47 दिनों से धरने पर बैठे स्वच्छता ग्राहियों का टूटने लगा सब्र का बांध
यूपी की राजधानी लखनऊ के धरना स्थल इको गार्डन में पिछले 47 दिनों से न्यूनतम वेतन का शासनादेश जारी किए जाने की मांग को लेकर ग्रामीण स्वच्छता ग्राही धरना दे रहे हैं...अपनी मांग को लेकर वो दिन-रात वहीं धरना स्थल पर जमे हैं और सीएम योगी से न्याय की गुहार लगा रहे हैं...वहीं स्वच्छता ग्राहियों कहना है कि हम लोगों के न्यूनतम वेतन का शासनादेश जारी नहीं किया गया तो इसका जबाब प्रदेश के 69 हजार ग्रामीण स्वच्छता ग्राही आगामी लोक सभा चुनाव में देंगे...सी न्यूज़ भारत के कैमरे पर धरनारत स्वच्छता ग्राहियो ने अपना दर्द बयां किया...जहां अपनी व्यथा कहते-कहते कुछ स्वच्छता ग्राही आक्रोशित हो गए तो वही कुछ स्वच्छता ग्राहियों की आंखें भर आई...आप भी देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट...
47 दिनों से धरना दे रहें ग्रामीण स्वच्छता ग्राहियों का सब्र अब जवाब देने लगा है। मांगे पूरी न होने पर दिन पर दिन उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार को अभी भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा। धरनारत स्वच्छता ग्राहियों से विगत एक अक्टूबर को सीतापुर जिला स्थित नैमिषसारण में आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुले मंच से स्वच्छता ग्राहियों के न्यूनतम वेतनमान का निर्धारण किया जाने की घोषणा की थी। लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी न्यूनतम वेतनमान का शासनादेश जारी नहीं किया गया। धरनारत ग्रामीण स्वच्छता ग्राहियों ने कहा कि वो 47 दिन से धरने पर बैठे हैं, लेकिन कोई उनकी सुन नहीं रही है। बता दें कि धरनारत स्वच्छता ग्राहियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनका वादा याद दिलाने के लिए चार बार विधानसभा घेराव का प्रयास किया। किंतु वह सब अपनी पीड़ा अपनी व्यथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक नहीं पहुंचा पाए। ग्रामीण स्वच्छता ग्राही संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमाशंकर तिवारी ने कहा कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के पूर्व यदि स्वच्छता ग्राहियों के न्यूनतम वेतनमान का शासनादेश जारी कर दिया जाता है तो लोकसभा चुनाव में प्रदेश के 69 हजार ग्रामीण स्वच्छता ग्राही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए की जी-जान लगा देंगे।
किंतु यदि न्यूनतम वेतनमान का शासनादेश नहीं जारी होता है तो यही स्वच्छता ग्राही और उनके परिवार बीजेपी के विरोध में लामबंद हो जायेंगे। वहीं स्वच्छ भारत मिशन को कामयाब बनाने में महिला स्वच्छता ग्राहियों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की। धरने में स्वच्छता ग्राहियों ने कहा कि जब तक हम लोगों के न्यूनतम वेतन का शासनादेश जारी नहीं हो जाता है तब तक हम लोग धरना स्थल इको गार्डन से हटने वाले नहीं है। स्वच्छता ग्राहियों ने कहा कि हम लोगों के धरना का डेढ़ महीना हो गया है किंतु हम लोगों की सुध ना तो सरकार ने ली और ना ही पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने।
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