आंखों पर पट्टी बांधकर होती है अंबाजी मंदिर में पूजा, देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक

अंबाजी मंदिर (Ambaji Temple) गुजरात के बनासकांठा जिले में अरासुर पर्वत पर स्थित है और यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मान्यता है कि यहां देवी सती का हृदय गिरा था, इसलिए इसे शक्ति पूजा का प्रमुख केंद्र माना जाता है। मंदिर राजस्थान और गुजरात की सीमा के पास, आबू रोड से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है।

अंबाजी मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है। श्रद्धालु मां अंबे की पूजा ‘श्री विसा यंत्र’ के माध्यम से करते हैं। यह यंत्र अत्यंत पवित्र और गुप्त माना जाता है, जिसे नंगी आंखों से देखना या फोटोग्राफी करना मना है। इसी कारण मंदिर में भक्तों को आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करनी पड़ती है। मंदिर का मूल स्थान गब्बर पहाड़ी को माना जाता है, जहां श्रद्धालु चढ़ाई कर दीप जलाकर दर्शन करते हैं।

मंदिर में धार्मिक गतिविधियों और उत्सवों का विशेष महत्व है। हर महीने की पूर्णिमा पर हजारों भक्त यहां पूजा-अर्चना करते हैं। सबसे बड़ा त्योहार भादरवी पूर्णिमा है, जब देशभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं और नगर दीपों से जगमगाता है। नवरात्रि में भी यहां विशेष पूजा और गरबा आयोजन होता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

अंबाजी पहुंचने के उपाय:

हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा अहमदाबाद का सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 179 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड है, जो मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। यहां से बस और टैक्सी से आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग: अंबाजी NH 8 (मुंबई–दिल्ली मार्ग) और SH 56 से जुड़ा हुआ है। यह पालंपुर से 82 किलोमीटर और माउंट आबू से 45 किलोमीटर दूर है।

अंबाजी मंदिर न केवल शक्ति पूजा का प्रमुख केंद्र है, बल्कि इसकी अनोखी परंपरा और भव्य उत्सव इसे भक्तों के लिए अत्यंत खास बनाते हैं।

 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.