दिल्ली एनसीआर, नोएडा समेत पश्चिमी यूपी के जिलों में पिछले तीन दशकों से आतंक का पर्याय रहे सुंदर भाटी
नोएडा : एक ऐसा नाम रहा जिसने दिल्ली, हरियाणा और यूपी पुलिस के लिए बहुत बड़ी परेशानी बना रहा ,अब ज़मान पर बाहर आ गया है योगी सरकार सत्ता में आने के बाद माफिया, गुंडों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के चलते सुंदर भाटी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। पहली बार ऐसा है जब सुंदर भाटी को किसी मामले में सजा सुनाई गई है,नोएडा पुलिस कमिश्नरेट में सुंदर भाटी को सज़ा सुनाई गई , फिर आख़िर इतनी जल्दी ज़मानत मिलना कही प्रदेश सरकार की पुलिस की कोई पैरवी में चूक तो नहीं रह गई ,कई सवाल खड़े करते है ?
वही अब सुंदर भाटी के बाहर आने पर प्रदेश सरकार की भयमुक्त वाले नारे को बड़ी चोट लगी है, वही आने वाले दिल्ली विधान सभा चुनाव पर भी क्या फ़र्क़ पद सकता है ?
सुंदर भाटी एक बड़ा माफिया ही नहीं सुपारी किलर के रूप में भी जाना जाता है , अब आने वाले दिल्ली के चुनाव में इसका कितना असर पड़ेगा क्योंकि बताया जाता है कि दिल्ली से लेकर गुड़गाँव के टोल पर सुंदर भाटी की वसूली रहती है ,और अब सुंदर भाटी काफ़ी समय से दिल्ली के मयूर विहार में रहता है ।
आईये जानते हैं किस तरीके से सुंदर भाटी अपराध की दुनिया में एक बड़ा नाम बना | ग्रेटर नोएडा के घंघोला निवासी सुंदर भाटी नरेश भाटी का साथी था,अपराध की दुनिया में दोस्ती और दुश्मनी जान देकर निभाई जाती है। दिल्ली, हरियाणा और यूपी पुलिस के लिए परेशानी का सबब रहे अपराधी सुंदर भाटी और नरेश भाटी ऐसे ही दो नाम थे, जिनकी दोस्ती के किस्से तीनों राज्यों में मशहूर थे। दोनों दोस्त एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे ,कुछ समय बाद दोनों में दुश्मनी हो गई। सतबीर गुर्जर के गैंग में हुई थी सुंदर और नरेश की दोस्ती | बता दें कि 1990 में ग्रेटर नोएडा के गांव रिठोरी का रहने वाला नरेश भाटी पढ़े-लिखे परिवार से था। प्रॉपर्टी विवाद में परिवार वालों की मौत का बदला लेने के लिए नरेश क्राइम की दुनिया में उतर गया। दरअसल, सुंदर भाटी सिकंदराबाद में ट्रक यूनियन पर कब्जा करना चाहता था जबकि नरेश भाटी भी ऐसी ही इच्छा रखता था। इसके अलावा दोनों की जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव पर भी थी। इसके बाद सुंदर और नरेश में गैंगवार शुरू हो गई। फिर दोनों विधानसभा चुनाव में आमने-सामने आ गए लेकिन हार गए। मार्च 2004 में सुंदर ने नरेश की हत्या की हत्या करा दी। सुंदर भाटी का भी अपना गैंग बन चुका था। इसमें गांव के नए युवा ज्यादा आने लगे।उस पर दिल्ली, हरियाणा, यूपी समेत कई राज्यों में मर्डर, लूट, रंगदारी समेत कई मामले दर्ज हैं। वही माना जाता है की ग्रेटर नोएडा में हो रहे विकास को सुंदर भाटी एक ऐसा अपराधी माना जाता है यूपी पुलिस ने काफी मेहनत के बाद 2014 में उसको गिरफ्तार कर लिया था। वह अपने गांव घंघोला में परिवार वालों से मिलने आया था। फिलहाल वह हमीरपुर जेल में है। इसके बावजूद उसका खौफ गौतमबुद्ध नगर के जिलों के आसपास भी देखा जा सकता है। दादरी के पास स्थित गांव दुजाना के नाम का सिक्का पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चलता है। दुजाना गांव के लोग किसी से झगड़ा होने पर बस गांव का नाम ही लेते हैं। इसकी एक वजह अनिल दुजाना भी है। जून 2016 में हुए जिला पंचायत चुनाव में अनिल दुजाना भी मैदान में खड़ा हुआ था। पुलिस ने उसके घर से हथियारों का जखीरा भी बरामद किया था। उसके खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके सामने खड़े निर्दलीय प्रत्याशी संग्राम सिंह को बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर प्रचार करना पड़ता था। इतना ही नहीं उनको मंत्री से भी ज्यादा सुरक्षा मिली हुई थी। हालांकि, दुजाना जेल में रहते हुए चुनाव जीत गया था पर चुनाव रद्द कर दिए गए थे। अनिल दुजाना गैंग के पास तो एके—47 भी मिल चुकी है। उसका संपर्क उस वक्त के गाजियाबाद लोनी एरिया के नामी बदमाश सतबीर गुर्जर से हुआ। गिरोह में ग्रेटर नोएडा, घंघोला निवासी सुंदर भाटी भी था। जल्द ही नरेश और सुंदर भाटी अच्छे दोस्त बन गए। दोनों ने मिलकर दिल्ली सहित पश्चिमी यूपी में हत्या, लूट और रंगदारी की वारदात को अंजाम दिया। यूपी पुलिस ने 2014 को सुंदर भाटी को पकड़ा गया, लेकिन उसका एक साथी 50 हजार रुपये का इनामी सिंगराज भाटी पुलिस को चकमा देते हुए फरार हो गया, तभी से सुंदर भाटी जेल में है। सुंदर भाटी पर राजनीतिक संरक्षण के आरोप लगते रहे हैं। फिलहाल माफिया के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के चलते सुंदर भाटी उम्र कैद की सजा तो मिली , लेकिन यूपी पुलिस की कुछ ख़ामियो के चलते आज ज़मानत पर बाहर है।
रिपोर्टर : लखन यादव
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