बिहार चुनाव 2025: क्या AIMIM फिर से बनेगी किंगमेकर?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी तेज हो चुकी है और इस बार एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या मुस्लिम वोटर फिर से चुनाव का गेमचेंजर बनेंगे और बिहार की सत्ता की दिशा तय करने में किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे? खासतौर पर तब, जब इस बार न सिर्फ NDA और INDIA ब्लॉक, बल्कि एक तीसरा मोर्चा भी सक्रिय नजर आ रहा है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को हिला कर रख दिया है।

असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने इस बार बिहार में बड़े पैमाने पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। 2020 के चुनावों में सीमांचल क्षेत्र की 5 सीटें जीतकर AIMIM ने साबित कर दिया था कि वे मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं और सरकार के गठन के समीकरण बदल सकते हैं। इस बार पार्टी ने 100 मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है, जो बिहार के चुनावी रण को काफी जटिल बना सकता है।

इसी के साथ AIMIM ने इंडिया ब्लॉक में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन RJD की ओर से कोई जवाब न मिलने के कारण अब ओवैसी ने अकेले ही मैदान में उतरने का फैसला किया है। बिहार में लगभग 17% मुस्लिम मतदाता हैं, जो करीब 50 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। सीमांचल, मगध और कोसी इलाकों में मुस्लिम आबादी अधिक होने के कारण ये क्षेत्र चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाएंगे। विशेषकर सीमांचल में जहां 24 विधानसभा सीटें हैं और करीब 47% मुस्लिम आबादी रहती है, वहीं किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिलों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक साबित होते रहे हैं। इन जिलों में AIMIM के मजबूत उम्मीदवार मैदान में हैं, जो इस बार NDA और INDIA ब्लॉक दोनों के लिए चुनौती बन सकते हैं।

बिहार की राजनीति में पिछड़ी जातियों के साथ मुस्लिम पसमांदा वर्ग की भी बड़ी संख्या है, जो AIMIM की संभावित सफलता के लिए एक बड़ा आधार हो सकता है। पिछले चुनावों में जब AIMIM ने सीमांचल में सफलता पाई थी, तब RJD को इसका खासा नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी अगर AIMIM मजबूत स्थिति में आती है, तो सरकार बनाने के लिए दोनों महागठबंधन को AIMIM के साथ गठबंधन करना पड़ सकता है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीति में AIMIM का दखल न सिर्फ सीटों के बंटवारे के समीकरण बदल सकता है, बल्कि मुस्लिम वोटरों की ताकत चुनावी नतीजों को भी निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकती है। क्या बिहार की सत्ता इस बार एक बार फिर मुस्लिम बहुल इलाकों के वोटर तय करेंगे? और क्या AIMIM इस बार किंगमेकर बनकर बिहार की राजनीति का खेल बदल देगी? जवाब तो आने वाले चुनावी दिनों में ही मिलेगा, लेकिन एक बात तय है कि बिहार का चुनावी रण अब और भी दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

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