6 दिसंबर बाबरी विध्बंस के दिन ही डाली गयी नयी बाबरी मस्जिद की नींव
6 दिसंबर बाबरी विध्बंस के दिन ही डाली गयी नयी बाबरी मस्जिद की नींव
6 दिसंबर कहने को महज सिर्फ एक तारीख पर इस तारीख के अंदर आस्था, भावना, उत्तेजना, क्रोध,आक्रोश, और हिन्दू चेतना का पुनःजागरण सब कुछ है। कोई इस दिन को शौर्य दिवस तो कोई काला दिवस तो कोई संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर के महानिर्वाण दिवस के रूप में मना रहा है। बस अंतर सिर्फ केवल भावना का है कहीं साहस की भावना है तो कहीं क्रोध और बदले की तो कहीं समर्पण की। तारीख एक पर मायने अलग अलग। कहने को तो बाबरी बिध्बंस की घटना को 33 साल हो चुके हैं पर आज भी उस दिन की यादें लोगों के जहाँ में है है किसी के मन में सुकून के रूप में तो किसी में मन में गुस्से ऐसे भरी टीस के रूप में।
पर आज भी लोग 6 दिसंबर की तारीख को महज एक दिन ही नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक घटना के रूप में ही याद करते हैं जिसमे हिन्दू चेतना का पुनःजागरण हुआ था पर इसके बाद पूरे देश विशेषकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए सांप्रदायिक दंगो में हुई सैंकड़ो लोगों की मौत की पीड़ा को भी कोई भूल नहीं सकता क्योंकि इन दंगो में चाहे हिन्दू हो या मुसलमान सिख हो या ईसाई सबने अपनों को खोया था।
पर अयोध्या में 6 दिसंबर की घटना पर आपको बता दूँ 6 दिसंबर की वो घटना सिर्फ एक दिन में ही घटित नहीं हुई थी उसके भी चार महत्वपूर्ण पड़ाव है
पहला पड़ाव ---1949 जब विवादित स्थल पर मूर्तियां रखी गईं
दूसरा पड़ाव ---1986 जब विवादित स्थल का ताला खोला गया
तीसरा पड़ाव---1990 जब कारसेवकों पर तत्कालीन मुलायम सरकार ने गोलियाँ चलवाईं थीं
चौथा पड़ाव--- 1992 विवादित ढांचा यानि बाबरी बिध्बंस की घटना
पर 6 दिसंबर की घटना में सबसे बड़ी भूमिका 30 अक्टूबर और 2 नवंबर 1990 में हुई घटना थी जिसमे यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में बढ़ रहे कारसेवको के हुजूम के आक्रोश को देखते हुए निहत्थे कारसेवकों पर गोलियाँ चलवा दी थी जिसमे सरकारी आकड़ें के अनुसार दो दर्जन से ज्यादा कारसेवक मारे गए थे। कुल मिलाकर कह सकते हैं ये कि 1990 में हुई वो रक्तरंजित घटना ने ही 6 दिसंबर की घटना की पटकथा रच डाली थी। यूं कहें तो 1990 में एक रक्तरंजित बीज रोपा गया था और उसका परिणाम भी रक्तरंजित ही हुआ। 6 दिसंबर को बाबरी बिध्बंस के बाद हुए सांप्रदायिक दंगो में सैकड़ो लोगों की जान चली गयी।
पर 6 दिसंबर 1992 की घटना ने भारत की राजनीति में एक नए स्तर की शुरुआत की। जहाँ एक तरफ राम मंदिर आंदोलन और बाबरी विध्वंस के बाद भाजपा का जनाधार तेजी से बढ़ा. यह वही दौर था जब भाजपा केंद्रीय शक्ति बनना शुरू हुई। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की पकड़ लगातार कमजोर होती गई. अयोध्या विवाद को संभालने में कांग्रेस पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा और परिणामस्वरूप कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक कमजोर हुआ और उत्तर प्रदेश में धर्मनिरपेक्ष छवि को अपनाते हुए ही क्षेत्रीय दल पनपते गए और मजबूत होते गए। यह वही दौर था जब मुलायम सिंह यादव मुस्लिमो बन गए और लोगों में एक अलग नाम से प्रचारित हो गए मुल्ला मुलायम।
17 साल तक चली लिब्राहन आयोग की जाँच
इन् 33 सालों में लगातार पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने भारत में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जिसमे सैंकड़ो की संख्या में लोग मारे गए। बाबरी बिध्बंस के बाद 17 साल तक लिब्राहन आयोग जाँच करता रहा।
