इगलास में लगने वाला बसन्त पंचमी का मेला संजोए हुए है पौराणिक यादें

इगलास : इगलास नगर में विगत वर्षो की भांति अब्दुल्ला बाबा की सैयद मजार के नाम से लगने वाले मेला वसन्त पंचमी की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं दिनांक 29 जनवरी को मेले का उदघाटन होगा और 5 फरवरी तक मेला चलेगा। इस बार मेले का ठेका पिछले वर्ष की अपेक्षा मेंहगा दस लाख सत्तर हजार में उठाए जाने के कारण गरीब जनता की जेब का बजट गड़बड़ाता दिखाई दे रहा है। शायद गरीबों के लिए इस बार मेले का आनन्द फीका न पड़ जाए। बतादे की इगलास नगर में देश की आजादी के समय से सैय्यद बाबा के नाम से लगने वाला बसन्त पंचमी का मेला अपने आप में पौराणिक यादें सजोए हुए है। बताते हैं कि देश को आजाद होने से पहले सैयद बाबा के मजार के निकट नगर के सर्वाधिक ऊंचाई वाले स्थान पर स्थित मराठाओं द्वारा सन् 1856ई. मे निमार्णाधीन किले में तहसील का कार्य भार संचालित था उन दिनों वसन्त पंचमी का मेला सैयद मजार व मराठा किले के इर्द गिर्द लगता था। उन दिनों तहसील में बुलन्द दख्तर नाम के तहसीलदार तैनात थे और मेले में शोर शराबा होता देख मेले को बन्द करा दिया, जैसे ही बन्द हुआ कि उनके आवास से उन्हें खबर मिली कि घोड़ा मर गया है उन दिनों घोड़े की सवारी थी। कुछ समय बाद पता चला कि उनका बेटा बीमार पड़ गया है। रात्रि को तहसीलदार को स्वप्न आया कि यदि वह सैयद बाबा की चार दिवारी (सौंदर्यीकरण) करा कर मेला शुरू करादें तो उनका पुत्र स्वस्थ्य हो जाएगा। तहसीलदार ने सुबह होते ही मुनादी करा कर मेला जैसे ही शुरू कराया कि उनका पुत्र स्वस्थ्य होता चला गया। यह चर्चा दूर दूर तक फैल गई और लोग अपनी अपनी मनु मुराद पाने के लिए यहां आने लगे। तभी से इगलास में बसन्त पंचमी को सैयद मजार पर पहली चादर तहसीलदार चढ़ाते आ रहे हैं।
रिपोर्टर : इंद्रजीत प्रेमी
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