औरंगाबाद शहर की खुबसूरती में चार चांद लगा रही विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग

बिहार : बिहार की विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग अब औरंगाबाद शहर की भी खुबसूरती में चार चांद लगा रही है। शहर के सरकारी इमारतों की दीवारे मधुबनी पेंटिंग की चित्रकारी से न केवल चमक-दमक रही है बल्कि शहरवासी भी इसे भावविभोर होकर देख रहे है।कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट की छात्राएं शहर में कर रही मधुबनी पेंटिंग-दरअसल औरंगाबाद जिला प्रशासन ने शहर को नयनाभिराम बनाने के उदेश्य से प्रदेश की राजधानी पटना के आर्ट एंड क्राफ्ट कॉलेज को शहर को खुबसूरत बनाने की जिम्मेवारी दी है। इस जिम्मेवारी के तहत आर्ट कॉलेज की छात्राओं की टीम शहर की सरकारी इमारतों की दीवारों पर आकर्षक मधुबनी पेंटिंग का रंग भर रही है। उनके द्वारा बनाई जा रही पेंटिंग को देख शहरवासी भी मुग्ध हो रहे है। पूरी दुनियां में मधुबनी चित्रकला को पहुंचाने के प्रति समर्पित हैं ये छात्राएं-शहर के राजकीय अनुग्रह उच्च विद्यालय की दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग उकेर रही छात्राओं ने बताया कि वें मधुबनी चित्रकला को पूरी दुनियां में पहुंचाने के प्रति कृत संकल्पित है। इसी संकल्प के साथ वें मधुबनी चित्रकला का प्रशिक्षण लेते हुए इस काम में लगी है। उनकी कला को देख जब कोई उनकी तारीफ करता है तो, उन्हे सुखद अनुभूति होती है और काम करने का सुकून महसूस होता है। लीक से अलग हटकर भी बनाई जा रही पेंटिंग- मधुबनी पेंटिंग बना रही वर्षा रानी, पुष्पा कुमारी एवं अन्य ने बताया कि चूंकि इस वक्त हमारी टीम स्कूल की दीवार पर मधुबनी पेंटिंग बना रही हूं। इस कारण स्कूल के मुख्य द्वार पर शिक्षण गतिविधियों से संबंधित पेंटिंग बनाई गई है। स्कूल के मुख्य द्वार के बाई ओर हमारी टीम ने पहली पेंटिंग साइकिल से स्कूल जाती छात्रा का बनाया है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बालिका साइकिल योजना का प्रतिनिधित्व करती है। वही स्कूल के मुख्य द्वार के दाहिने ओर हमारी टीम ने लाइब्रेरी की पेंटिंग बनाई है। लाइब्रेरी की इस पेंटिंग में चारो वेद, प्रेमचंद साहित्य, ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के चित्र को उकेरा गया है। साथ ही पेंटिंग में एक-एक छात्र-छात्रा को लाइब्रेरी में पढ़ाई करते हुए दिखाया गया है। साथ ही छात्र को कंप्यूटर पर भी पढ़ाई करते दिखाया गया है। चित्रों की पुनरावृति नही होने देने की पूरी कोशिश-इसके अलावा हमारी टीम द्वारा बुद्ध के जीवन दर्शन, ग्रामीण घरों, ग्रामीण जीवन, ग्रामीण नारी, ग्रामीण परिवेश एवं मत्स्य आकृति आदि के भिति चित्र बनाए गए है। हमारी पूरी कोशिश है कि शहर के किसी अन्य स्थान पर इन चित्रों की पुनरावृति नही हो बल्कि हर जगह मधुबनी चित्रकला के अलग-अलग रंग दिखे। बिहार के इन जिलों की प्रमुख चित्रकला हैं विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग-दरअसल मधुबनी पेंटिंग बिहार के मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। यह चित्रकला प्रारंभ में रंगोली के रूप में रही है। बाद में इस कला पर आधुनिकता का रंग चढ़ा। इसके बाद इस चित्रकला को आधुनिक स्वरूप में कपड़ो, दीवारों और कैनवास पर उकेरा जाने लगा। बाद में धीरे-धीरे यह मधुबनी चित्रकला बिहार की एक विश्व प्रसिद्ध चित्रकला शैली बन गई है। हालांकि मधुबनी चित्रकला मूलतः मिथिला की एक परंपरागत चित्रकारी की शैली है। इस शैली के चित्र दो प्रकार के हैं, जिनमें भित्ति चित्र और अरिपन शामिल है। इस चित्रकला में अधिकांशतः मिथिलांचल की संस्कृति को ही दिखाया जाता है। चित्रकला की इस शैली को मिथिला की औरतों द्वारा घरेलू चित्रकला के रूप में ही शुरू किया गया था लेकिन विकास के नए दौर में इस चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया और वें भी मधुबनी पेंटिंग बनाने लगे।
मधुबनी पेंटिंग्स में ज्यादातर प्राचीन महाकाव्यों से प्राकृतिक दृश्यों और देवताओं के साथ पुरुषों और उनके सहयोग को दर्शाया जाता हैं। साथ ही सूर्य, चंद्रमा और तुलसी जैसे धार्मिक प्रतीकों, प्राकृतिक वस्तुओं, शाही अदालत के दृश्यों और पारंपरिक शादी-विवाह के उत्सव जैसे सामाजिक कार्यक्रमों के साथ इस चित्रकला शैली को व्यापक रूप से चित्रित किया जाता है। सादगी और सजीवता ही इसकी विशेषता है और अपने आप में अनोखी और अद्भुत मधुबनी चित्रकला आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। इस चित्रकला ने अपने अनूठे रंगरूप के कारण देश ही नही बल्कि दुनिया में भी प्रसिद्धि हासिल की है।
रिपोर्टर : रमाकांत सिंह
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