9 नवम्वर 2019--राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद का हुआ पटाक्षेप
उसके बाद साल 2010 को हाईकोर्ट में शुरू हुए राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद का पटाक्षेप 9 नवम्वर 2019 को हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला करते हुए राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। जिसको दोनों समुदायों ने सहर्ष स्वीकार भी किया।
5 अगस्त 2020 -- पीएम मोदी ने अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का किया शिलान्यास
और 500 सालों की लंबी लड़ाई और बाबरी विध्वंस के 33 सालों बाद 100 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं की मनोकामनाएं 5 अगस्त 2020 को फलीभूत हुईं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभु राम नगरी अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का शिलान्यास किया और 22 जनवरी 2024 को केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरी हुई और प्रभु राम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा हुआ और भगवान राम की बाल स्वरूप मूर्ति को गृभगृह में स्थापित किया गया।
पर आज भी 6 दिसंबर की तारीख को संवेदनशील महसूस करते हुए सुरक्षा व्यवस्था को चौकन्ना और दुरुस्त रखने के निर्देश दिए जाते हैं। राम मंदिर के फैसला आने से पहले इस तारीख को लेकर हर व्यक्ति के मन में भय के भाव उत्पन्न हो जाते थे। जो कभी आज भी लोगों के मन में बसे हुए हैं।
25 नवंबर 2025 --नई बाबरी मस्जिद बनाने का ऐलान
पर आज भी इस तारीख को कुछ लोग अपनी राजनीतिक मंशा को पूरा करने के लिए बेहतर दिन मानते हैं इसलिए पश्चिम बंगाल के भरतपुर विधानसभा से विधायक हुमायूं कबीर ने 25 नवम्बर को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बाबरी बिध्बंस के 33 साल बाद 6 दिसंबर को ही अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक दूसरी बाबरी मस्जिद बनाने का ऐलान किया था। जिसके तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से निष्काषित कर दिया था।
6 दिसंबर 2025--पश्चिम बंगाल के बेलडांगा में नई बाबरी मस्जिद की रखी गयी आधारशिला
फ़िलहाल कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच TMC से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने शनिवार को अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तर्ज पर बनने वाली मस्जिद की आधारशिला रखी। कबीर ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंच पर मौलवियों के साथ फीता काटकर औपचारिकता पूरी की। इस दौरान तीन लाख से ज्यादा लोग अपने हाथों में ईंट लेकर इस नयी बाबरी मस्जिद की नींव रखने पहुंच गए।
कुल मिलाकर तारीख वही पर इस बार एक अध्याय और जुड़ गया शौर्य दिवस, काला दिवस के साथ साथ नई बाबरी मस्जिद का आधारशिला दिवस भी बन ही गया। दिन साल गुजरते चले जा रहे हैं पर ये 6 दिसंबर की तारीख किसी के मन मस्तिष्क से हटती ही नहीं कोई न कोई नए नए बीज रोपकर इसको जीवंत बनाये रखता है। अब देखने वाली बात होगी कि नई बाबरी मस्जिद बनाने के नाम जो बीज पश्चिंम बंगाल में हुमायूं कबीर ने रोपा है वो बीज रक्तरंजित न हो क्योंकि सियासत कोई भी करे पर जान उसमे आम लोगों की ही जाती है राजनेताओं की नहीं और ये जानकारी सबको है।

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