चुनाव से पहले MVA की बेचैनी बढ़ा सकता है फडणवीस का ये बयान

देश में दो राज्यों झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव है...झारखंड में एक चरण की वोटिंग के बावजूद सबसे ज्यादा चर्चा महाराष्ट्र की हो रही है...यहां महायुति बनाम महाअघाड़ी के बीच जारी जुबानी जंग लगातार तेज और तीखी हो रही है... आरोप-प्रत्यारोप के दौर चरम पर हैं...वहीं इस दौरान डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के एक बयान ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है...जी हां उन्होंने दावा किया कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महायुति की प्रचंड बहुमत से सरकार बनेगी क्योंकि इस बार का विधानसभा चुनाव 'अजब' है और 23 नवंबर को नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा कि कौन किसका समर्थन कर रहा है...ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर फडणवीस ने किस आधार पर ये बयान दिया है...अगर उनके दावे में जरा भी सच्चाई है तो क्या महाराष्ट्र में वोटिंग से पहले ही सियासी 'खेला' हो गया है...क्या है पूरा माजरा आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में... 

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि 20 नवंबर को होने वाला राज्य विधानसभा चुनाव 'अजब' है और 23 नवंबर को नतीजे आने के बाद ही साफ होगा कि कौन गुट किसका समर्थन कर रहा है...दरअसल फडणवीस ने कहा कि.. 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना, अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और भाजपा के गठबंधन 'महायुति' को कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (एसपी) पर बढ़त हासिल है. ये चुनाव अजीब हैं. हमें नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि कौन किसके साथ है. महायुति के भीतर भी आंतरिक विरोधाभास है.

उन्होंने दावा किया कि एमवीए को भी इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है...फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी का नारा 'बंटेंगे तो कटेंगे' विपक्षी महाविकास आघाडी के चुनाव प्रचार अभियान के जवाब में गढ़ा गया है...भाजपा नेता ने दावा किया कि उनके सहयोगियों अशोक चव्हाण और पंकजा मुंडे के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री अजित पवार इसके सही अर्थ को समझने में विफल रहे...

बता दें महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बार-बार इस्तेमाल किए जाने वाले इस नारे ने विपक्ष को इसकी निंदा करने के लिए एकजुट कर दिया है...विपक्ष का दावा है कि इस नारे के सांप्रदायिक निहितार्थ हैं, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ नेताओं ने भी इस पर आपत्ति जताई है...खुद अजित पवार ने भी सीएम योगी के बयान का विरोध किया था...खैर अब फडणवीस का ये दावा कितना सच साबित होता है...ये तो आने वाले चुनावी नतीजे ही बताएंगे...

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