महाकुंभ में AI का तड़का , मच गया बवाल

महाकुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो चुकी है, और जैसे-जैसे हर साल श्रद्धालुओं का तांता बढ़ता जाता है, इस बार का महाकुंभ कुछ खास ही बन गया है। अनुमान है कि 40 करोड़ से ज्यादा लोग इस पवित्र मेला में शामिल होंगे। खास बात ये है कि इस बार विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में महाकुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। मकर संक्रांति के दिन तो संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या तीन करोड़ तक पहुंच गई थी...लेकिन इस बार महाकुंभ का आकर्षण केवल साधु-संतों और श्रद्धालुओं तक ही सीमित नहीं है। एक नया ट्रेंड सोशल मीडिया पर छाया हुआ है, और वह है—ए.आई ..यानि कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा बनाए गए वीडियो...... इन वीडियो में दुनिया भर के प्रसिद्ध सेलेब्रिटीज़ को महाकुंभ में डुबकी लगाते हुए दिखाया जा रहा है, और यह वीडियो इतनी असली लगती है कि देखने वाला भी चौंक जाए!

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि एलन मस्क, डोनाल्ड ट्रंप, लियोनल मेसी, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, विल स्मिथ जैसे दुनियाभर के सुपरस्टार संगम में स्नान कर रहे हैं। हां, आपने सही सुना! ये सभी नामचीन लोग महाकुंभ के पवित्र जल में डुबकी लगाते हुए दिखाए गए हैं। वीडियो में खासतौर पर एलन मस्क को पहले दिखाया जाता है, जैसे वह संगम में स्नान करने आए हों। यह वीडियो इतना सजीव और असली लग रहा था कि लोग इसे देख कर यकीन ही नहीं कर पाए।इतना ही नहीं ...पीएम मोदी के साथ मेलोनी को भी स्नान करते दिखाया गया है .. 

लेकिन जैसे-जैसे यह वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर और भी वीडियो सामने आए...और फिर हड़कंप मच गया ..... इनमें से एक वीडियो में तो एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को भी  भगवा वस्त्र पहने हुए, गले में रुद्राक्ष की माला डालकर, गंगा नदी में डुबकी लगाते हुए दिखाया गया। ओवैसी के इस पवित्र स्नान के दृश्य को देखकर कई लोग हैरान हो गए और इसे वायरल कर दिया। कुछ लोगों ने तो इसे बिना किसी जांच के सच मान लिया।

लेकिन फिर जब इस वीडियो की पड़ताल की गई, तो यह बात सामने आई कि यह भी एक ए.आई से बनाया गया है औऱ ये नकली वीडियो था। यह केवल एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कमाल था, जो असलियत से परे था। यही वो पल था, जब लोगों को एआई की असली ताकत और इसके खतरों का एहसास हुआ।

सोचिए, अगर एआई इतनी आसानी से किसी भी व्यक्ति की छवि और आवाज़ को इस तरह से बदल सकता है, तो क्या हमें अब हर वीडियो, फोटो और जानकारी पर विश्वास करना चाहिए? अगर कोई वीडियो इतना सजीव लग रहा है, तो क्या यह सच है, या सिर्फ किसी तकनीकी जादू का नतीजा है?

यहां एआई की ताकत दिखती है—यह तकनीक किसी भी व्यक्ति की छवि को, किसी भी जगह या स्थिति में फिट कर सकती है, और इसे इस तरह से पेश कर सकती है कि वह बिलकुल असली लगे। यही वह जादू है, जो न केवल मनोरंजन के लिए इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऐसी भ्रामक वीडियो और तस्वीरों से यह साफ है कि हमें अब हर जानकारी को दोबारा जांचने की जरूरत है।

एआई का यह "साइड इफेक्ट" सबसे ज्यादा खतरनाक तब हो सकता है, जब इसका गलत इस्तेमाल किया जाए। यह एक ऐसी दुनिया की ओर इशारा कर रहा है, जहां वास्तविकता और कल्पना के बीच का अंतर मिट सकता है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो हम कब और कैसे यह पहचान पाएंगे कि क्या सच है और क्या झूठ?

कुल मिलाकर देखा जाए तो हमें अब और सतर्क रहने की जरूरत है, खासकर सोशल मीडिया पर मिलने वाली जानकारी को लेकर.... एआई का जितना बेहतरीन इस्तेमाल किया जा सकता है, उतनी ही आसानी से यह झूठी जानकारी फैलाने का भी कारण बन सकता है। और जब तक हम इसे पूरी तरह से समझ नहीं पाते, तब तक इससे होने वाले नुकसान को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।तो अगली बार जब आप किसी वीडियो या तस्वीर को देखेंगे, तो सोचिए, क्या यह असली है या एआई का कमाल? यही सही समय है, जब हमें एआई की ताकत को समझते हुए इसके खतरों से भी बचना होगा!

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