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बिना स्थलीय निरीक्षण के हुआ बैनामा, ग्रामीणों में आक्रोश

अम्बेडकर नगर : (आलापुर)। तहसील आलापुर अंतर्गत ग्राम पंचायत मकरहीं के जम्मनपुर पुरवे में बिना स्थलीय निरीक्षण के किए गए जमीन के बैनामे को लेकर ग्रामीणों में गहरा आक्रोश और असुरक्षा का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि जिस भूमि पर वे दशकों से बसे हैं, उस पर प्रशासनिक लापरवाही के चलते बिना मौके की जांच के बैनामा कर दिया गया। जानकारी के अनुसार, मकरहीं राजरियासत की ओर से हँसवर राजरियासत को गाटा संख्या 1102, 1124, 1129 की भूमि का बैनामा बिना स्थलीय निरीक्षण किए ही कर दिया गया, जबकि इस भूमि पर लंबे समय से कई ग्रामीण रह रहे हैं। पूर्व ग्राम प्रधान एवं नेशनल इंटर कॉलेज हँसवर के पूर्व वाइस प्रिंसिपल हरीलाल यादव ने बताया कि यह जमीन पहले मकरहीं स्टेट के नाम थी, जो समय-समय पर विभिन्न लोगों के नाम होती चली गई, परंतु प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं।हरीलाल यादव के अनुसार, पहले यह जमीन राम हरख सिंह, फिर जुगुरा बेवा राम नरेश के नाम हुई और फिर बिना किसी वैधानिक आदेश के आचार्य माहेश्वरी प्रसाद सिंह और उनके पुत्र अमर सिंह के नाम दर्ज हो गई। आगे चलकर, एक वसीयत के आधार पर पूरी संपत्ति नृपेंद्र शाह के नाम स्थानांतरित कर दी गई। वर्ष 2023 में नृपेंद्र शाह ने यह जमीन स्वर्ण कला और सेफाली सिंह के नाम बैनामा कर दी। ग्रामीणों का आरोप है कि इस पूरे मामले में स्थलीय निरीक्षण की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने बार-बार राजस्व विभाग और ब्लाक प्रमुख बसखारी संजय सिंह से निरीक्षण की मांग की, लेकिन हर बार आश्वासन देकर मामले को टाल दिया गया। अंततः मात्र हल्का लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर बैनामा कर दिया गया। गाटा संख्या 1129 एवं 1124 को लेकर ग्रामीणों ने आलापुर तहसील के नायब तहसीलदार के समक्ष आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड, बिजली बिल समेत कई दस्तावेज प्रस्तुत किए, परंतु इन्हें आदेश में कोई महत्व नहीं दिया गया। नायब तहसीलदार ने निरीक्षण को ‘अनावश्यक’ ठहराते हुए आदेश पारित कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि मकरहीं रियासत के तत्कालीन मालिक कमला प्रसाद सिंह ने ही उन्हें बसाया था और वे लोग वहां वर्षों से रहते आ रहे हैं। रामदेव गौतम उर्फ सूरदास (70) ने कहा कि उन्होंने और अन्य ग्रामीणों ने चार बार मकरहीं स्टेट को धनराशि देकर यह जमीन खरीदी, परंतु रजिस्ट्री नहीं करवाई जा सकी। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसी भूमि पर विवाद हो, तो उस पर धारा 34 खण्ड 9 के तहत बैनामा नहीं किया जा सकता। वहीं गाटा संख्या 1129 को लेकर पहले से ही सिविल जज के न्यायालय में श्रीराम बनाम रामनंद सिंह आदि का वाद विचाराधीन है। इस पूरे प्रकरण ने प्रशासनिक कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों की मांग है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और उनकी पीढ़ियों से चली आ रही भूमि पर उन्हें वैधानिक अधिकार दिया जाए।

रिपोर्टर : अजय कुमार उपाध्याय

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