ज्येष्ठ माह का दूसरा बड़ा मंगल

बड़ा मंगल (Bada Mangal) एक खास पर्व है जो विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, खासकर लखनऊ में बहुत श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है और ज्येष्ठ माह (मई-जून) के हर मंगलवार को मनाया जाता है |
आज ज्येष्ठ माह का दूसरा बड़ा मंगल है। मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। हनुमान जी केवल शक्ति और भक्ति के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे ऐसे प्रेरणास्रोत हैं जिनके चरित्र में जीवन के हर मोड़ के लिए मार्गदर्शन छिपा है। रामायण के प्रसंगों और तुलसीदास कृत ‘हनुमान चालीसा’ में वर्णित उनके कार्य, केवल पौराणिक गाथाएं नहीं बल्कि आज के जीवन और कार्यक्षेत्र में सफलता पाने की कुंजी हैं। संकटों से जूझने की क्षमता हो या विनम्रता के साथ महान कार्य करना,हनुमान जी हर दृष्टि से हमारे जीवन के आदर्श बन सकते हैं। 
आज के प्रतिस्पर्धी और तनावपूर्ण युग में, जब लोग छोटी-छोटी परेशानियों में उलझ जाते हैं, तब हनुमान जी का जीवन हमें सिखाता है कि समस्या नहीं, समाधान बनो; अहंकार नहीं, विनम्रता रखो; और टीम नहीं, नेतृत्व करो। उनके गुण न केवल अध्यात्मिक बल प्रदान करते हैं, बल्कि करियर, प्रबंधन, संबंध और स्वयं के विकास में भी प्रेरक बन सकते हैं। आइए, जानते हैं उनके जीवन से जुड़े ऐसे ही तीन अमूल्य गुण, जिन्हें अपनाकर हम अपने जीवन को सफल और सार्थक बना सकते हैं।
हनुमान जी का चरित्र हमें सिखाता है कि जीवन में जब समाधान स्पष्ट न हो, तब भी हार मानने की बजाय विकल्प तलाशना चाहिए। जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए और जीवन रक्षा के लिए संजीवनी बूटी की आवश्यकता पड़ी, तब हनुमान जी को वह बूटी पहचान में नहीं आई। लेकिन उन्होंने रुकने की बजाय पूरे पर्वत को ही उठा लिया। यह दिखाता है कि वे केवल समस्या को देखने वाले नहीं थे, बल्कि हर स्थिति में समाधान ढूंढने वाले योद्धा थे। यह गुण आज के समय में भी बेहद प्रासंगिक है।  जब हालात कठिन हों, तो रोना नहीं, रास्ता ढूंढना चाहिए।
हनुमान जी की सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि उन्होंने कभी अपने बल, बुद्धि या पराक्रम का अहंकार नहीं किया। जब वे सीता माता से मिलकर सुरक्षित लौटे और लंका में अपने अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन किया, तब भी उन्होंने स्वयं की कोई प्रशंसा नहीं की। उन्होंने सभी सफलताओं का श्रेय भगवान राम के आशीर्वाद को दिया। उनका यह व्यवहार सिखाता है कि सच्चा महान वही होता है जो अपनी उपलब्धियों का घमंड न करे और हमेशा विनम्र बना रहे। 
समुद्र पर पुल बनवाने से लेकर युद्ध में वानर सेना का नेतृत्व करने तक, हनुमान जी ने अपने संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का अद्वितीय परिचय दिया। वानर सेना कोई अनुशासित दल नहीं थी, लेकिन हनुमान जी ने अपने धैर्य, साहस और रणनीति से सभी को एक लक्ष्य के लिए संगठित किया। वे सिखाते हैं कि सच्चा नेता वही होता है जो हर तरह के लोगों से काम निकलवा सके, कठिन परिस्थितियों में भी टीम का मनोबल बनाए रखे और सभी को साथ लेकर चले।
बड़े मंगल के दिन सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और घर या मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। कम से कम 7 बार पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इससे नकारात्मक ऊर्जा और भय का नाश होता है।
हनुमान जी को भुने हुए चने और गुड़ का भोग विशेष प्रिय है। यह प्रसाद मंदिर में चढ़ाकर बाद में श्रद्धा के साथ लोगों में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें। ऐसा करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
बड़े मंगल को हनुमान मंदिर अवश्य जाएं और वहां सिंदूर, चमेली का तेल, चोला, तुलसी की माला, केला, बेसन या बूंदी के लड्डू चढ़ाएं। यह सभी चीज़ें हनुमान जी को अतिप्रिय मानी जाती हैं।
पहला बड़ा मंगल: 13 मई 2025
दूसरा बड़ा मंगल: 20 मई 2025
तीसरा बड़ा मंगल: 27 मई 2025
चौथा बड़ा मंगल: 2 जून 2025
पांचवां बड़ा मंगल: 10 जून 2025

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