ग्रामीण स्वच्छता ग्राहियों और स्मारक समीति के लोगों की सुनेगा कौन ? |
लखनऊ के इको गार्डन को अब गार्डन ना कहा जाए , तो ही बेहतर है ... क्योंकि ये अब प्रदर्शन का अड्डा बन चुका है , कभी शिक्षक भर्ती अभ्यर्थी , तो कभी दरोगा भर्ती अभ्यर्थी और अब स्मारक समीति के लोग और ग्रामीण स्वच्छता ग्राहियों का अनिश्चित कालीन धरना इसी इको गार्डन में चल रहा हैं .. मगर इसमें गलती किसकी है , इन विरोध प्रदर्शन करने वालों की , या फिर सरकार की .....आखिर इन लोगों को इतनी मुसीबत ही क्यों आई , कि इनको धरना देना पड़े ... जिस जनता को अपने कामों में बिजी होना चाहिए , वो धरने में व्यस्त हो जाती है , और ये केवल सिस्टम की नाकामी ही है .. अब पिछले 23 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे स्मारक समिति के कर्मचारी अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर अड़े हुए हैं...तो वहीं ग्रामीण स्वच्छता ग्राहियों का अनिश्चित कालीन धरना इसलिए चल रहा है क्योंकि उनको न्यूनतम वेतन निर्धारित करवानें की मंशा है , औऱ वो इसके लिए सीएम योगी से गुहार लगा रहे हैं.. देखा जाए तो ग्रामीण स्वच्छता ग्राहियों की समस्या वाकई बड़ी है , जिस स्वच्छ भारत का सपना मोदी सरकार या योगी सरकार देखती है ,,,वो सपना सही मायनों में यही तो पूरा कर रहे हैं .मगर इनसे वादा करके सरकार ने तोड़ दिया है .कल प्रदेश के कोने कोने से आये स्वच्छताग्राही भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंचे थे...जहाँ पुलिस प्रशासन द्वारा सभी को बसों में बैठा कर धरना स्थल ईको गार्डन भेज दिया गया...
अब ग्रामीण स्वच्छता ग्राही कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के बैनर तले बड़ी तादाद में स्वच्छता ग्राहियों ने अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। धरने में बड़ी संख्या में महिला स्वच्छता भी शिरकत कर रही हैं। स्वच्छता ग्राहियों की माने तो 1 अक्टूबर को सीतापुर नैमीसारण्य में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुले मंच से स्वच्छता ग्राहियों के न्यूनतम वेतन निर्धारण का वादा किया था.
देखा जाए तो सीएम योगी का ये वादा आज भी केवल दावा की है .. आखिर क्यों बार बार ऐसी समस्याएं खड़ी होती है , जब सरकार वादा करती है , तो उसे समय से पूरी क्यों नहीं करती है .. और अगर नहीं करती है , तो क्यो नहीं कर रही है , इस बात की जानकारी भी जनता को होनी चाहिए .. वहीं स्मारक समीति के लोग भी परेशान हैं ,उनकी अलग मांगे हैं , हालांकि वो सीधे सरकार से नहीं मांग रहे , मगर उस मामले में भी सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत महसूस होनी चाहिए ... क्योकि ये लोग जो प्रदर्शन कर रहे हैं , इन प्रदर्शन से केवल प्रदेश सरकार को ही नहीं , बल्कि इन लोगों को भी नुकसान हो रहा है . एलडीए प्रशासन द्वारा 30 से अधिक कर्मचारियों को निलंबित भी कर दिया गया है.अब सोचिए , ये समस्या कितनी बड़ी है .. ऐसे में जरूरत है , सरकार को इन प्रदर्शनों को कम किया जाए ...ऐसी नौबत ही ना आए कि लोगों को सर्द दिनों में खुले असमान के नीचे अपनी मांगो को लेकर बैठना पड़े ... और अगर ऐसी नौबत आई भी ,तो भी सरकार को इससे जल्द से जल्द निपटना चाहिए ...
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