रेत की जगह धूल सीमेंट की जगह ढष्ट हाथ लगाने से ही उखड़ रहा है रोड

भेरूंदा :  ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों में मनमाने तरीके से अनियमितता और अनुपयोगी कार्य कराके जहां सरकारी बजट को चूना लगाया जा रहा है, वहीं पंचायत प्रतिनिधि हर काम में कमाई के चक्कर में कायदे कानून ताक पर रखकर कायदे कानून के पालन से बेपरवाह हैं। उन्हें न जांच की चिंता है, न अधिकारियों का डर है ग्राम पंचायतों में सरंपच, सचिव और रोजगार सहायक की तिकड़ी का बेलगाम राज चल रहा है वही अधिकारी की चुप्पी और उनसे नीचे बैठे कमीशन खोरो की सपोर्ट से  इस तिकड़ी को मनमानी करने की खुली छूट मिल गई है। पहले भी ऐसे तमाम काम कराए गए, जिनमें कमाई का रास्ता नजर आया है यहां तक कि कई अनुपयोगी काम भी करा दिए गए हैं, ऐसे तमाम निर्माण कार्य कराके जिम्मेदारों ने अपना- अपना हिस्सा तो ले लिया पर ये निर्माण कार्य अनुपयोगी पड़े-पड़े बर्बादी की कगार पर हैं एक ऐसा ही मामला भेरूंदा तहसील के नीलकंठ टप्पर पर रोड का निर्माण पंचायत द्वारा कराया गया है उस निर्माण में 2 इंच बेस और 3 इंच गिट्टी माल डाला गया है उस रोड को बने हुए 36 घंटे होने के बाद भी सेट नहीं हो पाया है क्योंकि उसमें सीमेंट की मात्रा नाम मात्र ही डाली गई है और रोड की हाइट 8 इंच की जगह कहीं चार इंच है तो कहीं 5 इंच कहीं-कहीं तो जमीन पर ही गिट्टी माल डाल दिया गया है वही रोड के बीच में एक बाबुल का पेड़ अभी भी लगा हुआ है लेकिन पंचायत द्वारा उसको काटा नहीं गया सवाल यह है कि अगर उस रोड से कभी ट्रैक्टर ट्राली का निकलना हुआ तो कैसे निकलेगी ग्रामीणों का आरोप है कि ऐसा विकास हमने पहली बार ही देखा है जिसमें 12 घंटे के बाद हम तराइ कर रहे हैं तो ऊपर से रेत बह रही है गिट्टी नजर आ रही है ऐसे रोड से तो हम वैसे ही अच्छे थे सरकार की ओर से हमारी पंचायत के लिए और पंचायत में रोड बनाने के लिए बराबर पैसा आता है लेकिन सरपंच सेक्रेटरी उसमें से 50 परसेंट भी नहीं लगाते हैं उसी का नतीजा आपके सामने है वहीं मनरेगा के काम मशीनों से कराके फर्जी मस्टर भरे जा रहे हैं, शिकायतों को अनदेखा करके जिम्मेदार मौन बने हैं। इसे लेकर लोगों में नाराजगी है और कुछ मामलों में अधिकारी दिखावे के लिए कार्रवाई करके अपनी कमी छिपाने में जुटे हैं।

रिपोर्टर : संजय कलमोर 
 

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