रहस्य! इस किले में आज भी आता है महाभारत का अश्वत्थामा

NEHA MISHRA
आप सभी ने अपने बचपन में महाभारत की कहानियां तो जरूर सुनी होगी. महाभारत की कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम धर्म के मार्ग पर नहीं चलें तो हमारी दुर्गति तय है. अगर आपकों लगता है कि महाभारत की कहानी महाभारत के किरदारों के साथ ही खत्म हो गई थी तो आप गलत है. क्योंकि महाभारत की कहानी का एक खास पात्र आज भी जीवित है. जी हां, कौरवों और पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा आज भी जिंदा है. दरअसल, महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद अश्वत्थामा ने छल से पांडवों के पुत्रों का वध किया था. जिसके बाद श्री कृष्ण ने उन्हें सदैव भटकते रहने का श्राप दिया था. जिसके बाद से माना जाता है कि आज भी अश्वत्थामा जीवित हैं और दर-दर भटक रहे हैं. वहीं मध्यप्रदेश के एक किले में अश्वत्थामा को देखने की बात कही जाती है. आइए जानते हैं कहां है यह किला...
अश्वत्थामा के बारें में कहा जाता है कि वो आज भी जिंदा है और मध्यप्रदेश के एक रहस्यमयी किलें में वो रोज भगवान शिव की पूजा करने आते है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर इस किलें को असीरगढ़ का किला कहते हैं. इस किले में भगवान शिव का मंदिर भी है, जो अत्यंत प्राचीन है. इस मंदिर को गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता हैं. यें मंदिर कब बना, इसे किसने बनाया, इसका जवाब किसी के पास नही है. लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि इस किले में रोज सुबह अश्वत्थामा शिवजी की पूजा करने आते हैं. लोगों का यह भी कहना है कि रोज सुबह जब मंदिर खोला जाता है तो यहां ताजे फूल मिलते हैं.
इस किले की कई ऐसी बातें है जो इसे रहस्यों के साथ जोड़ती है. जैसे कि इस किले के अंदर एक तालाब है जो तपती गर्मी में भी सूखता नहीं है. वहीं इसके अंदर स्थित गुप्तेश्वर मंदिर चारों तरफ से खाइयों से घिरा हुआ है. इतना ही नहीं, इन खाइयों में गुप्त रास्तें भी जहां आज तक कोई नहीं जा पाया है. ऐसा कहा जाता है कि इन्हीं गुप्त रास्तों से अश्वत्थामा मंदिर में आते हैं. बुरहानपुर खंडवा जिले में आता है. कहते हैं कि महाभारत काल में यहीं पर खांडव वन हुआ करता था, जिसे अर्जुन ने भस्म कर दिया था.
No Previous Comments found.