AI बना दोस्त या दुश्मन? आम आदमी के हाथ में आ सकता है परमाणु बम

सोचिए ज़रा... जिस तकनीक से हम चुटकियों में काम निपटा रहे हैं, वही तकनीक कल हमें दुनिया की सबसे बड़ी तबाही के कगार पर पहुंचा सकती है! जी हां, बात हो रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की, जो आज इंसानों का सबसे तेज़, सबसे स्मार्ट मददगार बन चुका है—but क्या यही AI कल को इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन बन जाएगा?

जब हर तरफ AI की वाहवाही हो रही है, ऐसे में AI के जनक कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन (Geoffrey Hinton) की एक चेतावनी ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने खुलकर कहा है—"AI की मदद से अब कोई भी आम इंसान परमाणु बम और जैविक हथियार बना सकता है!"

AI की ताकत—एक वरदान या अभिशाप?

AI ने हमारी ज़िंदगी आसान बना दी है, लेकिन कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जो रूह कंपा देते हैं। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि एक 16 साल के बच्चे ने AI चैटबॉट की बातों में आकर खुदकुशी कर ली। वहीं एक बेटे ने AI टूल की गुमराह करने वाली सलाह पर अपनी मां तक की हत्या कर दी!

इन घटनाओं ने AI के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। और अब खुद जेफ्री हिंटन का ये कहना कि "AI मानवता के अस्तित्व के लिए ख़तरा बन सकता है"—इस चिंता को और गहरा कर देता है।

"AI अब केवल इंसानों की नकल नहीं कर रहा, वो सोच भी रहा है!"

हिंटन का मानना है कि AI सिर्फ़ इंसानों जैसा दिखावा नहीं कर रहा, बल्कि वह असल में ‘सोचने’ लगा है। उन्होंने कहा कि AI का अनुभव अब इंसानी अनुभव से बहुत अलग नहीं है, और यही बात इसे खतरनाक बनाती है।

हालांकि इस चेतावनी को सभी मानने को तैयार नहीं हैं। हिंटन के पूर्व सहयोगी और मेटा के चीफ AI साइंटिस्ट यान लेकुन कहते हैं कि आज के AI टूल्स अभी भी सीमित हैं और ये दुनिया को सच में समझने और प्रतिक्रिया देने के काबिल नहीं हैं।

तो सवाल ये है—क्या हम वक्त रहते चेत जाएंगे, या फिर AI खुद तय करेगा हमारा भविष्य?

AI एक क्रांति है—लेकिन हर क्रांति की एक कीमत होती है। और अगर हम सतर्क न हुए, तो शायद ये कीमत इंसानियत को चुकानी पड़े।

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