चंद्रशेखर आजाद दृष्टिहीन पुनर्वास केंद्र के कमरों में पानी टपक रहा है।
अलीराजपुर : जिले के चंद्रशेखर आजाद नगर में नेत्रहीन/ दृष्टि बाधित बच्चों के लिए संचालित किया जा रहे चंद्रशेखर आजाद दृष्टिहीन पुनर्वास केंद्र के कमरों में पानी टपक रहा है। इसके चलते बच्चे तीन कमरे में रहने को मजबूर है भरण पोषण की राशि नहीं बढ़ने से बच्चों की देखरेख में भी परेशानी आ रही है हालांकि अब खराब भवन की मरम्मत के लिए शासन से आवंटन की मांग की जाएगी लेकिन प्रति बच्चा खर्च होने वाली राशि बढ़ेगी या नहीं यह अभी भी तय नहीं है। संयुक्त कलेक्टर व उपसंचालक सामाजिक न्याय प्रियांशी भंवर ने चंद्रशेखर आजाद नगर के दृष्टिहीन पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण किया जिसमें साफ सफाई संबंधी समस्याएं सामने आई ।बच्चों को दिए जाने वाले भोजन के सैंपल लिए गए।भवन मे बच्चों के साथ बैठकर उनकी गतिविधियों की जानकारी भी देखी व समझी ।यहां 12 बच्चे और दो टीचर मिले। लंबे समय से भवन की खस्ताहाल देख भंवर ने प्रशासन के साथ पत्राचार करने का भरोसा दिलाया है ताकि मरम्मत की जा सके वर्तमान में तीन कक्ष में बच्चे रह रहे हैं, अन्य दिन कमरों में पानी रिसाव होने से वह काम में नहीं आ रहे हैं ,बच्चों का स्वास्थ्य बना रहे इसलिए हर माह उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाएगा। ज्ञात रहे नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड मध्य प्रदेश की इंदौर शाखा द्वारा संचालित एवं सामाजिक न्याय एवं निःसक्तजन कल्याण विभाग मध्य प्रदेश शासन द्वारा मान्यता प्राप्त इस केंद्र की स्थापना मध्यप्रदेश के पहले आदिवासी दृष्टिहीन पुनर्वास केंद्र के रूप में वर्ष सन 1984 में हुई थी। जो महावीर कल्याण केंद्र भवन से संचालित होता था। यहां पर दृष्टिहीनों की प्रारंभिक शिक्षा प्रशिक्षण एवं पुनर्वास के लिए निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, वर्तमान में न सिर्फ या बच्चों की संख्या कम हो गई है बल्कि केंद्र का भवन भी दयनीय स्थिति में पहुंच चुका है ,इसके पीछे वजह फंड की कमी है। अगर राशि नहीं बढ़ाई गई तो केंद्र बंद होने की स्थिति में पहुंच सकता है। वर्तमान में 12 बच्चे अध्यनरत है, यह मध्य प्रदेश की एकमात्र संस्था है जहां पहली से दसवीं कक्षा तक दृष्टिहीन विद्यार्थियों को गणित पढ़ाया जाता है जबकि अन्य संस्थाओं में दृष्टिहीन विद्यार्थियों को गणित के स्थान पर संगीत की शिक्षा दी जाती है, दृष्टिहीन ग्रामीण आदिवासी छात्र-छात्राओं को निशुल्क व्यावसायिक प्रशिक्षण , जैसे हैंडलूम आदि , स्वरोजगार व पुनर्वास के क्षेत्र में वास्तविक रूप से कार्य कर रही है ताकि आदिवासी नेत्रहीन बालक बालिका समाज में उचित व सम्मानजनक स्थान पा सके। विद्यार्थी ब्रेल लिपि में अध्ययन करते हैं जिन्हें पढाने के लिए दो शिक्षक प्रशिक्षक भी है, इसके अलावा यह बच्चे सामान्य बच्चों के साथ ही स्कूली शिक्षा लेते हैं। 2019 के पहले 35 बच्चे अध्यनरत थे। कोविड़ कल के बाद दूसरे जिले के बच्चों की संख्या कम हुई।
प्रियांशी भंवर संयुक्त कलेक्टर व उपसंचालक सामाजिक न्याय अलीराजपुर ने कहा " पुनर्वास केंद्र के भवन की रिपेयरिंग के लिए रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज रहे हैं ताकि आवंटन मिल सके ।प्रति बच्चों के मांन से खर्च होने वाली राशि शासन स्तर से ही बढ़ेगी इसके लिए भी पत्राचार करेंगे ।भोजन के सैंपल भी लिए हैं। हर माह बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
रिपोर्टर : विजय जैन
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