30 से पाकिस्तान के अंधेरो में गुम है, हिदुंस्तान का युवक ...अब कौन करेगा मदद ?
पने तो अपने होते हैं , ये तो आपने सुना ही होगा .. ऐसा यू हीं नहीं कहा जाता है ..जब इंसान किसी मुसीबत में होता है , तो अपने ही काम आते हैं, अपने ही हाथ थामते हैं , और वहीं संभालते हैं ... अगर परिवार दूर भी हो तो कम से कम इस देश के लोग एक दूसरे के काम आते हैं , लेकिन सभी देशों में ऐसा नहीं होता है.....अगर आप अपने देश को छोड़ कर कहीं और जाते हैं , तो इस उम्मीद को भी यहीं छोड़ जाइए कि भारत जैसा प्यार कहीं ओर मिल सकता है ,खासकर पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश में ...
अपना परिवार, अपना घर और अपना देश अपना ही होता है, अपनों को छोड़ गैरों को अपना और अपने देश की जगह परदेस पर भरोसा करने की हिमाक़त जीवन को अंधकारमय कर देती है। ऐसी ही हिमाक़त कर बैठा रामपुर की टांडा तहसील में रहने वाला एक युवक जो 30 साल पहले अपने परिवार वालों से झगड़ा कर घर से भाग कर और देश छोड़कर परदेश पाकिस्तान चला गया था लेकिन वहां उसे किसी ने नहीं अपनाया और तब से ही पिछले 30 बरस से जेल की काल कोठरी के अंधकार में डूबा हुआ है। 30 साल बाद अब जब उसके घर वालों को पाकिस्तान की जेल में होने का पता चला तो वो सरकार से उसे वापस अपने देश लाने की गुहार लगा रहे हैं।
देखा जाए तो इंसान कहीं भी चला जाता है , मगर उसकी यादें हमेशा परिवार के पास रहती है ... अपनो को छोड़ना और देश से मुंह मोड़ना आसान नहीं है ..पाकिस्तान जैसे देश में जेल में बंद आलम मियां इस वक्त किस हालात मे होंगे ये बताने की जरूरत नहीं है .. मगर अब वो भारत वापस आ पाएंगे या नहीं , इसपर कुछ भी कहना फिलहाल संभव नहीं लग रहा है .
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