डॉ० एमपीएस वर्ल्ड स्कूल में वृद्धजन का सम्मान बना संस्कार का उत्सव

आगरा : डॉ. एमपीएस वर्ल्ड स्कूल के अतुल्य भारत सांस्कृतिक सभागार में वृद्धजन दिवस को दादा-दादी दिवस के रूप में उत्साह और प्रेम के साथ मनाया गया। भारतीय संस्कृति में निहित परिवार की जड़ों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का एक जीवंत उत्सव बन गया।विद्यार्थियों ने दादा-दादी के सम्मान में मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। जिसमें उन्होंने भावपूर्ण तरीके से बताया कि दादा-दादी एक विशाल छायादार वृक्ष की तरह होते हैं, जो निस्वार्थ प्यार से परिवार को शीतलता प्रदान करते हैं। उनकी प्रस्तुति में दादा-दादी को धैर्यशाली, प्रभावशाली शिक्षक और जीवन के अमूल्य ज्ञान का स्रोत बताया गया। दादा-दादी ने भी मंच पर आकर अपने हुनर का प्रदर्शन किया। कुछ वृद्धजनों ने मधुर गीत सुनाए तो कुछ ने हास्य कविताएँ और जीवन के रोचक किस्से सुनाकर पूरे सभागार को भावविभोर कर दिया। उनकी सहजता, ऊर्जा और आत्मविश्वास को देखकर सभी उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साह बढ़ाया। इस पीढ़ियों के संगम ने सिद्ध कर दिया कि हुनर और उत्साह कभी बूढ़ा नहीं होता।विद्यालय के अध्यक्ष स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह ने अपने उद्बोधन में दादा-दादी के महत्व को विस्तार से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दादा-दादी परिवार की जड़ों के साथ-साथ हमारे देश की संस्कृति के जीवंत वाहक और मार्गदर्शक भी हैं। उनका जीवन अनुभवों और ज्ञान का ऐसा अथाह सागर है जिसकी गहराई हमें जीवन में सही दिशा देती है। वर्तमान समय में भी बच्चों के पालन-पोषण, संस्कार और नैतिक शिक्षा में दादा-दादी की भूमिका सर्वोपरि है। ये परिवार और संस्कृति की जड़ों से जुड़े होने के कारण अपनी बुद्धिमत्ता को भावी पीढ़ी तक पहुँचाने में माहिर होते हैं। इनका सम्मान करना हमारी भारतीय परंपरा का आधार है। इनका सम्मान ही हमारे बच्चों के भविष्य और संस्कारों का सम्मान है। हम जो संस्कार अपने बच्चों को देंगे, वही हमें बुढ़ापे में सम्मान और प्यार के रूप में लौटकर मिलेंगे। अभिभावकों ने भी डॉ एमपीएस वर्ल्ड स्कूल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विद्यालय शिक्षा का एक ऐसा मंदिर है जहां संस्कारों को पहली प्राथमिकता दी जाती है। आज के डिजिटल युग में जहाँ परिवार तेजी से एकल होते जा रहे हैं, विद्यालय परिवार ने इस आयोजन के माध्यम से बच्चों को यह सिखाया है कि दादा-दादी हमारे भारतीय समाज और संस्कृति की नींव हैं और उनका सम्मान करना ही हमारा सबसे बड़ा धर्म है। यह कार्यक्रम बच्चों के नैतिक और भावनात्मक विकास के लिए बहुत आवश्यक है। प्रधानाचार्या राखी जैन ने विद्यालय के अध्यक्ष, अभिभावक, बच्चों के दादा-दादी और गणमान्य अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि दादा-दादी द्वारा सिखाए गए जीवन के सबक ज्ञान के वे अमृत-स्रोत हैं जो बच्चे की ज्ञान पिपासा को शांत करते हैं। उन्होंने माता-पिता से आग्रह किया कि वे पोता-पोती और दादा-दादी के बीच संबंधों को मधुर एवं सुदृढ़ बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ। इस अवसर पर डीन एडमिनिस्ट्रेशन चंद्रशेखर डैंग, दीपा शर्मा, रिचा कुलश्रेष्ठ, प्राची यादव, दिव्या खंडेलवाल, अंकित कुमार, अंशु गोयल, मीनाक्षी शर्मा, रिंपी कक्कड़, चरणजीत कौर, यशी कौशिक, पूजा शर्मा, प्रीति खन्ना, पूजा सिंह, दिव्या पंजवानी, रिचा जसूजा, कृति चड्ढा, दीया जैन, नताशा अग्रवाल, पूनम शर्मा और भावना जादौन सहित सभी शिक्षक उपस्थित रहे। मंच का संचालन छात्र अविघ्न यादव, आरोही यादव और कृष्णा लालवानी ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
रिपोर्टर : अनुज उपाध्याय
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