बचपन में कार धोने वाला शाहजहां कैसे बना संदेशखाली का ‘शेख’?
लोकतंत्र में बहुत सारे नेता और नेताओं के संरक्षण में रहने वाले अपराधी कई बार जनता को बहुत कमजोर मानने लगते हैं...और उनको लगता है कि वो इतने सालों तक जनता पर अत्याचार करते रहते हैं और गरीब लोग उन अत्याचार को सहते रहते हैं..इसलिए उनमें गलतफहमी हो जाती है कि उन गरीबों में ताकत नहीं है..लेकिन कहते हैं न्याय कभी-कभी समय लेता है, न्याय की जो गति होती है वो कभी-कभी धीमी होती है, लेकिन एक न एक दिन न्याय होता जरूर है...और संदेशखाली की जो महिलाएं हैं, इन्हें देर से ही सही लेकिन न्याय मिला है...जी हां शाहजहां शेख को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है..जिससे इन महिलाओं में काफी खुशी है और ये अपनी खुशी का इजहार भी कर रही हैं...लेकिन वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, आखिर क्यों उन्होंने एक आरोपी को संरक्षण दिया और इतने सालों तक अपनी पार्टी में रखा...वहीं जब मामला उजागर हुआ तब दबाव के चलते सीएम ममता बनर्जी ने शाहजहां शेख को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का एलान किया...लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि शाहजहां शेख इतने दिनों तक कैसे बचता रहा और पार्टी में रहते हुए इतना बड़ा गुंडा कैसे बना..
संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख को पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ED की छापेमारी के बाद वह 55 दिनों से फरार चल रहा था। शेख और उसके सहयोगी भूमि कब्जा और यौन उत्पीड़न के मामलों में मुख्य आरोपियों में से एक हैं। इन सभी का नाम उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद सामने आया था। पिछले 10 वर्षों में शाहजहां शेख टीएमसी में बड़ा नाम होता गया है। बंगाल में ममता बनर्जी के सत्ता में आने के दो साल बाद साल 2013 में शेख पार्टी में शामिल हुआ था। 2018 में वह पंचायत का उपप्रधान बना और पार्टी में उसका कद बढ़ना शुरू हुआ। शेख TMC की संदेशखाली इकाई का सभापति था। पिछले साल उसने जिला परिषद सीट जीती थी। वह उत्तर 24 परगना के मत्सा कर्माध्यक्ष यानी जिले के मत्स्य विकास का भी प्रभारी है। यह नियुक्ति कोई आश्चर्य की बात नहीं थी क्योंकि शेख के पास सुंदरबन क्षेत्र में पड़ने वाली कई मत्स्य पालन इकाइयों के साथ-साथ ईंट भट्टों का भी स्वामित्व है।
शेख के दबदबे का कारण भय और सम्मान दोनों है, साथ ही वरिष्ठ टीएमसी नेताओं, विशेषकर ज्योतिप्रिय मल्लिक के साथ उनकी नजदीकियां भी है। यही वह चीज़ है जिसने उसकी इस न्याय प्रणाली को बचाए रखा है। हालांकि, TMC के कद्दावर नेता के लिए राजनीतिक विवाद कोई नई बात नहीं है क्योंकि जून 2019 में पिछले लोकसभा चुनावों के ठीक बाद, भाजपा और TMC कार्यकर्ता संदेशखाली में भिड़ गए थे। झड़प में एक भाजपा कार्यकर्ता और एक TMC कार्यकर्ता की मौत हो गई। हत्या के मामले दर्ज प्राथमिकी में नामित लोगों में शेख का नाम भी शामिल था। बाद में पुलिस ने अदालत में जो आरोप पत्र दाखिल किया, उसमें से उनका नाम हटा दिया गया था। इस तरह से शाहजहां शेख इतने सालों से बचता भी आ रहा था।
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