भारत के महान साहित्यकार डॉ शंकर दयाल सिंह की 87 वीं जयंती के मौके पर विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन

औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद शहर के देव बगीचा रिसोर्ट में जनेश्वर विकास केंद्र एवं साहित्य संवाद के द्वारा भारत के महान साहित्यकार डॉ शंकर दयाल सिंह की 87 वीं जयंती के मौके पर विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन आयोजन किया गया। उपस्थित लोगों ने सर्वप्रथम शंकर दयाल सिंह को नमन किया एवं उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि साहित्य एवं राजनीति में एकरूपता स्थापित कर शंकर दयाल बाबू ने हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। देव अंचल के एक छोटे से गांव भवानीपुर में जन्मे शंकर दयाल बाबू प्रतिवर्ष जीवन पर्यंत औरंगाबाद जिले में राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन को हमेशा आयोजित किया करते थे। भारत के शायद ऐसा कोई कवि हो जिनकी उपस्थित औरंगाबाद में नहीं हुई हो। दो दर्जन से भी अधिक पुस्तकों के रचयिता शंकर दयाल बाबू की कालजई कृति राजनीति की धूप साहित्य की छांव एक ऐसी कृति है जो उनके पूरे जीवन दर्शन को दर्शाती है। सिदेश्वर विद्यार्थी ने बताया कि भारत की ५वीं लोक-सभा में पहुँचे तेजस्वी राजनेता और स्तुत्य साहित्यकार डा शंकर दयाल सिंह ‘राजनीति की तपती धूप में साहित्य की घनी छांव’ की तरह थे। अपनी ५८ वर्ष की कुल आयु में उन्होंने ३० से अधिक ग्रंथ लिखे तथा इतनी ही पुस्तकों का संपादन भी किया। उनमें ‘राजनीति की धूप और साहित्य की छांव’ विशेष उल्लेखनीय है। समारोह के उद्घाटन करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में प्रयागराज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र सिंह एवं साहित्यकार सुरेंद्र मिश्र ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया की सुविख्यात साहित्यकार एवं विद्वान राजनेता पूर्व सांसद रहे डॉ शंकर दयाल सिंह जिन्होंने अपनी विद्वता से हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने का एवं देश की संसद में विद्वता और गरिमा पूर्ण संसदीय संविधानों से देश को मार्गदर्शन करने का जो यशस्वी इतिहास रचा है उस पर हम सभी औरंगाबाद वासियों को सदैव गर्व रहेगा । कवि सम्मेलन में अपने काव्य पाठ के माध्यम से देश के चर्चित कविवर शंकर कैमुरी, प्रियंका कुमारी , पुनम श्रीवास्तव, संगीता नाथ, इमरान बनारसी, फारुकी , फजीहत गहमरी, डा सुमन लता आदि कवियों ने अपने काव्य पाठ के माध्यम से शंकर दयाल बाबू की जीवनी पर उनके जीवनी का वर्णन किया। समाजसेवी आदित्य श्रीवास्तव ने बताया कि कि जिस तरह साहित्य के क्षेत्र में हमसे बिहार वासियों को रामधारी सिंह दिनकर पर गर्व महसूस होता है इस तरह हम सभी औरंगाबाद वासियों को डॉ शंकर दयाल सिंह पर गर्व की अनुभूति होती है जिस तरह से अपने साहित्य के माध्यम से इन्होंने जिले का मान और सम्मान देश स्तर पर बढ़ाया। उनके जीवन शैली को हम सभी लोगों को स्मरण करने की जरूरत है ऐसे महान व्यक्तित्व के बारे में जानने से हम सबको एक प्रेरणा का स्रोत मिलता है। इस मौके पर अध्यक्ष रामजी सिंह, प्रो रामाधार सिंह, प्रो श्याम नारायण सिंह, प्रो राजेन्द्र प्रसाद सिंह, प्रो दिनेश प्रसाद, संस्कृत कालेज के प्राचार्य सुरजीत सिंह , रवींद्र शर्मा , अधिवक्ता चतरा जीतेन्द्र सिंह, प्रकशक प्रेमेन्द्र मिश्रा, औरंगाबाद की कहानी के लेखक धीरेन्द्र कुमार मिश्रा लालदेव सिंह, सुनील चौबे, शिवनारायण सिंह, आदि ने संगोष्ठी को संबोधित किया । कवि सम्मेलन का उद्घाटन प्रायोजक शंभू पांडे, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य गोपाल शरण सिंह और चाणक्य परिषद के अध्यक्ष रामानुज पांडे ने किया और शंकर दयाल सिंह के ब्यक्तित्व एवं कुतित्व पर प्रकाश डाला । संगोष्ठी में पातालगंगा महोत्सव अध्यक्ष सूर्य देव यादव, डा राजेंद्र प्रसाद, कार्यक्रम संयोजक वीरेंद्र सिंह, एकबाल अहमद, उपेंद्र यादव, राकेश कुमार, निखिल सिंह आदि उपस्थित रहे । आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम सह संयोजक दीपक गुप्ता ने किया ।
रिपोर्टर : रमाकांत सिंह
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