फिर हुई रेल को डीरेल करने की साजिश --सरकार क्यों है खामोश

फिर हुई रेल को डीरेल करने की साजिश --सरकार क्यों है खामोश 


देश में बीते दो महीने के अंदर 15 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं जिसमे ट्रैन की पटरी पर लकड़ी का गुटका, लोहा का टुकड़ा, कभी गैस सिलेंडर तो कभी बड़ा सा पत्थर रखकर ट्रैन का एक्सीडेंट करने उसको डीरेल करने जनहानि करने की लगातार साजिश की जा रही है कई जगह तो ट्रैन पटरी से उतर भी गयी पर गति कम होने के चलते बड़ा हादसा नहीं हुआ। संदिग्ध लोग गिरफ्तार भी हुए और ये भी कहा गया कि ट्रैन ट्रैक के किनारे अवैध रूप से बसी झुग्गी झोपड़ियों को हटाया जाएगा पर चिंता की बात है कि अब तक कोई भी शुरुआत नहीं की गयी। सरकार इन घटनाओ को कब गंभीरता से लेगी ये बड़ा प्रश्न है।  

train derail conspiracy ...

 

पर अब जरुरत है कि सरकार जल्दी से इस ओर कोई कदम उठाये।  क्योंकि कल एक और घटना सामने आयी है जिसमे विहार के जयनगर से नई दिल्ली जाने वाली सुपरफास्ट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस को डीरेल करने की साजिश की गयी आपको बता दें कि सुबह लगभग 3 बजे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन गाजीपुर घाट स्टेशन से गाजीपुर सिटी स्टेशन के मध्य आलम पट्टी इलाके के पास पहुंची थी। तभी ड्राइवर को रेल पटरी के बीच लकड़ी का एक बड़ा टुकड़ा देखा जिसके पास ड्राइवर द्वारा इमरजेंसी ब्रेक लगाई गई फिर भी ट्रेन उसे लकड़ी के टुकड़े के साथ घसीटते हुई करीब 400 मीटर आगे जाकर रुकी। ड्राइवर ने नीचे उतर कर देखा तो करीब 2 फीट से भी ज्यादा लंबी का एक बड़ा टुकड़ा था। जानकारी के मुताबिक ड्राइवर द्वारा ट्रेन की स्पीड कम कर दी गयी थी जिसके चलते ट्रेन डीरेल नहीं हुई तब भी इंजन के नीचे का पाइप टूट गया था जिसके चलते गाडी 400 मीटर तक घिसटते हुए रुकी। उसके बाद सुनसान इलाके के 2 घंटे ट्रेन के खड़े होने बाद दूसरा इंजन आने पर ट्रेन को रवाना किया गया। आपको जानकारी के साथ बता दें कि इसी रेल लाइन पर 10 सितंबर की रात जा रही प्रयागराज रामबाग बलिया पैसेंजर ट्रेन को भी पटरी से उतारने की कोशिश की गई थी जिसमें कुछ शरारती तत्वों ने शहर से सटे चक फैज छतरी बिंदवलिया के पास पटरी पर लगभग 2 मीटर तक गिट्टी रखकर ट्रेन को डिरेल करने का प्रयास किया था. इसके बाद आरपीएफ ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 11 सितंबर की रात में घटनास्थल से तीन युवकों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया गया था. बताया गया था कि तीनों आरोपी नशे के आदी हैं और नशा करने के लिए रेलवे ट्रैक के किनारे रहते हैं. नशे में इन लोगों ने रेल पटरी पर गिट्टियां रख दी। पर ये गौर करने करने वाली बात है कि क्या ये गिट्टियां दो मीटर तक उन्होंने केवल नशे में रखी या फिर किसी बड़ी घटना को अंजाम देनका प्रयास किया गया पर इतना समझ लीजिए अगर ऐसी घटनाओ को गंभीरता से न लेना बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है।    

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यहाँ जनहानि नहीं हुई पर कब तक डर के साये में लोग सफर करेंगे। अब तक सबसे सुरक्षित कही जाने वाली भारतीय रेल अब सुरक्षित नहीं रह गयी है जिस तरह से घटनाएं घटित हो रही हैं।

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पर इस पर भी गौर करने वाली बात है कि रेलवे ट्रैक किनारे झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे अवैध लोगों की जानकारी होने के बाबजूद अब तक ये बस्तियां लगातार बसी हुई है क्यों इस  तरफ काम नहीं होता क्यों इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता। पर अब समय आ गया है कि सरकार इन मामलो को गंभीरता के साथ लेते हुए कड़े कदम उठाये अन्यथा बड़ा हादसा  हमें दर्द देने की तैयारी में है।  

 

 

 

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