विश्व आदिवासी दिवस पर डॉ० संदीप ने बिरसा मुंडा और मां शबरी को किए श्रद्धा सुमन अर्पित

झाँसी। विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा, भाषा, अधिकार और उनके योगदान को सम्मान देना है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1994 में इस दिन को मनाने की घोषणा की थी, ताकि आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा हो और उनके सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए विश्व स्तर पर जागरूकता बढ़ाई जा सके। 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व के कारण यह कार्यक्रम 8 अगस्त को मां शबरी सहरिया आदिवासी कल्याण समिति के तत्वाधान में विश्व आदिवासी दिवस पर समाज की आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक मूलभूत सुविधाओं के विषय पर समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन बीकेडी महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में किया गया। इस आयोजन में सहरिया आदिवासी समाज के साथ कंजर समाज एवं लोहा पीटा समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पराग दुग्ध सहकारी समिति के मंडल अध्यक्ष प्रदीप सरावगी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी डॉ० संदीप सरावगी, संतराम पेंटर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बुंदेलखंड महाविद्यालय के प्रधानाचार्य एस.के. राय की रही। सर्वप्रथम अतिथियों एवं अध्यक्ष द्वारा मां शबरी और बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया तत्पश्चात मां शबरी सहरिया आदिवासी कल्याण समिति के अध्यक्ष गोपाल सहरिया द्वारा अतिथियों एवं कार्यक्रम अध्यक्ष का माल्यार्पण कर एवं पट्टिका पहनाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में सहरिया जनजाति और छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ। आदिवासी समाज पर हुई संगोष्ठी पर सभी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। इसके पश्चात आदिवासी समाज के पदाधिकारियों को माल्यार्पण कर एवं पट्टिका पहनाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रदीप सरावगी ने कहा आज हम सब यहाँ विश्व आदिवासी कल्याण दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। यह दिन पूरी दुनिया के आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा, अधिकार और उनके योगदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। भारत में यह दिवस विशेष महत्व रखता है, क्योंकि हमारे देश के विकास में आदिवासी समाज की भूमिका बेहद अहम रही है। आगे के क्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ० संदीप ने कहा आदिवासी समाज प्रकृति के साथ सामंजस्य में जीवन जीने की अनूठी मिसाल पेश करता है। उनका जीवन जल, जंगल और जमीन से गहराई से जुड़ा है। लेकिन इतिहास गवाह है कि इस समाज को लंबे समय तक शोषण, भेदभाव और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। इसलिए इस दिन का उद्देश्य न केवल उनकी संस्कृति को संरक्षित करना है, बल्कि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और समान अधिकार दिलाना भी है। 
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार रामसेवक अड़जरिया एवं दीपक त्रिपाठी के भी मुख्य भूमिका रही। इस अवसर पर संदीप नामदेव, महेंद्र रायकवार, अनुज प्रताप सिंह सचिन दुबे राकेश अहिरवार राजू सेन आदि उपस्थित रहे।p

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