का कारण बताते हैं।

गजब! दिवाली के बाद यहां लगती है सांपों की अदालत, इंसानों को काटने का बताते  हैं कारण - Madhya Pradesh News lasudiya Parihar After Diwali held snake  court

आपको बताते चलें कि मप्र की राजधानी भोपाल के सीहोर जिले से मात्र 15 किलोमीटर दूर दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को यह नजारा देखने को मिल रहा है। कई तो केवल इसी रहस्य को देखने गांव पहुँचते हैं । इस अदालत में पिछले एक साल में लोगों को विभिन्न कारणों सांप के काटने के कारण को जानने के लिए आयोजन किया जाता है।दीपावली के दूसरे दिन आज सांप के काटे करीब पांच दर्जन लोग पहुंच रहे है। हनुमानजी की मडिय़ा के सामने लगी सांपों की पेशी के दौरान हजारों लोग यह जानने पहुंचे थे कि आखिर उन्हें सांप ने क्यों काटा। जहां सांप काटे महिला-पुरूष के शरीर में सांपों का प्रवेश होता है और बाकायदा उनकी पेशी होती है. 

यही नहीं इन सांपों से फिर ना काटने का वचन लिया जाता है तब कहीं जाकर उन सांपों को मुक्ति मिलती है। इस परंपरा और अदालत के तहत जैसे ही मंत्रोउच्चार के साथ नीम की पत्ती और सरसों के दाने सांप द्वारा काटे हुए व्यक्ति या महिला में ऊपर डाले जाते हैं बैसे ही उस व्यक्ति बम अचानक सिहरन सी होने लगती है और वो पूरी घटना कि उसने क्यों काटा था बताता है और फिर किसी को भविष्य में न काटने की कसम भी खाता है। इस अनूठी अदालत में जिले और प्रदेशभर से सर्पदंश पीड़ित लोग सम्मिलित होतें हैं.इस दौरान पेशी पर पहुंचे सांपों ने शरीर में आकर काटने का कारण बताया जाता है । ग्राम के नन्दगिरी महाराज की माने तो यहां होने वाली सांपों की पेशी हमारी तीन पीढ़ी करती आ रही है। 

इस परम्परा के माध्यम से न जाने कितने लोगों को पता चलता है कि उनको सांप ने क्यों काटा और साथ ही साथ सांप को भी कसम दिलाई जाती है कि वो अब भविष्य में किसी को भी नहीं काटेगा।  

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