भारत के इस हिस्से में विदेशो से 'गर्भवती' होने आती है महिलाएं

जरा सोचिए कि यूरोपीय महिलाएं भारत के छोटे इलाकों में जाकर वहां के पुरुषों से गर्भवती हो जाती हैं. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है, बल्कि अफ़वाहें हैं कि ऐसा पहले भी हो चुका है और शायद अभी भी लद्दाख के धा और हनु गांवों के आर्यन समुदाय में ऐसा हो रहा है और इसे ही आधुनिक दुनिया 'गर्भावस्था पर्यटन' कहती है. भारत, विविध संस्कृतियों और परंपराओं का देश है, जो लंबे समय से टूरिज्म के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है. बॉलीवुड की चकाचौंध से लेकर प्रकृति की शांत सुंदरता तक, भारत, यात्रियों को कई तरह के अनुभव प्रदान करता है. वैसे तो भारत विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम आपको देश के उस हिस्से के बारे में बताने जा रहे है, जहां विदेशी महिलाएं प्रेग्नेंट होने के लिए आती हैं.
लद्दाख के ऊंचे पहाड़ों में कई छोटे हिमालयी गाँव बसे हैं. यें गांव छोटे भले हो लेकिन विदेशी लोगों में इनका काफी क्रेज़ है. इन्हीं गांवो में आर्य वैली नाम का एक गांव है. यहाँ एक जनजाति रहती है जिसे कुछ लोग 'अंतिम शुद्ध आर्य' मानते हैं. दावा किया जाता है कि यहां विदेशी, खासकर यूरोपीय देशों की महिलाएं सिर्फ इसीलिए आती हैं ताकि यहां के मर्दों से गर्भवती हो सकें. ये थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन इसकी चर्चा खूब होती है. कहा जाता है कि आर्यन जनजाति, सिकंदर महान की सेना के सैनिकों के प्रत्यक्ष वंशज हैं. अंतहीन युद्धों के बाद थके और पस्त, उनमें से कुछ लगभग 2000 साल पहले इस क्षेत्र में वापस आ गए होंगे, जबकि उनके नेता, सिकंदर वापस ग्रीस लौट गए थे.
लद्दाख के बाकी हिस्सों से अलग, आर्यन जनजाति में इंडो-आर्यन विशेषताएं हैं. उनकी आंखें हल्के रंग की होती हैं, गालों की हड्डियाँ ऊँची होती हैं, बाल लंबे होते हैं, त्वचा गोरी होती है और वे तिब्बती मानकों से काफी लंबे होते हैं. यह समुदाय अलग-थलग रहता है और इसने सख्त नियम बनाए हैं जो उन्हें विवाह के ज़रिए बाहरी लोगों से घुलने-मिलने से रोकते हैं. आर्यन जनजाति अपने आनुवंशिक के इतिहास के बारे में दावे एक लोककथा है जिसका किसी वैज्ञानिक प्रमाण या विश्वसनीय इतिहास द्वारा समर्थन नहीं किया जाता है. लेकिन फिर भी, वो इसे संरक्षित करना जारी रखते हैं और वो जो हैं उस पर बहुत गर्व करते हैं.
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